JD(U)
CPI(ML)(L)
JSP
IND
Nota
NOTA
IND
RLJP
AAP
HAM(U)
IND
IND
BSP
RTRP
RJSBP
Bihar Election Result 2025 Live: वारिसनगर विधानसभा सीट पर JD(U) को दोबारा मिली जीत
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Bihar Assembly Election Results 2025 Live: दिग्गज कैंडिडेट्स के क्या हैं हाल?
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Warisnagar Election Results 2025 Live: वारिसनगर सीट पर उलटफेर! CPI(ML)(L) भारी अंतर से पीछे
Bihar Assembly Election Results 2025 Live: दिग्गज कैंडिडेट्स के क्या हैं हाल?
बिहार के समस्तीपुर जिले में स्थित वारिसनगर एक प्रखंड स्तरीय कस्बा है, जो समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र की एक महत्वपूर्ण विधानसभा सीट भी है. गंगा के मैदानी क्षेत्र में बसे इस इलाके की भूमि को समीपवर्ती कमला और कोसी नदियों की उपस्थिति उपजाऊ बनाती है. यहां की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि पर आधारित है, जहां धान, गेहूं, मक्का और दालें प्रमुख फसलें हैं. इसके अलावा, आलू, प्याज, टमाटर, बैंगन और फूलगोभी जैसी सब्जियां भी बड़े पैमाने पर उगाई जाती हैं. वारिसनगर प्रखंड के रोहुआ गांव को तंबाकू की खेती के लिए विशेष रूप से जाना जाता है. डेयरी उद्योग भी यहां की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाता है, जहां अनुमानित 60 से 70 प्रतिशत आबादी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि गतिविधियों में संलग्न है.
समस्तीपुर जिला मुख्यालय वारिसनगर से मात्र 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. अन्य प्रमुख शहरों में दलसिंहसराय (25 किमी), रोसड़ा (35 किमी), बेगूसराय (55 किमी) और मंडलीय मुख्यालय दरभंगा (65 किमी) शामिल हैं. राज्य की राजधानी पटना वारिसनगर से लगभग 108 किलोमीटर दूर है.
वर्ष 1951 में स्थापित वारिसनगर विधानसभा क्षेत्र में वारिसनगर और खानपुर प्रखंडों के साथ-साथ शिवाजी नगर प्रखंड की छह ग्राम पंचायतें शामिल हैं. यह समस्तीपुर लोकसभा सीट के छह विधानसभा खंडों में से एक है.
2020 के विधानसभा चुनावों में वारिसनगर में कुल 3,22,259 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें से अनुसूचित जातियों की हिस्सेदारी 19.11 प्रतिशत और मुस्लिम आबादी 12.50 प्रतिशत थी. 2024 के लोकसभा चुनावों में मतदाताओं की संख्या बढ़कर 3,34,383 हो गई. 2020 में 59.01 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया, जो पिछले चुनावों की तुलना में थोड़ा कम था.
वारिसनगर में कुशवाहा (कोरी) और कुर्मी समुदाय के मतदाता चुनाव परिणामों पर गहरा प्रभाव डालते हैं. दिलचस्प बात यह है कि बिहार की प्रमुख दो पार्टियां, भाजपा और राजद इस क्षेत्र में वर्षों से सक्रिय नहीं हैं. राजद ने लगातार चार चुनावों में हार के बाद 2010 के बाद से यहां चुनाव लड़ना बंद कर दिया और सहयोगी दलों का समर्थन करने की रणनीति अपनाई. वहीं भाजपा ने अक्टूबर 2005 की दूसरी हार के बाद यहां से हटने का निर्णय लिया और जदयू व लोजपा जैसे सहयोगियों को समर्थन देना शुरू किया. कांग्रेस, जो केवल 1972 में एक बार जीत दर्ज कर पाई थी, लगातार हार और जमानत जब्त की घटनाओं के चलते चुनावी परिदृश्य से गायब हो गई. वाम दलों में सीपीआई ने भी लगातार असफलता के कारण यहां से हटने का फैसला किया. इन प्रमुख दलों की अनुपस्थिति में क्षेत्रीय दलों को अपनी पैठ जमाने का अवसर मिला.
