JD(U)
RJD
JSP
IND
IND
Nota
NOTA
IND
ASP(K)
BSP
PTMI
BKMP
IND
IND
Maharajganj Election Results 2025 Live: महाराजगंज विधानसभा सीट पर JD(U) ने फहराया परचम, जानें प्रत्याशी Hem Narayan Sah को मिली कितनी बड़ी जीत
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बिहार के सिवान जिले में स्थित महाराजगंज विधानसभा क्षेत्र, महाराजगंज लोकसभा सीट का हिस्सा है. यह क्षेत्र महाराजगंज और भगवानपुर हाट सामुदायिक विकास खंडों को सम्मिलित करता है और 1951 में अपनी स्थापना के बाद से एक महत्वपूर्ण निर्वाचन क्षेत्र बना हुआ है. यह क्षेत्र मुख्य रूप से ग्रामीण है और इसकी अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है. महाराजगंज, जो एक अनुमंडल स्तर का नगर है, व्यापार और वाणिज्य का मुख्य केंद्र है, जो आसपास के गांवों को बड़े बाजारों से जोड़ता है.
हालांकि महाराजगंज का इतिहास में विशेष उल्लेख नहीं मिलता, लेकिन इसकी भौगोलिक स्थिति यहां के जीवनयापन को प्रभावित करती है. यह क्षेत्र समतल और उपजाऊ है, जो खेती के लिए उपयुक्त है. गंडक नदी, जो महाराजगंज से लगभग 36 किमी दूर बहती है, कई गांवों में सिंचाई का साधन प्रदान करती है. यहां की कृषि गतिविधियों में मुख्य रूप से धान, गेहूं और गन्ने की खेती होती है. चावल मिलें और ईंट भट्टों जैसे लघु उद्योग भी स्थानीय रोजगार और अर्थव्यवस्था में योगदान करते हैं. महाराजगंज की कनेक्टिविटी आसपास के कस्बों से अच्छी है- जिला मुख्यालय सिवान लगभग 25 किमी, छपरा 45 किमी और गोपालगंज लगभग 38 किमी की दूरी पर स्थित हैं. राज्य की राजधानी पटना से इसकी दूरी लगभग 133 किमी है.
महाराजगंज विधानसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास पारंपरिक दलों के प्रभुत्व वाला रहा है. इसकी स्थापना के बाद से अब तक कुल 17 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. जनता दल (यूनाइटेड) ने यहां पांच बार जीत दर्ज की है, जिसमें वर्ष 2000 में समता पार्टी के तहत मिली एक जीत भी शामिल है. कांग्रेस और जनता पार्टी ने तीन-तीन बार जीत हासिल की है, जबकि जनता दल को दो बार सफलता मिली है. किसान मजदूर प्रजा पार्टी, स्वतंत्र पार्टी, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी और भारतीय क्रांति दल ने एक-एक बार यह सीट जीती है. विशेष रूप से, बिहार की प्रमुख राजनीतिक पार्टियां – राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)– इस सीट पर अब तक जीत हासिल नहीं कर पाई हैं.
2020 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू की जीत का सिलसिला तब टूटा जब लोक जनशक्ति पार्टी ने यहां से प्रत्याशी उतारा. हालांकि एलजेपी को केवल 7,714 वोट मिले, लेकिन इससे एनडीए के वोटों में बंटवारा हुआ और कांग्रेस के उम्मीदवार विजय शंकर दुबे ने मात्र 1,976 मतों के अंतर से जीत दर्ज की.
महाराजगंज विधानसभा क्षेत्र में अधिकांश मतदाता ग्रामीण पृष्ठभूमि से हैं. शहरी मतदाता केवल 5.91 प्रतिशत हैं. इस क्षेत्र में अनुसूचित जाति और मुस्लिम मतदाताओं के साथ यादव, महतो, प्रसाद और शाह जैसे उपनामों वाले विभिन्न जाति समूहों की महत्वपूर्ण उपस्थिति है.
2020 के चुनाव में यहां कुल 3,02,786 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें अनुसूचित जाति के मतदाता 34,699 (11.46 प्रतिशत) और मुस्लिम मतदाता 40,271 (लगभग 13.30 प्रतिशत) थे. 2024 के लोकसभा चुनावों में पंजीकृत मतदाताओं की संख्या बढ़कर 3,15,954 हो गई. चुनाव आयोग के रिकॉर्ड के अनुसार, इस अवधि में 2,984 मतदाता क्षेत्र से बाहर चले गए. रोजगार की तलाश में युवाओं का पलायन महाराजगंज की एक प्रमुख समस्या बना हुआ है. हालांकि, आयोग के आंकड़े यह नहीं दर्शाते कि बड़ी संख्या में नए योग्य मतदाता 2020 के बाद पलायन कर गए हों. पिछले कुछ चुनावों में यहां का मतदान प्रतिशत स्थिर रहा है, जो 53 से 54 प्रतिशत के बीच बना हुआ है.
2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने महाराजगंज लोकसभा सीट पर लगातार तीसरी जीत दर्ज की और विधानसभा क्षेत्र में भी 20,738 मतों की बढ़त हासिल की. इस आधार पर यह माना जा सकता है कि 2020 में झेली गई अस्थायी हार के बावजूद, एनडीए गठबंधन आने वाले विधानसभा चुनावों में इस क्षेत्र में अपनी बढ़त बनाए रख सकता है. महाराजगंज विधानसभा क्षेत्र बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है और आगे भी इसके समीकरण दिलचस्प बने रहेंगे.
(अजय झा)
Hem Narayan Sah
JD(U)
Kumar Deo Ranjan Singh
LJP
Ejaz Ahmad Siddique
AZAP
Ajit Prasad
RLSP
Bishwanath Yadav
JAP(L)
Nota
NOTA
Om Prakash Sharma
IND
Satyendra Kumar Gandhi
JDR
Kamakhyana Singh
JNP
Dharmendra Mahato
IND
Khadim Hussain
IND
Rajiv Kumar
RSHP
Nayan Prasad
BKMP
Shree Bhagwan Singh
JP (S)
Sushil Kumar
IND
Vishwambhar Singh
IND
Amit Kumar
IND
Abhinaw Kumar Pandey
RMSP
Shambhu Nath Suropam
IND
Hari Kishor Prasad
NCP
Surendra Kumar
RJSBP
Manoranjan Kumar Singh
IND
Abhishek Kumar
RJJP
Jitendra Kumar
SVHP
Ravindr Kumar
IND
Sri Krishna Sharma
IND
Umashankar Tiwari
AIFB
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर पार्टी के भीतर निराशा है. शशि थरूर ने 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' की मांग की, जबकि अन्य नेताओं ने हार का कारण संगठन की कमजोरी, गलत टिकट वितरण और जमीनी हकीकत से कटे कुछ नेताओं को बताया.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.