JD(U)
INC
CPI
IND
JSP
IND
ASP(K)
Nota
NOTA
RLJP
BSP
TPP
SUCI
SAAF
JTAWP
AIFB
Raja Pakar (SC) Election Results Live: राजापाकड़ (एससी) निर्वाचन क्षेत्र में JD(U) को मिली जीत, जानें पूरा रिजल्ट
Raja Pakar (SC) Election Results 2025 Live: राजापाकड़ (एससी) विधानसभा सीट पर JD(U) ने फहराया परचम, जानें प्रत्याशी Mahendra Ram को मिली कितनी बड़ी जीत
Raja Pakar (SC) Vidhan Sabha Result Live: राजापाकड़ (एससी) सीट पर बड़ा उलटफेर! जानिए क्या कह रहे ताजा आंकड़े
Raja Pakar (SC) Vidhan Sabha Chunav Result Live: बिहार के मिथिलांचल क्षेत्र में पार्टियों/गठबंधनों का प्रदर्शन कैसा है?
Raja Pakar (SC) Election Result 2025 Live: राजापाकड़ (एससी) का रिजल्ट जानना है? यहां मिलेगा हर अपडेट
Raja Pakar (SC) Assembly Election Result Live: राजापाकड़ (एससी) में INC पीछे, JD(U) आगे! जानें वोटों का अंतर कितना
राजा पाकर, बिहार के वैशाली जिले में स्थित एक विधानसभा क्षेत्र है जो हाजीपुर लोकसभा सीट का हिस्सा है. यह राजा पाकर सामुदायिक विकास खंड का मुख्यालय भी है और महुआ अनुमंडल में आता है. भौगोलिक दृष्टि से यह क्षेत्र वैशाली और सारण जिलों के संगम पर स्थित है. यह जिला मुख्यालय हाजीपुर से लगभग 17 किमी दूर है. इसके आसपास के प्रमुख नगरों में सारण जिले का सोनपुर (18 किमी), महनार बाजार (23 किमी) और लालगंज (25 किमी) शामिल हैं. मुजफ्फरपुर (50 किमी) और बिहार की राजधानी पटना (40 किमी) इसके निकटतम प्रमुख शहर हैं.
गंडक और गंगा जैसी नदियों के समीप बसे राजा पाकर की समतल भूमि कृषि के लिए अत्यंत उपयुक्त है. यहां की मुख्य आजीविका खेती है, जिसमें धान, गेहूं और मक्का प्रमुख फसलें हैं. हाल के वर्षों में केला उत्पादन ने इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाई है. गोरौल स्थित केला अनुसंधान केंद्र द्वारा उच्च उपज व रोग प्रतिरोधक किस्मों के प्रचार-प्रसार से किसान लाभान्वित हो रहे हैं.
हालांकि राजा पाकर का कोई स्वतंत्र ऐतिहासिक विवरण उपलब्ध नहीं है, लेकिन यह प्राचीन वैशाली नगरी (सिर्फ 36 किमी दूर) के निकट स्थित है, जिससे इसके ऐतिहासिक प्रभाव से इंकार नहीं किया जा सकता.
राजा पाकर विधानसभा क्षेत्र का गठन 2008 में परिसीमन आयोग की सिफारिशों के बाद हुआ था. यह अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित है और हाजीपुर (SC) लोकसभा क्षेत्र के छह विधानसभा खंडों में से एक है. इसमें राजा पाकर, देसरी और सहदेई बुजुर्ग सामुदायिक विकास खंड शामिल हैं.
राजा पाकर ने अब तक तीन अलग-अलग दलों को विजय का मौका दिया है, 2010 में जनता दल (यूनाइटेड), 2015 में राष्ट्रीय जनता दल (राजद), और 2020 में कांग्रेस. यहां राजनीतिक गठबंधनों ने हमेशा महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
2010 में जेडीयू ने भाजपा के सहयोग से 10,215 मतों से जीत दर्ज की थी, लेकिन बाद में गठबंधन बदलने पर इस सीट को राजद को सौंप दिया गया. 2015 में राजद ने 15,155 वोटों से जीत हासिल की. 2020 में जब जेडीयू दोबारा भाजपा के साथ हो गई, तो राजद ने यह सीट अपने सहयोगी कांग्रेस को दी, जिसने एलजेपी की एनडीए से बगावत और 24,689 वोट बटोरने के कारण 1,796 मतों के मामूली अंतर से जीत हासिल की.
2024 के लोकसभा चुनाव में यह समीकरण फिर बदला, जब जेडीयू और एलजेपी (रामविलास) में फिर से मेल हुआ. एलजेपी (रामविलास) के चिराग पासवान ने राजा पाकर विधानसभा क्षेत्र में 27,604 मतों की बढ़त बनाई.
2020 के विधानसभा चुनाव में राजा पाकर में 2,72,256 पंजीकृत मतदाता थे. इनमें अनुसूचित जाति के मतदाता 22.41% और मुस्लिम मतदाता 6.70% थे. यह एक पूर्णतः ग्रामीण क्षेत्र है, जहां शहरी मतदाताओं की संख्या शून्य है. 2024 के लोकसभा चुनाव में मतदाता संख्या बढ़कर 2,84,024 हो गई, हालांकि इस दौरान 3,314 मतदाता प्रवास कर गए थे.
2025 के विधानसभा चुनाव करीब आते ही राजा पाकर एक बार फिर से राजनीतिक चर्चा में है. चाहे एनडीए गठबंधन से कोई भी दल मैदान में उतरे, वर्तमान स्थिति को देखते हुए एनडीए को बढ़त हासिल मानी जा रही है. कांग्रेस विधायक प्रतिमा कुमारी दास के लिए यह सीट बरकरार रखना आसान नहीं होगा. उनका एकमात्र दांव उन 45% मतदाताओं को मतदान केंद्रों तक लाने का हो सकता है, जो अब तक मतदान से परहेज करते आए हैं. आंकड़े बताते हैं कि इस सीट पर अब तक औसतन केवल 55% मतदाता ही मतदान करते हैं.
(अजय झा)
Mahendra Ram
JD(U)
Dhananjay Kumar
LJP
Nota
NOTA
Manohar Kumar
IND
Prema Devi
IND
Pharesh Ram
BSP
Bedami Devi
IND
Ashok Kumar Mallik
JAP(L)
Amar Paswan
IND
Kanhai Pankaj
APOI
Savita Devi
RJSBP
Ramji Bhakata
JDR
Er. Rajkumar Paswan
YBP
Umesh Ram
SUCI
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर पार्टी के भीतर निराशा है. शशि थरूर ने 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' की मांग की, जबकि अन्य नेताओं ने हार का कारण संगठन की कमजोरी, गलत टिकट वितरण और जमीनी हकीकत से कटे कुछ नेताओं को बताया.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.