वारिसनगर में अब तक कुल 17 विधानसभा चुनाव (दो उपचुनाव सहित) हो चुके हैं. जदयू ने यहां चार बार जीत हासिल की है, जबकि लोजपा और जनता दल ने तीन-तीन बार, जनता पार्टी और संयुक्त समाजवादी पार्टी ने दो-दो बार और सोशलिस्ट पार्टी, कांग्रेस तथा एक निर्दलीय प्रत्याशी ने एक-एक बार जीत दर्ज की है.
वर्ष 2000 से क्षेत्रीय दलों का वर्चस्व शुरू हुआ, जब जदयू ने पहली बार जीत दर्ज की. इसके बाद लोजपा ने लगातार तीन चुनावों में सफलता पाई. 2010 से जदयू ने फिर वापसी की और लगातार तीन बार सीट अपने पास रखी. वर्तमान विधायक अशोक कुमार (जदयू) 2010 से सीट पर काबिज हैं. हालांकि, उनकी जीत का अंतर 2015 में 58,573 वोटों से घटकर 2020 में मात्र 13,801 वोट रह गया, जिसका एक कारण लोजपा की तीसरे दल के रूप में मौजूदगी थी, जिसे 12.60 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए.
अब जब जदयू और लोजपा (रामविलास) भाजपा नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन में एकजुट हो चुके हैं, तो 2025 के विधानसभा चुनावों में एनडीए की स्थिति यहां मजबूत मानी जा रही है. इसका संकेत 2024 के लोकसभा चुनावों में भी मिला, जब समस्तीपुर लोकसभा सीट के लिए लोजपा (रामविलास) के प्रत्याशी को वारिसनगर विधानसभा खंड में 33,342 मतों की बढ़त प्राप्त हुई.
(अजय झा)
Phoolbabu Singh
CPI(ML)(L)
Urmila Sinha
LJP
B. K. Singh
RLSP
Dilep Roy
IND
Ramesh Kumar Ray
IND
Md. Naushad
JAP(L)
Tanveer Ahmad
IND
Nota
NOTA
Kriti King
PP
Vinay Kumar
BSLP
Ramchandra Mahto
IND
Abhinav Raj
IND
Ashok Ray
IND
Suraj Kumar
IND
Ram Kumar Sahani
SJDD
Upendra Sharma
RJJP
Allama Shibli Nomani Hashmi
JNP
Archana Rani
IND
Ram Pukar Thakur
IND
Dinesh Kumar Ray
BLRP
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर पार्टी के भीतर निराशा है. शशि थरूर ने 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' की मांग की, जबकि अन्य नेताओं ने हार का कारण संगठन की कमजोरी, गलत टिकट वितरण और जमीनी हकीकत से कटे कुछ नेताओं को बताया.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.
बिहार चुनाव के नतीजों में एनडीए को प्रचंड बहुमत मिला है, वहीं तेजस्वी यादव का महागठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. एनडीए की इस भारी सियासी लहर के बीच ओवैसी सीमांचल में अपना किला बचाने और पांच सीटों पर दोबारा कब्जा जमाने में सफल रहे. AIMIM ने उन सीटों को भी फिर जीत लिया, जहां 2020 में विजय हासिल करने के बाद उसके विधायक आरजेडी में शामिल हो गए थे.
दो चरणों में 6 और 11 नवंबर को हुए मतदान में 66.91% वोटिंग हुई, जो 1951 के बाद से बिहार में सबसे अधिक है. रिकॉर्ड महिला वोटिंग और 3.51 करोड़ से अधिक मतदाताओं की भागीदारी ने इस चुनाव को ऐतिहासिक बना दिया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार में मिली प्रचंड जीत के लिए जनता का आभार व्यक्त किया. उन्होंने NDA की ताकत और कांग्रेस की कमजोरियों को साझा किया. मोदी ने तीन शब्दों में इस जीत की व्याख्या की - 'गर्दा उड़ा दिया'. उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह अब मुस्लिम लीगी माओवादी पार्टी बन गई है जिसकी राजनीति देश के लिए सकारात्मक नहीं है.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार की जोड़ी ने एक बार फिर अप्रत्याशित और प्रचंड जीत हासिल की है. प्रधानमंत्री मोदी ने कार्यकर्ताओं को गमछा लहराकर अभिवादन किया और जनता का धन्यवाद किया. अमित शाह की रणनीति और चुनावी प्रबंधन ने टीम NDA को सफलता दिलाई जिसकी वजह से महागठबंधन को बड़ी हार का सामना करना पड़ा.