BJP
CPI
JSP
IND
Nota
NOTA
AAP
IND
IND
IND
BSP
VAP
IND
SUCI
AJPP
Bihar Election Result 2025 Live: झंझारपुर विधानसभा सीट पर BJP को दोबारा मिली जीत
Bihar Election Result 2025 Live: झंझारपुर विधानसभा सीट पर BJP को दोबारा मिली जीत
Jhanjharpur Vidhan Sabha Result Live: झंझारपुर में BJP कैंडिडेट Nitish Mishra निकले सबसे आगे
Jhanjharpur Vidhan Sabha Chunav Result Live: बिहार के मिथिलांचल क्षेत्र में पार्टियों/गठबंधनों का प्रदर्शन कैसा है?
Jhanjharpur Vidhan Sabha Result Live: झंझारपुर सीट पर बड़ा उलटफेर! जानिए क्या कह रहे ताजा आंकड़े
Jhanjharpur Vidhan Sabha Result Live: झंझारपुर सीट पर बड़ा उलटफेर! जानिए क्या कह रहे ताजा आंकड़े
झंझारपुर विधानसभा क्षेत्र बिहार के मधुबनी जिले में स्थित है और यह झंझारपुर लोकसभा सीट का हिस्सा है. वर्ष 1951 में स्थापित यह सीट सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित है. इस क्षेत्र में झंझारपुर और लखनौर प्रखंडों के साथ-साथ मधेपुर प्रखंड के सात ग्राम पंचायत शामिल हैं.
झंझारपुर की राजनीति मिश्र परिवार के प्रभाव में लंबे समय तक रही है. विशेष रूप से पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. जगन्नाथ मिश्र ने 1972 से 1990 तक लगातार पांच बार इस सीट का प्रतिनिधित्व किया. उनके पुत्र नीतीश मिश्र ने भी इस राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया और 2005, 2010 तथा 2020 में यहां से जीत दर्ज की. शुरूआत में उन्होंने जनता दल (यू) के टिकट पर दो बार चुनाव जीता, लेकिन 2015 में पार्टी से अलग होकर भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और केवल 834 मतों से हार गए. 2020 में वे बीजेपी प्रत्याशी के रूप में 41,788 वोटों के बड़े अंतर से विजयी हुए. उस समय जदयू एक बार फिर एनडीए का हिस्सा बन चुका था. 2015 में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के गुलाब यादव ने यह सीट जीती थी, जिसे 2020 में वाम दलों को सीट बंटवारे के तहत सौंप दिया गया.
यह क्षेत्र अपनी समृद्ध मैथिली संस्कृति और परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है. 'झंझारपुर' नाम का संबंध मैथिली शब्द झंझार से माना जाता है, जो लोक नृत्यों में पहने जाने वाले पायलों की झंकार को दर्शाता है. यहां के पर्व जैसे छठ और सामा-चकेवा विशेष रूप से उल्लासपूर्वक मनाए जाते हैं. यह क्षेत्र मैथिली साहित्य और संगीत में भी महत्वपूर्ण स्थान रखता है. लखनौर गांव विद्वान कवि विद्यापति (1352–1448) की कथाओं और स्मृतियों से जुड़ा हुआ है.
झंझारपुर बिहार के उत्तरी मैदानी भागों में स्थित है, जिसे कमला बलान नदी और उसकी सहायक नदियां पोषित करती हैं. क्षेत्र में अक्सर आने वाली बाढ़ ने यहां की कृषि और बुनियादी ढांचे को गहराई से प्रभावित किया है. मुख्य फसलें धान, गेहूं और मक्का हैं, और अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है. झंझारपुर का कमला बलान पुल उत्तर और दक्षिण बिहार को जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण मार्ग है. साथ ही, यह क्षेत्र सकरी-निर्मली रेल लाइन पर स्थित झंझारपुर रेलवे स्टेशन द्वारा रेल सेवा से जुड़ा हुआ है.
1951 से अब तक झंझारपुर में 17 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. कांग्रेस ने यहां नौ बार जीत हासिल की है, जदयू ने तीन बार, राजद ने दो बार, जबकि संयुक्त समाजवादी पार्टी, जनता पार्टी और बीजेपी ने एक-एक बार जीत दर्ज की है.
2020 के चुनाव में इस क्षेत्र में 3,17,948 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें अनुसूचित जाति के मतदाता 14.11% (44,862) और मुस्लिम मतदाता लगभग 14.4% (45,785) थे. ग्रामीण मतदाताओं की संख्या 93.12% रही, जबकि शहरी मतदाता मात्र 6.88% थे. 2024 के लोकसभा चुनावों तक मतदाताओं की संख्या बढ़कर 3,26,585 हो गई, हालांकि 2020 में दर्ज 4,067 मतदाता 2024 तक अन्यत्र चले गए.
मतदान प्रतिशत पिछले कुछ वर्षों में 50 के दशक में बना रहा- 2015 में 54.35%, 2020 में 56.92% और 2019 के लोकसभा चुनाव में 56.4%.
2024 के लोकसभा चुनाव में झंझारपुर विधानसभा क्षेत्र में जदयू ने 49,785 मतों के बड़े अंतर से बढ़त हासिल की. उस समय सीट बंटवारे के अंतर्गत बीजेपी ने यह सीट नहीं लड़ी.
2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव यह तय करेंगे कि नीतीश मिश्र इस सीट पर अपनी राजनीतिक पकड़ फिर से मजबूत बनाए रखते हैं या नहीं. इस बार का चुनाव स्थानीय मुद्दों, जनभावनाओं और विपक्ष की रणनीति पर निर्भर करेगा. झंझारपुर, जहां राजनीतिक विरासत और चुनावी प्रतिस्पर्धा हमेशा आमने-सामने रही है, एक बार फिर सुर्खियों में रहेगा.
(अजय झा)
Ram Narayan Yadav
CPI
Ganga Prasad Ganotri
IND
Madan Kumar Mahto
IND
Birendra Kumar Choudhary
RLSP
Rakesh Kumar Yadav
IND
Ganpati Jha
IND
Nota
NOTA
Abhay Kant Mishra
IND
Bandana Devi
IND
Om Prakash Poddar
JTP
Sadanand Suman
JAP(L)
Baidehi Kanti Sharan
ABMP
Raj Kumar Saday
BMP
Lakshman Prasad Yadav
IND
Sanjeev Kumar Suman
PP
Ramchandra Ray
JKP
Abdul Irfan
IND
Ram Shankar Raut
STBP
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर पार्टी के भीतर निराशा है. शशि थरूर ने 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' की मांग की, जबकि अन्य नेताओं ने हार का कारण संगठन की कमजोरी, गलत टिकट वितरण और जमीनी हकीकत से कटे कुछ नेताओं को बताया.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मिथिला के झंझारपुर से, बिहार में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए आरजेडी पर तीखा हमला किया. उन्होंने कहा कि अगर आरजेडी की सरकार बनती है, तो राज्य में अपहरण, हत्या और फिरौती के लिए नए विभाग खोले जाएंगे. शाह ने लालू यादव और सोनिया गांधी पर परिवारवाद की राजनीति करने का आरोप भी लगाया.