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Bihar Election Result 2025 Live: बरुराज विधानसभा सीट पर BJP को दोबारा मिली जीत
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बरूराज विधानसभा क्षेत्र बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में स्थित एक सामान्य वर्ग की सीट है, जो वैशाली लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है. यह क्षेत्र मोतीपुर प्रखंड और पारू प्रखंड के चोचहिन छपरा एवं सरैया ग्राम पंचायतों को सम्मिलित करता है.
बरूराज ऐतिहासिक रूप से गंडक बेसिन का हिस्सा रहा है, जहां उपजाऊ जलोढ़ मिट्टी के कारण गन्ना, धान और मक्का जैसी फसलें प्रमुखता से उगाई जाती हैं. यह क्षेत्र मुजफ्फरपुर जिला मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में तथा मोतीपुर (नजदीकी शहरी केंद्र और रेलवे जंक्शन) से मात्र तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. वहीं, वैशाली जिला मुख्यालय हाजीपुर यहां से 73 किलोमीटर और राज्य की राजधानी पटना लगभग 83 किलोमीटर दूर है.
बरूराज विधानसभा क्षेत्र की स्थापना 1951 में हुई थी और तब से अब तक यहां 17 बार चुनाव हो चुके हैं. कांग्रेस ने इस सीट पर अब तक 5 बार जीत दर्ज की है, जबकि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) तीन बार जीती. जनता दल और जनता दल (यूनाइटेड) को दो-दो बार सफलता मिली है. इसके अलावा संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, लोक दल, एक निर्दलीय प्रत्याशी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने एक-एक बार जीत हासिल की है.
2020 में भाजपा ने इस सीट पर पहली बार जीत दर्ज की. भाजपा के अरुण कुमार सिंह ने तत्कालीन राजद विधायक नंद कुमार राय को 43,654 मतों के बड़े अंतर से हराया. सिंह को 87,407 (49.47%) मत मिले, जबकि राय को 43,753 (24.76%) वोट मिले. बहुजन समाज पार्टी के हीरालाल खड़िया को 22,650 (12.82%) वोट प्राप्त हुए, वहीं निर्दलीय राकेश कुमार को 7,304 (4.13%) मत मिले. कुल मतदान प्रतिशत 61.12 रहा.
2020 विधानसभा चुनाव में बरुराज में 2,89,045 पंजीकृत मतदाता थे, जो 2024 के लोकसभा चुनाव तक घटकर 2,82,917 रह गए. चुनाव आयोग के अनुसार, 2020 की मतदाता सूची से 1,859 मतदाता 2024 तक प्रवास कर चुके थे, जिससे यह बिहार के उन चुनिंदा क्षेत्रों में शामिल हो गया जहां मतदाता संख्या में गिरावट दर्ज की गई.
इस सीट पर लगातार विधायकों को बदलने की परंपरा रही है. सुशील कुमार राय ने 1985 से 2000 तक लोक दल, जनता दल और जद (यू) के टिकट पर चार बार लगातार जीत हासिल की थी, लेकिन उनके बाद से कोई भी विधायक दोबारा निर्वाचित नहीं हो पाया है. हालांकि, लोकसभा चुनावों में यह अस्थिरता नहीं दिखती. 2014 से लेकर अब तक एनडीए की सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने वैशाली लोकसभा सीट पर लगातार बढ़त बनाई है. 2024 के आम चुनावों में लोजपा की वीणा देवी ने बरुराज विधानसभा क्षेत्र में 18,556 मतों की बढ़त बनाए रखी.
बरूराज की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है, जिसमें गन्ना की खेती प्रमुख है. हालांकि, यह क्षेत्र संकट में है. समीपवर्ती चीनी मिलों को गन्ना आपूर्ति करने वाले किसानों का ₹31.20 करोड़ बकाया है. राजद इस मुद्दे को लेकर किसानों के असंतोष को राजनीतिक रूप से भुना रही है, जबकि एनडीए सरकार अब तक कोई ठोस समाधान नहीं दे सकी है.
पर्यावरणीय समस्याएं भी इस क्षेत्र को प्रभावित कर रही हैं. 2020 से अब तक नदी कटाव के चलते नौ गांवों में 1,800 से अधिक परिवार विस्थापित हो चुके हैं. बिहार आर्थिक सर्वेक्षण 2024 के अनुसार, यहां युवाओं (18–35 आयु वर्ग) में बेरोजगारी दर 19.10% है. 2019 के मुकाबले 41% अधिक युवा रोजगार के लिए पलायन कर चुके हैं, जिससे क्षेत्र का जनसांख्यिकीय और सामाजिक-राजनीतिक संतुलन प्रभावित हुआ है.
भले ही वर्तमान में भाजपा को इस क्षेत्र में बढ़त मिलती दिख रही हो, लेकिन किसानों और विस्थापित परिवारों के बीच बढ़ते असंतोष को राजद एक मौके के रूप में देख रही है. यदि यह असंतोष मतदान में परिवर्तित होता है, तो 2025 का विधानसभा चुनाव बरूराज में एक अप्रत्याशित मोड़ ला सकता है, जो अब तक के तय राजनीतिक समीकरणों को बदल कर रख दे.
(अजय झा)
Nand Kumar Rai
RJD
Hiralal Khadia
BSP
Rakesh Kumar
IND
Nota
NOTA
Sanjay Kumar Paswan
IND
Bhuneshwar Rai
IND
Mazhraul Haque
IND
Mohamad Anzar
IND
Ranjan Kumar
VBA
Abhay Kumar
BVP
Santosh Kumar
HSAP
Vicky Ram
AIMIEM
Dilip Kumar
PP
Vidhalal Sahni
LCD
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
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बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
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