JD(U)
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AIMIM
IND
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AJPP
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Darbhanga Rural Election Results Live: दरभंगा ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र में JD(U) को मिली जीत, जानें पूरा रिजल्ट
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दरभंगा ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र बिहार के दरभंगा जिले में स्थित एक सामान्य श्रेणी का निर्वाचन क्षेत्र है. यह दरभंगा लोकसभा सीट का हिस्सा है और इसमें संपूर्ण मनीगाछी प्रखंड तथा दरभंगा ब्लॉक के 17 ग्राम पंचायत शामिल हैं. यह क्षेत्र दरभंगा शहर की नगरपालिका सीमा से सटा हुआ है, जो मिथिला की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक राजधानी माना जाता है. क्षेत्र की पहचान एक प्रमुख कृषि प्रधान क्षेत्र के रूप में है, हालांकि इसकी निकटता शहर से इसे ग्रामीण और उभरते शहरी स्वरूप का मिश्रण भी प्रदान करती है.
दरभंगा ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र की स्थापना वर्ष 1977 में हुई थी और शुरुआत में इसे अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित किया गया था. लेकिन 2008 में परिसीमन आयोग की सिफारिशों के बाद यह सीट सामान्य श्रेणी में बदल दी गई, जो 2010 के विधानसभा चुनाव से प्रभावी हुआ. सीट की आरक्षण स्थिति में बदलाव का राजनीतिक वर्चस्व पर कोई खास असर नहीं पड़ा, क्योंकि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने वर्ष 2000 से लगातार छह चुनावों में इस सीट पर जीत दर्ज की है.
साल 2000 और 2005 के दोनों चुनावों में पिताम्बर पासवान ने राजद का प्रतिनिधित्व किया, जबकि 2010 से लेकर अब तक लालित कुमार यादव तीन बार लगातार विधायक निर्वाचित हुए हैं. इससे पहले जनता पार्टी और जनता दल ने 1977, 1980, 1990 और 1995 में दो-दो बार इस सीट पर जीत दर्ज की थी. कांग्रेस को इस सीट पर एकमात्र जीत 1985 में मिली थी.
2020 के विधानसभा चुनाव में राजद ने सीट तो बरकरार रखी, लेकिन जीत का अंतर बेहद कम रहा. लालित कुमार यादव को 64,929 वोट मिले जबकि जदयू के फराज फातमी को 62,788 वोट प्राप्त हुए. लोजपा की स्वतंत्र रूप से चुनावी भागीदारी निर्णायक रही, जिसने 17,605 वोट प्राप्त कर विरोधी मतों को विभाजित कर दिया. यदि जदयू और लोजपा के वोटों को जोड़ दिया जाए, तो कुल 80,393 मत पड़ते हैं, जो राजद के वोटों से 15,464 अधिक हैं. यह आंकड़ा मतदाता रुझानों में बदलाव का संकेत देता है.
2020 में दरभंगा ग्रामीण में कुल 2,90,732 पंजीकृत मतदाता थे. इनमें लगभग 61,800 (21.25%) अनुसूचित जाति और लगभग 65,100 (22.39%) मुस्लिम मतदाता शामिल थे. उस चुनाव में 54.12% मतदान हुआ, जो पिछले तीन विधानसभा चुनावों में सबसे कम था. कम मतदान ने भी वोटों के बंटवारे और कम मार्जिन को प्रभावित किया.
2024 के लोकसभा चुनाव में एनडीए के पुनर्गठन और लोजपा की वापसी ने दरभंगा ग्रामीण में भाजपा को बड़ी बढ़त दिलाई. इस बार राजद के मुकाबले एनडीए ने इस विधानसभा खंड में 27,000 से अधिक मतों की बढ़त हासिल की. यह प्रदर्शन सिर्फ स्थानीय स्तर पर ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तर बिहार में एनडीए की मजबूत वापसी का प्रतीक है, जिसमें बूथ स्तर पर मजबूत संगठन और जातीय समीकरणों की पुनर्व्याख्या ने बड़ी भूमिका निभाई.
2024 के लोकसभा चुनाव से पहले मतदाताओं की संख्या बढ़कर 2,98,481 हो गई. इस क्षेत्र की सामाजिक और राजनीतिक संरचना अब भी अपने दलित मतदाता आधार और कृषि आधारित अर्थव्यवस्था से प्रभावित है, खासकर मनीगाछी ब्लॉक में. दरभंगा शहर से जुड़ाव ने व्यापार, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच को आसान बनाया है, लेकिन बाहरी पंचायतों में अब भी बुनियादी ढांचे की कमी बनी हुई है. स्थानीय मुद्दों में सड़क संपर्क, सिंचाई, बिजली आपूर्ति और स्कूलों में नामांकन दर प्रमुख हैं. साथ ही, मौसमी पलायन यहां की एक स्थायी सामाजिक प्रवृत्ति बनी हुई है.
एनडीए की बढ़ती ताकत और राजद की कमजोर होती पकड़ के बीच दरभंगा ग्रामीण 2025 के विधानसभा चुनाव में एक दिलचस्प मुकाबले की ओर बढ़ रहा है. अब देखना यह होगा कि क्या राजद अपनी सीट बचा पाएगा या फिर भाजपा-जदयू गठबंधन लोकसभा चुनाव में मिली बढ़त को विधानसभा जीत में बदलने में सफल होगा.
(अजय झा)
Faraz Fatmi
JD(U)
Pradeep Kumar Thakur
LJP
Nota
NOTA
Deo Narayan Gupta
IND
Azizur Rahaman
IND
Sunil Kumar Mandal
BSP
Rakesh Kumar Mandal
RJSBP
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.