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Bihar Election Result 2025 Live: शाहपुर विधानसभा सीट पर BJP को दोबारा मिली जीत
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Bihar Assembly Election Results 2025 Live: दिग्गज कैंडिडेट्स के क्या हैं हाल?
Shahpur Assembly Election Results Live: Bihar की Shahpur सीट पर मुकाबला एकतरफा! BJP ने ली बड़ी बढ़त
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Bihar Assembly Election Results 2025 Live: दिग्गज कैंडिडेट्स के क्या हैं हाल?
शाहपुर, बिहार के भोजपुर जिले के जगदीशपुर अनुमंडल का एक प्रखंड-स्तरीय नगर है. इसके उत्तर में गंगा नदी और दक्षिण में सोन नदी बहती है, जिससे यह क्षेत्र जल संसाधनों की दृष्टि से समृद्ध है. शाहपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है जो आरा और बक्सर को जोड़ता है. आरा यहां से लगभग 30 किलोमीटर पूर्व में, बक्सर 40 किलोमीटर पश्चिम में तथा राज्य की राजधानी पटना लगभग 85 किलोमीटर दूर है. शाहपुर का भू-भाग समतल और उपजाऊ है, जो इसे एक प्रमुख कृषि केंद्र बनाता है.
हालांकि शाहपुर के इतिहास के विस्तृत दस्तावेज सीमित हैं, फिर भी इसका ऐतिहासिक महत्व उल्लेखनीय है. 1972 तक शाहपुर एक जिला हुआ करता था, जिसका मुख्यालय आरा में था. इसके बाद इसे भोजपुर और रोहतास, दो भागों में विभाजित कर दिया गया. ऐतिहासिक रूप से, इस क्षेत्र पर उज्जैनिया राजपूतों का शासन रहा है और भोजपुर का नाम राजपूत राजा भोज के नाम पर पड़ा. शाहपुर अपने प्राचीन मंदिरों के लिए भी प्रसिद्ध है, जिनमें महावीर स्थान और कुंडेश्वर धाम प्रमुख हैं, जो श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं.
1951 में शाहपुर को एक विधानसभा क्षेत्र के रूप में स्थापित किया गया था, जो आरा लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है. यह विधानसभा क्षेत्र शाहपुर और बिहियां प्रखंडों को सम्मिलित करता है. 2011 की जनगणना के अनुसार, शाहपुर प्रखंड की जनसंख्या 2,12,253 थी, जबकि बिहियां की आबादी 1,78,429 थी. शाहपुर का लिंगानुपात 897 महिलाएं प्रति 1000 पुरुष रहा, जबकि बिहियां में यह थोड़ा बेहतर, 917 था. साक्षरता दर भी अपेक्षाकृत कम रही, शाहपुर में केवल 58.53 प्रतिशत लोग साक्षर थे, जिनमें पुरुष साक्षरता 67.57 प्रतिशत और महिला साक्षरता 48.46 प्रतिशत थी. बिहियां की साक्षरता दर मामूली रूप से अधिक 58.93 प्रतिशत थी. इन दो प्रखंडों में कुल 128 गांव शामिल हैं.
2020 के विधानसभा चुनावों में शाहपुर में कुल 3,18,874 पंजीकृत मतदाता थे, लेकिन केवल 49.24 प्रतिशत लोगों ने मतदान में भाग लिया. 2024 के लोकसभा चुनावों में यह आंकड़ा केवल 106 मतदाताओं से बढ़ा. अनुसूचित जाति के मतदाता इस कुल मतदाता संख्या का लगभग 15.09 प्रतिशत हैं, जबकि मुस्लिम समुदाय के मतदाता लगभग 5.1 प्रतिशत हैं। शहरी मतदाता केवल 11.38 प्रतिशत ही हैं.
शाहपुर की राजनीतिक इतिहास बेहद दिलचस्प रहा है. समाजवादी नेता रामानंद तिवारी ने 1952 से 1969 तक लगातार पांच बार जीत दर्ज की थी. उन्होंने सोशलिस्ट पार्टी, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी जैसे विभिन्न दलों का प्रतिनिधित्व किया. इसके बाद यह सीट कई दलों के पास रही, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने चार बार, कांग्रेस ने तीन बार, जनता पार्टी और भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने दो-दो बार और जनता दल ने एक बार जीत दर्ज की.
शाहपुर में तिवारी परिवार की राजनीतिक पकड़ खास रही है. रामानंद तिवारी के पुत्र शिवानंद तिवारी ने 2000 और 2005 में RJD के टिकट पर जीत हासिल की. वर्तमान में तीसरी पीढ़ी से राहुल तिवारी इस सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, जिन्होंने 2015 और 2020 में RJD के उम्मीदवार के रूप में विजय प्राप्त की. इस परिवार ने कुल 9 बार शाहपुर की सीट पर जीत दर्ज की है, जो कि पिछले 35 वर्षों में एक रिकॉर्ड है.
अन्य प्रमुख विजेताओं में जनता पार्टी और जनता दल के धर्मपाल सिंह दो बार विजयी रहे और BJP की मुन्नी देवी 2005 और 2010 में जीतीं. शिवानंद तिवारी का चुनावी सफर दो जीत और तीन हारों के साथ मिला-जुला रहा है. वर्ष 2005 में दो बार चुनाव हुए थे, क्योंकि फरवरी में हुए चुनावों में कोई स्पष्ट बहुमत नहीं मिल पाया था.
2015 में BJP ने अपनी मौजूदा विधायक मुन्नी देवी को टिकट नहीं दिया और यह सीट 14,570 वोटों से हार गई. हालांकि 2020 में उन्हें दोबारा मैदान में उतारा गया, लेकिन इस बार वे केवल 13.64 प्रतिशत वोट के साथ तीसरे स्थान पर रहीं. फिर भी 2024 के लोकसभा चुनावों में BJP को शाहपुर खंड में केवल 2,288 वोटों से पिछड़ना पड़ा, जिससे 2025 के विधानसभा चुनावों में एक नए उम्मीदवार के साथ वापसी की उम्मीद बन रही है. पार्टी का मुख्य लक्ष्य उन 50 प्रतिशत से अधिक मतदाताओं को आकर्षित करना होगा, जो लगातार चुनावों में मतदान नहीं करते रहे हैं.
(अजय झा)
Shobha Devi
IND
Munni Devi
BJP
Gangadhar Pandey
IND
Harendra Singh
RJJP
Bhuteshwar Yadav
IND
Ved Prkash
RLSP
Santosh Kumar Sriwastav
JNP
Kumar Avinash Chandra
IND
Krishna Ram
IND
Gudiya Devi
NCP
Rakesh Kumar Mishra
JAP(L)
Khyalee Kuwor
IND
Nota
NOTA
Kalika Prasad Singh
IND
Laxman Kumar Ojha
BRD
Sanjeev Kumar Pandey
IND
Munna Sharma
MAP
Gouttam Ojha
IND
Nanhak Singh
BMP
Manoj Yadav
IND
Manan Sah
IND
Yash Tripath
RSSD
Shambhu Parsad Sharma
HVD
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.