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Bisfi Vidhan Sabha Results Live: बिहार की बिस्फी विधानसभा सीट पर RJD का दबदबा, BJP को हराया
Bihar Assembly Election Results 2025 Live: दिग्गज कैंडिडेट्स के क्या हैं हाल?
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Bisfi Election Result 2025 Live: बिस्फी का रिजल्ट जानना है? यहां मिलेगा हर अपडेट
बिहार के मधुबनी जिले में स्थित बिस्फी विधानसभा क्षेत्र मधुबनी लोकसभा सीट का हिस्सा है. इसमें बिस्फी प्रखंड के सभी पंचायत और रहिका प्रखंड की 12 ग्राम पंचायतें शामिल हैं. यह क्षेत्र मिथिला की सांस्कृतिक परंपरा से गहराई से जुड़ा हुआ है. 14वीं शताब्दी के प्रसिद्ध मैथिली कवि विद्यापति का यह जन्मस्थान माना जाता है. इसके अलावा बिस्फी का संबंध प्राचीन विद्वानों जैसे याज्ञवल्क्य और चंद्रेश्वर ठाकुर से भी रहा है, जिससे यह क्षेत्र मैथिली बौद्धिक परंपरा का प्रमुख केंद्र माना जाता है.
बिस्फी विधानसभा क्षेत्र की स्थापना 1967 में हुई थी और अब तक यहां 14 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. इस दौरान भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) ने 5 बार, कांग्रेस ने 4 बार, राजद और निर्दलीय उम्मीदवारों ने 2-2 बार जीत दर्ज की है. वर्ष 2020 में पहली बार भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने यहां जीत हासिल की, जब पार्टी उम्मीदवार हरिभूषण ठाकुर ने राजद प्रत्याशी फैयाज़ अहमद को 10,282 वोटों से हराया. फैयाज़ अहमद इससे पहले 2010 और 2015 में जीत चुके थे.
बिस्फी में लगभग एक-तिहाई वोटर मुस्लिम समुदाय से आते हैं, जो पारंपरिक रूप से भाजपा का समर्थन नहीं करते. इसके बावजूद भाजपा की जीत को राजनीतिक रूप से बेहद अहम माना गया. 2024 लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ने बिस्फी विधानसभा क्षेत्र में राजद पर 6,783 वोटों की बढ़त बनाई, हालांकि यह 2019 की तुलना में काफी कम रही, जब पार्टी को 59,775 वोटों की लीड मिली थी.
2020 विधानसभा चुनाव में बिस्फी में कुल 3,28,098 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें 1,01,710 मुस्लिम वोटर (31%) और 36,156 अनुसूचित जाति वोटर (11.02%) शामिल थे. यह पूरी तरह ग्रामीण क्षेत्र था, जहां शहरी मतदाता शून्य रहे. उस चुनाव में सबसे अधिक मतदान प्रतिशत 54.63% दर्ज हुआ. 2024 तक मतदाताओं की संख्या बढ़कर 3,36,583 हो गई, जबकि लगभग 3,848 मतदाता इस बीच स्थानांतरित हो गए.
भौगोलिक दृष्टि से बिस्फी बाढ़-ग्रस्त मिथिला क्षेत्र में स्थित है. यह समतल और उपजाऊ भूमि है, जहां कृषि मुख्य व्यवसाय है. धान, गेहूं और दालें प्रमुख फसलें हैं, लेकिन सिंचाई की कमी के कारण किसान अब भी मानसून पर निर्भर रहते हैं. सड़क, स्कूल और स्वास्थ्य केंद्र जैसी सार्वजनिक सुविधाएं पर्याप्त रूप से विकसित नहीं हो पाई हैं. रोजगार के अभाव में यहां के युवा अक्सर मौसमी पलायन करते हैं.
बिस्फी, मधुबनी जिला मुख्यालय से लगभग 10 किमी, दरभंगा से 25 किमी, पटना से 165 किमी, सीतामढ़ी से 54 किमी, समस्तीपुर से 75 किमी और मुज़फ्फरपुर से लगभग 86 किमी दूर स्थित है.
हाल के वर्षों में भाजपा ने बिस्फी में मजबूत पकड़ बनाई है, लेकिन 2025 में जीतना आसान नहीं होगा. राजद गठबंधन कड़ी टक्कर दे रहा है. चुनाव आयोग द्वारा कराई गई विशेष पुनरीक्षण प्रक्रिया (SIR) भी मतदाताओं की सोच को प्रभावित कर सकती है. ऐसे में कहा जा सकता है कि आने वाला विधानसभा चुनाव बिस्फी में बेहद कड़ा और रोमांचक मुकाबला साबित होगा.
(अजय झा)
Faiyaz Ahmad
RJD
Nota
NOTA
Raj Kumar Mukhiya
IND
Pushpam Priya
PP
Taukir
NCP
Avdhesh Kumar
JTLP
Indrajeet Mahto
IND
Manish Kumar
IND
Md Ausaf
SJDD
Bharat Paswan
IND
Ashok Kumar Roy
IND
Arvind Kumar Mishra
IND
Maheshwar Prasad Choudhary
IND
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर पार्टी के भीतर निराशा है. शशि थरूर ने 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' की मांग की, जबकि अन्य नेताओं ने हार का कारण संगठन की कमजोरी, गलत टिकट वितरण और जमीनी हकीकत से कटे कुछ नेताओं को बताया.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.