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रामगढ़, बिहार के कैमूर जिले के मोहनिया अनुमंडल का एक प्रखंड स्तरीय शहर है. यह जिला मुख्यालय भभुआ से 30 किलोमीटर उत्तर तथा मोहनिया से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यह नगर दो राष्ट्रीय राजमार्गों के माध्यम से बक्सर, आरा और पटना से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है. इसके अलावा, ग्रैंड ट्रंक रोड इसे कोलकाता, वाराणसी, आगरा, कानपुर और दिल्ली जैसे प्रमुख भारतीय शहरों से जोड़ती है.
रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र केवल रामगढ़ प्रखंड तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें नुआंव और दुर्गावती जैसे सामुदायिक विकास प्रखंड भी शामिल हैं. लगभग 169 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले इस विधानसभा क्षेत्र की जनसंख्या लगभग 2,79,545 है. यहां लिंगानुपात 1000 पुरुषों पर 921 महिलाएं है, और साक्षरता दर 73.17 प्रतिशत है, जिसमें पुरुषों की साक्षरता महिलाओं की तुलना में कहीं अधिक है. इस क्षेत्र के 416 गांव इन्हीं तीन प्रखंडों में फैले हुए हैं. अनुसूचित जातियों की मतदाता हिस्सेदारी 23.23 प्रतिशत है, जबकि मुस्लिम समुदाय के मतदाता 8.5 प्रतिशत हैं. शहरी मतदाता केवल 2.31 प्रतिशत हैं, जो नगण्य माने जा सकते हैं. प्रमुख भाषा भोजपुरी है, हालांकि हिंदी और उर्दू भी बोली जाती हैं.
रामगढ़ का भू-आकृतिक स्वरूप मुख्यतः समतल है, परंतु कुछ इलाकों में विशेषकर कैमूर की पहाड़ियों के पास पथरीली भूमि भी देखी जाती है. यह क्षेत्र कैमूर पठार का हिस्सा है, जो इसकी विविध स्थलाकृति में योगदान करता है. कर्मनाशा नदी रामगढ़ के पास बहती है, जो इस क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता को बढ़ाती है और कृषि में सहायक है. गंगा नदी भी अपेक्षाकृत निकट है, हालांकि यह सीधे इस क्षेत्र के अंतर्गत नहीं आती.
रामगढ़ रेड कॉरिडोर क्षेत्र में आता है, जो ऐतिहासिक रूप से नक्सल- माओवादी उग्रवाद से प्रभावित रहा है. हालांकि हाल के वर्षों में सरकार की पहलों और सुरक्षा उपायों के चलते बिहार, विशेषकर कैमूर में नक्सल प्रभाव में काफी कमी आई है. अब भी कुछ वन क्षेत्रों और दूरदराज के इलाकों में छिटपुट गतिविधियां होती हैं, लेकिन पहले की तुलना में स्थिति बहुत हद तक नियंत्रण में है.
रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र की स्थापना 1951 में हुई थी और यह बक्सर लोकसभा सीट के छह विधानसभा खंडों में से एक है. अब तक यहां 19 बार विधायक चुने गए हैं, जिनमें 2009 और 2024 के उपचुनाव भी शामिल हैं. इन चुनावों में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने छह बार, कांग्रेस ने चार बार, समाजवादी दलों- प्रजा सोशलिस्ट पार्टी और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी ने तीन बार जीत दर्ज की है. जनता दल और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने दो-दो बार, जबकि जनता पार्टी और लोक दल ने एक-एक बार विजय हासिल की है. इससे यह स्पष्ट होता है कि रामगढ़ की जनता का झुकाव ऐतिहासिक रूप से समाजवादी विचारधारा की ओर रहा है. कांग्रेस और भाजपा को छोड़कर अन्य सभी 13 बार जीतने वाले दल समाजवादी विचारधारा के समर्थक रहे हैं. यह भी दर्शाता है कि इस क्षेत्र में गरीबी और जातिगत विभाजन, विशेष रूप से अनुसूचित जातियों के भीतर, एक पुराना और जटिल मुद्दा रहा है.
हालांकि बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने अब तक रामगढ़ सीट पर जीत दर्ज नहीं की है, लेकिन उसकी मजबूत जनाधार यहां बना हुआ है. हाल के चुनावों में बसपा लगातार शीर्ष तीन दलों में बनी रही है. 2020 के विधानसभा चुनाव में यह मुकाबला त्रिकोणीय और बेहद करीबी रहा, जिसमें राजद के सुधाकर सिंह ने बसपा के अंबिका सिंह को केवल 189 मतों से हराया. भाजपा के अशोक कुमार सिंह, जो तत्कालीन विधायक थे, 2001 मतों से पीछे रहकर तीसरे स्थान पर रहे. सुधाकर सिंह ने 2024 में बक्सर लोकसभा सीट से निर्वाचित होकर विधानसभा से इस्तीफा दे दिया, और एक बार फिर बसपा की मजबूती सामने आई.
इसके बाद हुए उपचुनाव में भाजपा के अशोक कुमार सिंह ने बसपा के सतीश कुमार सिंह को 1,362 मतों से हराया. राजद के अजीत कुमार सिंह तीसरे स्थान पर रहे और वे विजेता से 25,000 से अधिक मतों से पीछे रहे.
2020 के विधानसभा चुनाव में रामगढ़ में 64.18 प्रतिशत मतदान हुआ था, जहां कुल 2,79,545 पंजीकृत मतदाता थे. 2024 के लोकसभा चुनावों में यह संख्या बढ़कर 2,86,371 हो गई है.
रामगढ़ में बसपा की लगातार बढ़ती लोकप्रियता आने वाले 2025 के चुनावों में भाजपा और राजद जैसी प्रमुख पार्टियों के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती है. यदि रुझान ऐसे ही बने रहे, तो बसपा आने वाले चुनावों में 'डार्क हॉर्स' की भूमिका निभा सकती है.
(अजय झा)
Ambika Singh
BSP
Ashok Kumar Singh
BJP
Nota
NOTA
Sanjay Kumar Singh
IND
Ram Bachan Ram
NCP
Shankar Dayal Anand
IND
Deepak Upadhyay
BSLP
Indresh Bahadur Singh
PP
Shahil Kumar
IND
Ram Sudhakar Tiwari
IND
Md Iliyas Ansari
AZAP
Ram Bachan Singh
IND
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर पार्टी के भीतर निराशा है. शशि थरूर ने 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' की मांग की, जबकि अन्य नेताओं ने हार का कारण संगठन की कमजोरी, गलत टिकट वितरण और जमीनी हकीकत से कटे कुछ नेताओं को बताया.
कैमूर के रामगढ़ में जन्मदिन के मौके पर जनसभा में तेजस्वी यादव ने मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला. उन्होंने कहा, मोदी जी ने 37 साल के नौजवान को रोकने के लिए 30 हेलीकॉप्टर छोड़ रखे हैं. तेजस्वी ने वादा किया कि उनकी सरकार बनी तो हर परिवार के एक सदस्य को नौकरी, महिलाओं को ₹30 हजार और गैस सिलेंडर ₹500 में मिलेगा.
बिहार चुनाव प्रचार के दौरान गोरखपुर सांसद और अभिनेता रवि किशन को फोन पर जान से मारने की धमकी दी गई. आरोपी ने उनकी मां और प्रभु श्रीराम के प्रति अभद्र भाषा का प्रयोग किया. रवि किशन ने कहा, वह न डरेंगे, न झुकेंगे. पुलिस ने रामगढ़ थाने में मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.