JD(U)
INC
JSP
IND
Nota
NOTA
IND
AAP
IND
EDU
BSP
RJSBP
Bihar Election Result 2025 Live: फुलपरास विधानसभा सीट पर JD(U) को दोबारा मिली जीत
Bihar Assembly Election Results 2025 Live: दिग्गज कैंडिडेट्स के क्या हैं हाल?
Phulparas Vidhan Sabha Chunav Result Live: बिहार के मिथिलांचल क्षेत्र में पार्टियों/गठबंधनों का प्रदर्शन कैसा है?
Phulparas Election Result 2025 Live: फुलपरास का रिजल्ट जानना है? यहां मिलेगा हर अपडेट
Phulparas Assembly Election Result Live: फुलपरास में INC पीछे, JD(U) आगे! जानें वोटों का अंतर कितना
Bihar Election Results Live: बिहार चुनाव में राजनीतिक गठबंधनों का प्रदर्शन कैसा है?
फुलपरास विधानसभा क्षेत्र मधुबनी जिले में स्थित है और झंझारपुर लोकसभा सीट के अंतर्गत आता है. इसमें घोघरडीहा प्रखंड, फुलपरास प्रखंड के 8 पंचायत और मधेपुर प्रखंड के 20 पंचायत शामिल हैं. फुलपरास एक अनुमंडल है और प्रशासनिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है. 1951 से अस्तित्व में आई यह सीट अब तक 18 चुनाव देख चुकी है. 1977 का उपचुनाव काफी चर्चित रहा, जब तत्कालीन मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के लिए झंझारपुर के विधायक देवेंद्र प्रसाद यादव ने इस्तीफा दिया था.
इस क्षेत्र में किसी एक पार्टी का स्थायी प्रभाव नहीं रहा. कांग्रेस ने 5 बार, जदयू ने 4 बार, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी और जनता पार्टी ने 3-3 बार, समाजवादी पार्टी ने 2 बार तथा जनता दल ने 1 बार जीत दर्ज की. खास बात यह रही कि यहां भाजपा और राजद कभी जीत दर्ज नहीं कर पाए.
हालांकि, जातीय समीकरण हमेशा निर्णायक रहे हैं. यादव समुदाय यहां प्रभावशाली है और अब तक हुए 18 चुनावों में 13 बार यादव प्रत्याशियों ने जीत हासिल की है. यह स्पष्ट करता है कि जाति आधारित राजनीति इस क्षेत्र में अहम भूमिका निभाती है.
2010 से लगातार जदयू इस सीट पर जीत दर्ज कर रहा है. 2020 में जदयू की शीला कुमारी ने कांग्रेस उम्मीदवार कृपनाथ पाठक को 10,966 वोटों से हराया. 2010 और 2015 में भी जदयू ने क्रमशः 12,344 और 13,415 वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी.
लोकसभा चुनावों में भी जदयू का दबदबा दिखाई देता है. 2009 से अब तक ज्यादातर चुनावों में यह पार्टी यहां आगे रही है. 2024 के चुनाव में जदयू ने 23,466 वोटों की बढ़त बनाई.
2020 के चुनाव में इस क्षेत्र में कुल 3,25,217 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें 43,253 मुस्लिम (13.30%), 41,595 अनुसूचित जाति (12.79%) और 56,262 यादव मतदाता (17.30%) शामिल थे. क्षेत्र मुख्य रूप से ग्रामीण है और केवल 3.84% मतदाता शहरी हैं. मतदान प्रतिशत कम रहा है, हालांकि 2020 में यह 56.02% तक पहुंचा.
भौगोलिक रूप से यह क्षेत्र बाढ़ प्रभावित मिथिला इलाके में आता है. भूतही बलान नदी यहां से होकर गुजरती है. जमीन उपजाऊ है और धान, गेहूं व मक्का मुख्य फसलें हैं, लेकिन सिंचाई सुविधाओं की कमी के कारण खेती काफी हद तक मानसून पर निर्भर है. शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अवसर सीमित हैं, जिसके कारण बड़ी संख्या में युवा पलायन करते हैं.
फुलपरास, मधुबनी जिला मुख्यालय से लगभग 40 किमी, झंझारपुर से 30 किमी और दरभंगा से 65 किमी की दूरी पर है, जबकि पटना करीब 180 किमी दूर है.
2025 के चुनाव में जदयू और एनडीए मजबूत स्थिति में दिखाई दे रहे हैं. विपक्षी महागठबंधन (राजद-नेतृत्व वाला) को चुनौती पेश करने के लिए एकजुट होकर मजबूत प्रत्याशी उतारना और ठोस मुद्दों पर चुनाव लड़ना होगा.
(अजय झा)
Kripanath Pathak
INC
Binod Kumar Singh
LJP
Gulajar Devi
IND
Gauri Shankar Yadav
JAP(L)
Sanjay Kumar Singh ( Sahil Kumar Singh)
IND
Nota
NOTA
Ram Kumar Yadav
SJDD
Vijay Kumar
IND
Hriday Naryana Kamat
IND
Ashok Singh
NJP
Parwez Alam
PCP
Brajesh Kumar Kunwar
PP
Ratnesh Kumar Sahu
PPI(D)
Rekha Ranjan Yadav
IND
Ganesh Yadav
VPI
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तारीखों के ऐलान के बाद भी सियासी गलियारों में सस्पेंस बरकरार है. तेजस्वी यादव, प्रशांत किशोर और चिराग पासवान इसके मुख्य केंद्र है. तेजस्वी दो सीटों से चुनाव लड़ सकते है, जिसमें राघोपुर के साथ फुलपरास या काराकाट सीट शामिल है. इसकी वजह राघोपुर से प्रशांत किशोर के चुनाव लड़ने की संभावना मानी जा रही है.
तेजस्वी यादव बिहार विधानसभा चुनाव में दो सीटों से उतर सकते हैं: राघोपुर और मधुबनी की फुलपरास। फुलपरास से चुनाव लड़ने का उद्देश्य मिथिलांचल में अति पिछड़ा वर्ग के वोट बैंक को साधना है, जहां कर्पूरी ठाकुर का प्रभाव रहा है। तेजस्वी यादव ने एक बड़ा चुनावी वादा किया है: "चुनाव के नोटिफिकेशन के बाद बिहार के जिस भी परिवार के पास सरकारी नौकरी नहीं है ऐसे हर परिवारों को एक नया अधिनियम बना करके अनिवार्य रूप से उनके परिवार में नौकरी जो है दी जाएगी."
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक हलचल तेज है. एनडीए गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर सहमति बनने की खबर है. सूत्रों के अनुसार, 13 अक्टूबर को उम्मीदवारों की पहली संयुक्त सूची जारी हो सकती है. वहीं, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता तेजस्वी यादव ने सरकार बनने पर हर परिवार को एक सरकारी नौकरी देने का वादा किया है. उन्होंने कहा कि 20 दिन में अधिनियम बनेगा और 20 महीने में हर घर में नौकरी होगी.
तेजस्वी यादव को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है. जानकारी के अनुसार, तेजस्वी यादव दो विधानसभा सीटों से चुनाव लड़ सकते हैं. ऐसी खबरें हैं कि राघोपुर और फुलपरास से पर्चा भरने का प्लान कर रहे हैं. दो सीटों से चुनाव लड़ने की संभावना से राजनीतिक समीकरणों में बदलाव आ सकता है.