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SUCI
Paroo Vidhan Sabha Results Live: बिहार की पारू विधानसभा सीट पर RJD का दबदबा, RLM को हराया
Bihar Assembly Election Results 2025 Live: दिग्गज कैंडिडेट्स के क्या हैं हाल?
Bihar Election Results Live: बिहार चुनाव में राजनीतिक गठबंधनों का प्रदर्शन कैसा है?
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Paroo Assembly Election Results Live: Bihar की Paroo सीट पर मुकाबला एकतरफा! RJD ने ली बड़ी बढ़त
Paroo Vidhan Sabha Chunav Result Live: बिहार के मिथिलांचल क्षेत्र में पार्टियों/गठबंधनों का प्रदर्शन कैसा है?
पारू, बिहार के मुजफ्फरपुर जिले की एक विधानसभा सीट है, जो वैशाली लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है. यह एक सामान्य श्रेणी की सीट है, जिसमें सरैया प्रखंड और पारू प्रखंड के कई ग्राम पंचायत शामिल हैं, जैसे मणिकपुर भगवानपुर सिमरा, चिंतामनपुर, जगदीशपुर बाया, कमलपुरा, कोरिया निजामत, लालू छपरा, पारू उत्तर, पारू दक्षिण, रघुनाथपुर, रामपुर केशो उर्फ मलाही, बजितपुर और मंगुरहिया. यह पूरी तरह से ग्रामीण क्षेत्र है, जहां शहरी मतदाता नहीं हैं.
पारू कस्बा जिला मुख्यालय मुजफ्फरपुर से लगभग 40 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है, जबकि वैशाली 45 किमी, हाजीपुर 55 किमी और राज्य की राजधानी पटना 70 किमी दक्षिण-पूर्व में है. यह क्षेत्र राज्य राजमार्गों से जुड़ा हुआ है, और सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन मुजफ्फरपुर जंक्शन है.
1957 में स्थापित यह विधानसभा क्षेत्र अब तक 16 विधानसभा चुनाव देख चुका है. शुरुआत में यह कांग्रेस का गढ़ था, जिसने पहले पांच में से चार चुनाव जीते, आखिरी बार 1972 में. लेकिन पिछले दो दशकों में यह बीजेपी की मजबूत पकड़ बन चुका है, जिसने लगातार चार बार जीत दर्ज की है. इन दो राष्ट्रीय दलों के बीच जनता पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने दो-दो बार जीत हासिल की है. संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, लोक दल, जनता दल और एक निर्दलीय प्रत्याशी ने भी एक-एक बार जीत दर्ज की है. 2005 से भाजपा के अशोक कुमार सिंह यहां के विधायक हैं, जिन्होंने 2010, 2015 और 2020 में भी जीत दोहराई.
2020 के विधानसभा चुनाव में अशोक कुमार सिंह ने 77,392 वोट (40.9%) हासिल कर निर्दलीय प्रत्याशी शंकर प्रसाद (62,694 वोट, 33.2%) को हराया. कांग्रेस को मात्र 13,812 वोट (7.3%) मिले. वहीं 2024 के लोकसभा चुनाव में पारू में लोजपा (रामविलास) को 4,620 वोटों की बढ़त मिली, जहां उसने 45.66% वोट हासिल किए, जबकि राजद को 43.32% वोट मिले. बीजेपी ने इस सीट पर गठबंधन समझौते के तहत लंबे समय से प्रत्याशी नहीं उतारा है.
2020 में पारू में कुल 3,13,920 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें से 60.27% ने मतदान किया. अनुसूचित जातियों के मतदाता 52,142 (16.61%) थे, जबकि मुस्लिम मतदाता 37,670 (12%). प्रमुख जातीय समूहों में राय (35,159 - 11.2%), सिंह (32,961 - 10.5%), शाह (23,544 - 7.5%), महतो (21,974 - 7%), पासवान (20,718 - 6.6%) और ठाकुर (15,382 - 4.9%) प्रमुख हैं. इनके अतिरिक्त कुमार, भगत, पंडित और मिश्रा जैसे छोटे समुदाय भी यहां निवास करते हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव तक पंजीकृत मतदाताओं की संख्या बढ़कर 3,18,378 हो गई.
पारू एक स्थिर ग्रामीण सीट है, जहां की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि पर आधारित है. धान, गेहूं, मक्का और दलहन यहां की प्रमुख फसलें हैं, जबकि कुछ क्षेत्रों में गन्ना और सब्जियों की खेती भी होती है. यहां कोई बड़ा उद्योग नहीं है. रोजगार के लिए छोटे चावल मिल, ईंट भट्ठे और कृषि व्यापार केंद्र ही प्रमुख साधन हैं. साप्ताहिक हाट पारू कस्बे में व्यावसायिक गतिविधियों का केंद्र हैं.
हालांकि, कृषि क्षेत्र की मजबूती के बावजूद, पारू में बुनियादी ढांचे की समस्याएं बनी हुई हैं- जैसे खराब सड़कें, सीमित स्वास्थ्य सुविधाएं और अधूरी सिंचाई व्यवस्था. बिजली और स्कूल नामांकन में सुधार हुआ है, लेकिन प्रवासन की दर अभी भी ऊंची है. कई युवा नौकरी की तलाश में पटना या बिहार के बाहर जाते हैं. निर्वाचन आयोग के अनुसार, 2020 से 2024 के बीच 3,203 पंजीकृत मतदाता पारू से बाहर स्थानांतरित हो चुके हैं.
2025 के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर, पारू में मुकाबला कड़ा होने की उम्मीद है. ग्रामीण विकास, जातीय समीकरण और सत्ता विरोधी भावना इस बार निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं. जहां भाजपा अपनी पकड़ बनाए रखने की कोशिश करेगी, वहीं विपक्षी दल स्थानीय प्रशासन से जुड़ी असंतोष की भावना को भुनाने की कोशिश कर सकते हैं. हालांकि, पारू का अब तक का चुनावी इतिहास निरंतरता को प्राथमिकता देने का संकेत देता है, जिसमें भाजपा का दबदबा बना रहा है और लोकसभा चुनावों में उसकी सहयोगी पार्टी लोजपा ने बढ़त हासिल की है.
(अजय झा)
Shankar Prasad
IND
Anunay Sinha
INC
Madan Chaudhary
RLSP
Deepak Tiwari
RJSBP
Mithu Kumar
IND
Sakindar Ram
APOI
Vijay Thakur
IND
Rajesh Rai
IND
Prakash Kumar
RJJP
Nota
NOTA
Rameshwar Sah Teli
IND
Vinod Kumar
SSJP
Nanhak Sah
SUCI
Ajay Paswan
PPI(D)
Sanjeet Kumar
RJVP
Ranu Nilam Shankar
JAP(L)
Vijay Kumar
BSLP
Monalisa
PP
Rakesh Kumar
HSAP
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर पार्टी के भीतर निराशा है. शशि थरूर ने 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' की मांग की, जबकि अन्य नेताओं ने हार का कारण संगठन की कमजोरी, गलत टिकट वितरण और जमीनी हकीकत से कटे कुछ नेताओं को बताया.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.