CPI(M)
JD(U)
IND
JSP
Nota
NOTA
AAP
IND
IND
IND
JSJD
BSP
IND
IND
IND
IND
Bihar Election Result 2025 Live: बिभुतिपुर विधानसभा सीट पर CPI(M) को दोबारा मिली जीत
Bihar Election Results Live: बिहार चुनाव में राजनीतिक गठबंधनों का प्रदर्शन कैसा है?
Bibhutipur Election Results 2025 Live: बिभुतिपुर सीट पर उलटफेर! JD(U) भारी अंतर से पीछे
Bihar Assembly Election Results 2025 Live: दिग्गज कैंडिडेट्स के क्या हैं हाल?
Bibhutipur Chunav Results Live: बिभुतिपुर सीट पर CPI(M) का वर्चस्व, 10441 वोटों के विशाल अंतर से JD(U) को पछाड़ा
Bibhutipur Vidhan Sabha Chunav Result Live: बिहार के मिथिलांचल क्षेत्र में पार्टियों/गठबंधनों का प्रदर्शन कैसा है?
बिहार के समस्तीपुर जिले में स्थित बिभूतिपुर एक प्रखंड है, जिसे आधिकारिक रूप से एक बड़ा गांव माना गया है. यह बुढ़ी गंडक नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है. इसकी भौगोलिक स्थिति गंगा के मैदानी क्षेत्र में आती है, जो इसे उपजाऊ बनाती है और कृषि के लिए आदर्श बनाती है. बुढ़ी गंडक नदी सिंचाई और स्थानीय आजीविका में अहम भूमिका निभाती है.
बिभूतिपुर की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है, हालांकि लघु उद्योग और हस्तशिल्प भी स्थानीय अर्थव्यवस्था में योगदान करते हैं. यहां की उपजाऊ मिट्टी में धान, गेहूं, मक्का और दालों की भरपूर खेती होती है. यह इलाका पूरी तरह ग्रामीण है और शहरी मतदाता नहीं हैं.
यहां से 9 किलोमीटर दूर स्थित रोसड़ा उपखंड स्तर का कस्बा है, जो क्षेत्रीय व्यापार और वाणिज्य का केंद्र है. जिला मुख्यालय समस्तीपुर 27 किलोमीटर दूर है, जबकि मंडल मुख्यालय दरभंगा सड़क मार्ग से लगभग 125 किलोमीटर दूर स्थित है.
बिभूतिपुर 1967 से एक विधानसभा क्षेत्र के रूप में अस्तित्व में है और यह उजियारपुर लोकसभा क्षेत्र के छह विधानसभा क्षेत्रों में से एक है. अब तक यहां 14 बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. इस सीट की राजनीति में कुशवाहा जाति का वर्चस्व रहा है, जो एकजुट होकर अपने जाति-आधारित उम्मीदवार को जिताने में अहम भूमिका निभाती है.
बिभूतिपुर को राज्य के उन चंद इलाकों में गिना जाता है, जहां आज भी वामपंथी दलों का मजबूत आधार है. यहां से अब तक कुल आठ बार वामपंथी उम्मीदवारों की जीत हुई है, जिसमें सात बार सीपीआई (मार्क्सवादी) और एक बार 1967 में सीपीआई की जीत शामिल है. 1990 से 2005 के बीच पांच लगातार चुनाव सीपीआई (एम) ने जीते. रामदेव वर्मा ने छह बार यह सीट सीपीएम के लिए जीती. 2020 में अजय कुमार (कुशवाहा) ने सीपीएम उम्मीदवार के रूप में जेडीयू के राम बालक सिंह को हराकर सीट पर वापसी की. बाकी छह मौकों में यह सीट तीन बार कांग्रेस, दो बार जेडीयू और एक बार संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के पास गई.
2020 के विधानसभा चुनाव में अजय कुमार ने 40,496 वोटों के भारी अंतर से जीत दर्ज की. उन्होंने जेडीयू के पूर्व विधायक राम बालक सिंह को हराया, जो 2010 और 2015 में यह सीट जीत चुके थे. यह जीत इतनी निर्णायक थी कि एलजेपी को जेडीयू का खेल बिगाड़ने का भी मौका नहीं मिला. उल्लेखनीय है कि भाजपा और राजद, जो बिहार विधानसभा की दो सबसे बड़ी पार्टियां हैं, बिभूतिपुर में सीमित जनाधार रखती हैं.
भले ही एनडीए की स्थिति अभी कमजोर दिखे, लेकिन उम्मीदें खत्म नहीं हुई हैं. एलजेपी के दोबारा एनडीए में लौटने के बाद, गठबंधन एकजुट होकर सीपीएम को चुनौती दे सकता है. 2020 में जेडीयू और एलजेपी को मिले कुल वोट 62,137 थे, जो सीपीएम से सिर्फ 11,685 वोट कम थे. अगर एनडीए एक मजबूत कुशवाहा उम्मीदवार उतारे, तो यह अंतर पाटना मुमकिन है. इसकी झलक 2024 के लोकसभा चुनाव में दिखी, जब बिभूतिपुर विधानसभा क्षेत्र में एनडीए और महागठबंधन के बीच अंतर घटकर सिर्फ 3,312 वोट रह गया.
2020 में बिभूतिपुर में कुल 2,69,431 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें से 17.70 प्रतिशत अनुसूचित जाति और 6.3 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता थे. मतदान प्रतिशत 60.93% रहा, जो बिहार के औसत से बेहतर है. 2024 लोकसभा चुनावों में मतदाता संख्या बढ़कर 2,75,861 हो गई है.
2025 के विधानसभा चुनाव में बिभूतिपुर सीट पर महागठबंधन, खासकर सीपीएम, को स्पष्ट बढ़त प्राप्त है. लेकिन अगर एनडीए एक मजबूत जातिगत समीकरण और रणनीतिक उम्मीदवार के साथ मैदान में उतरता है, तो राजनीतिक तस्वीर बदल सकती है. बिभूतिपुर की राजनीति में जाति, संगठन, और चुनावी रणनीति का संतुलन ही जीत का रास्ता तय करेगा.
(अझय झा)
Ram Balak Singh
JD(U)
Chandra Bali Thakur
LJP
Manju Prakash
IND
Bishwanath Chaudhary
IND
Nota
NOTA
Navin Kumar
IND
Mamta Kumari
BSP
Vijay Kumar Choudhary
RJJP
Arun Kumar Ray
BMAP
Amarjit Thakur
IND
Harvind Kumar
BSLP
Vivekanand Kumar
BMP
Prabhu Narayan Jha
PP
Sushant Kumar
LJP(S)
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर पार्टी के भीतर निराशा है. शशि थरूर ने 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' की मांग की, जबकि अन्य नेताओं ने हार का कारण संगठन की कमजोरी, गलत टिकट वितरण और जमीनी हकीकत से कटे कुछ नेताओं को बताया.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.