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Belsand Vidhan Sabha Chunav Result: Amit Kumar ने बेलसंड विधानसभा सीट पर लहराया परचम
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बेलसंद, बिहार के सीतामढ़ी जिले में स्थित एक सामान्य श्रेणी (General Category) की विधानसभा सीट है. यह सीतामढ़ी जिले के बेलसंद और परसौनी प्रखंडों के साथ-साथ शिवहर जिले के तरियानी चौक प्रखंड को शामिल करती है. यह शिवहर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले छह विधानसभा क्षेत्रों में से एक है.
बेलसंद विधानसभा क्षेत्र का गठन 1957 में हुआ था और अब तक यहां 17 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं, जिनमें 1996 का उपचुनाव भी शामिल है. कांग्रेस पार्टी को यहां केवल तीन बार जीत मिली है, जबकि समाजवादी विचारधारा से जुड़ी पार्टियों का वर्चस्व रहा है. प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और जनता दल (यू) ने तीन-तीन बार जीत दर्ज की है. जनता पार्टी ने दो बार, जबकि जनता दल और लोक जनशक्ति पार्टी ने एक-एक बार जीत हासिल की है.
पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह इस क्षेत्र के सबसे प्रभावशाली नेता रहे, जिन्होंने चार बार जीत हासिल की. 1977 से 1985 के बीच उन्होंने लगातार तीन चुनाव जीते. 1996 में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद उनके इस्तीफे से उपचुनाव हुआ. वहीं, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के नेता रामानंद सिंह ने शुरुआती दौर में तीन बार जीत दर्ज की थी. सुनीता सिंह चौहान ने भी तीन बार चुनाव जीता. पहली बार 2005 में लोजपा से और बाद में 2010 व 2015 में जदयू से जीत दर्ज की.
2020 के चुनाव में राजद के संजय कुमार गुप्ता ने सुनीता सिंह चौहान को 13,931 वोटों से हराया. इस जीत में लोजपा और आरएलएसपी के अलग-अलग चुनाव लड़ने से जदयू का वोट बैंक बिखरना बड़ा कारण रहा. हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनाव में जदयू ने बेलसंड क्षेत्र में 4,159 वोटों की बढ़त हासिल की. एलजेपी के NDA में वापसी और आरएलएसपी के राजद से जुड़ने के बाद 2025 विधानसभा चुनाव काफी दिलचस्प होने वाले हैं.
2020 में बेलसंद में कुल 2,65,949 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें 41,753 मुस्लिम (15.70%) और 38,164 अनुसूचित जाति (14.35%) के मतदाता शामिल थे. यह इलाका पूरी तरह ग्रामीण है, जहां शहरी मतदाता केवल 5.08% हैं. 2024 में मतदाताओं की संख्या बढ़कर 2,79,742 हो गई.
बेलसंद में मतदान प्रतिशत हमेशा कम रहा है. 2020 में मात्र 52.50% मतदान हुआ. कम मतदान का कारण बड़े पैमाने पर पलायन और विकास की कमी मानी जाती है. 2025 के चुनाव में यदि मतदान प्रतिशत बढ़ा, तो नतीजे अप्रत्याशित हो सकते हैं.
बेलसंद उत्तर बिहार के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में स्थित है. बागमती और लखनदेई नदियां यहां बहती हैं, जिससे हर साल बाढ़ की समस्या बनी रहती है. जमीन उपजाऊ है और धान, गेहूं व मक्का प्रमुख फसलें हैं, लेकिन सिंचाई की व्यवस्था सीमित है और मानसून पर निर्भरता बनी रहती है. सड़क, स्कूल और स्वास्थ्य जैसी आधारभूत सुविधाएं अब भी अपर्याप्त हैं, जबकि रोजगार के अवसर बेहद सीमित हैं.
भौगोलिक दृष्टि से यह क्षेत्र सीतामढ़ी से 20 किमी, दरभंगा से 65 किमी, मुजफ्फरपुर से 80 किमी और राजधानी पटना से लगभग 140 किमी दूर है.
2025 विधानसभा चुनाव में बेलसंद एक हॉट सीट बनने जा रही है. एनडीए और विपक्षी गठबंधन दोनों ही अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हैं. निर्वाचन आयोग की मतदाता सूची में विशेष पुनरीक्षण की प्रक्रिया विवाद का कारण बनी हुई है. साथ ही, माता जानकी मंदिर को अयोध्या के राम मंदिर की तरह भव्य रूप देने की योजना भी वोटरों को प्रभावित कर सकती है. स्थानीय मुद्दों और क्षेत्रीय असंतोष के साथ यह चुनावी जंग कड़ी टक्कर वाली मानी जा रही है.
(अजय झा)
Sunita Singh Chauhan
JD(U)
Thakur Dharmendra Singh
RLSP
Md Nasir Ahmad
LJP
Nota
NOTA
Mahant Narendra Das Mahatyagi
IND
Lal Babu Sah
IND
Subodh Kumar Ray
JAP(L)
Balram Kumar
BP(L)
Vandana Kumari
IND
Suresh Baitha
IND
Shri Ram Ray
RPI(A)
Pappu Sah
IND
Amar Singh
RJLP(S)
Rakesh Kumar Singh
PP
Shamim Alam
NCP
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर पार्टी के भीतर निराशा है. शशि थरूर ने 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' की मांग की, जबकि अन्य नेताओं ने हार का कारण संगठन की कमजोरी, गलत टिकट वितरण और जमीनी हकीकत से कटे कुछ नेताओं को बताया.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.