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Sahebganj Vidhan Sabha Chunav Result Live: Raju Kumar Singh ने साहेबगंज विधानसभा सीट पर लहराया परचम
Sahebganj Election Results 2025 Live: साहेबगंज विधानसभा सीट पर BJP ने फहराया परचम, जानें प्रत्याशी Raju Kumar Singh को मिली कितनी बड़ी जीत
Sahebganj Vidhan Sabha Result Live: साहेबगंज में BJP कैंडिडेट Raju Kumar Singh निकले सबसे आगे
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साहेबगंज बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में स्थित एक सामान्य वर्ग का विधानसभा क्षेत्र है, जो वैशाली लोकसभा सीट का हिस्सा है. यह साहेबगंज सामुदायिक विकास खंड और पारू ब्लॉक की 20 ग्राम पंचायतों को सम्मिलित करता है.
साहेबगंज एक ब्लॉक है, जो मुजफ्फरपुर जिला मुख्यालय से लगभग 57 किमी पश्चिम में स्थित है. यह मोतिहारी से लगभग 42 किमी दक्षिण-पूर्व, बेतिया से 60 किमी दक्षिण, हाजीपुर से 90 किमी और पटना से 110 किमी उत्तर-पश्चिम में स्थित है.
इस विधानसभा क्षेत्र की स्थापना 1951 में हुई थी और पहली बार 1952 में चुनाव हुए थे. लेकिन 1951 की जनगणना के आधार पर 1957 के चुनाव में इसे चुनावी नक्शे से हटा दिया गया. 1961 की जनगणना के बाद 1962 में इसे पुनः बहाल किया गया. तब से लेकर अब तक यहां 17 बार चुनाव हो चुके हैं, जिसमें एक उपचुनाव (1982) भी शामिल है.
कांग्रेस पार्टी ने शुरुआती दशकों में इस क्षेत्र पर दबदबा बनाए रखा और कुल 7 बार सीट जीतने में सफलता पाई, हालांकि अंतिम जीत 1985 में हुई थी. इसके बाद जनता दल, जनता दल (यूनाइटेड) और राष्ट्रीय जनता दल ने दो-दो बार जीत दर्ज की है. इसके अलावा भाकपा, लोक जनशक्ति पार्टी, विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) और एक निर्दलीय उम्मीदवार ने भी एक-एक बार यह सीट जीती है.
हालिया वर्षों में इस क्षेत्र में सबसे प्रमुख चेहरा राजू कुमार सिंह रहे हैं, जिन्होंने पिछले पांच में से चार चुनाव जीते हैं. केवल 2015 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. सिंह का राजनीतिक सफर दल बदल की वजह से काफी चर्चा में रहा है.
फरवरी 2005 में एलजेपी से चुनाव जीतकर शुरुआत की. अक्टूबर 2005 और 2010 में जेडीयू से जीत हासिल की. 2015 में जब जेडीयू ने राजद के साथ गठबंधन किया, तो वे बीजेपी में चले गए, लेकिन हार गए. 2020 में वीआईपी से एनडीए उम्मीदवार बनकर जीत दर्ज की. बाद में जब वीआईपी राजद के करीब आया, तो वे तीन अन्य विधायकों के साथ बीजेपी में लौट आए.
2020 में वीआईपी उम्मीदवार के रूप में राजू कुमार सिंह ने 81,203 वोट हासिल किए और राजद के राम विचार राय को 15,333 वोटों से हराया. इस चुनाव में कुल 59.56 प्रतिशत मतदान हुआ. हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनावों में एलजेपी की वीणा देवी ने साहेबगंज विधानसभा खंड में केवल 4,504 वोटों की बढ़त हासिल की, जो आगामी विधानसभा चुनाव में मुकाबले के कांटे की ओर इशारा करता है.
2020 के चुनाव में साहेबगंज में कुल 3,08,120 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें लगभग 29,745 अनुसूचित जाति (9.65%), 1,012 अनुसूचित जनजाति (0.33%) और 39,747 मुस्लिम मतदाता (12.9%) शामिल थे. 2024 लोकसभा चुनाव तक यह संख्या घटकर 3,00,986 रह गई. बिहार के कुछ दुर्लभ क्षेत्रों में से एक, जहां मतदाताओं की संख्या में गिरावट आई है.
2019 से 2023 के बीच नदी कटाव के कारण 14 गांव पूरी तरह से नक्शे से मिट गए, जिससे सैकड़ों परिवार विस्थापित हो गए और क्षेत्र की जनसंख्या तथा चुनावी संतुलन में बदलाव आया.
क्षेत्र की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि पर आधारित है, और यहां के लगभग 40% किसान गन्ना उत्पादन पर निर्भर हैं. हालांकि, यह क्षेत्र गंभीर संकट से गुजर रहा है- तीन चीनी मिलों पर किसानों का कुल ₹47 करोड़ बकाया है. एक मिल बंद हो चुकी है, एक दिवालियापन की प्रक्रिया में है, और तीसरी 30% क्षमता पर ही चल रही है क्योंकि उसकी मशीनरी ब्रिटिश काल की है और खरीद दर प्रतिस्पर्धी नहीं है.
राजद ने किसानों के बकाए को लेकर आंदोलन तेज किया है, जबकि बिहार की एनडीए सरकार अब तक कोई ठोस समाधान नहीं दे सकी है। यह मुद्दा 2025 के चुनावों में अहम भूमिका निभा सकता है।
राजू कुमार सिंह के खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें सबसे चर्चित 2018 की एक घटना है, जब उनके दिल्ली फार्महाउस पर न्यू ईयर पार्टी में हुई फायरिंग से एक महिला वास्तुकार की मृत्यु हो गई थी. बावजूद इसके, उनका चुनावी प्रदर्शन प्रभावित नहीं हुआ है.
अब सवाल यह है कि क्या बीजेपी 2025 में फिर से उन्हें टिकट देगी? सीट पर घटता अंतर और किसानों के बीच बढ़ती नाराजगी इशारा कर रहे हैं कि साहेबगंज में अगला चुनाव बेहद संघर्षपूर्ण हो सकता है.
(अजय झा)
Ramvichar Rai
RJD
Krishna Kumar Singh
LJP
Md. Moqeem
AIMIEM
Sudhir Kumar
RSSD
Pramod Kumar
RJJP
Umesh Kumar
RJVP
Bharat Prasad
RTMGP
Rajesh Kumar
HSJP
Shiv Kumar Rai
IND
Yadav Lal Patel
SUCI
Dr. Meera Kaumudi
IND
Md. Sakim
MVJP
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Devesh Chandra
SJDD
Dr. Mohammad Nabi Hassan
AIMF
Pankaj Kumar
AIFB
Veena Kumari
ABHJP
Suresh Sahani
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Raju Kumar
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Sunil Kumar Singh
IND
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर पार्टी के भीतर निराशा है. शशि थरूर ने 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' की मांग की, जबकि अन्य नेताओं ने हार का कारण संगठन की कमजोरी, गलत टिकट वितरण और जमीनी हकीकत से कटे कुछ नेताओं को बताया.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.