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Bihar Election Result 2025 Live: कल्याणपुर (एससी) विधानसभा सीट पर JD(U) को दोबारा मिली जीत
Bihar Assembly Election Results 2025 Live: दिग्गज कैंडिडेट्स के क्या हैं हाल?
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बिहार के समस्तीपुर जिले का कल्याणपुर प्रखंड, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय की निकटता के कारण विशेष महत्व रखता है. यह विश्वविद्यालय, जो कि पूसा प्रखंड में स्थित है, कृषि तकनीकों और फसलों की नई किस्मों के परीक्षण के लिए एक "ओपन-फील्ड लैबोरेटरी" के रूप में कार्य करता है.
पूसा और कल्याणपुर दोनों मिलकर कल्याणपुर विधानसभा क्षेत्र बनाते हैं, जो समस्तीपुर लोकसभा सीट के छह विधानसभा क्षेत्रों में से एक है.
ब्रिटिश शासन के दौरान 1905 में देश में बार-बार पड़ रहे अकाल की समस्या से निपटने के उद्देश्य से स्थापित यह संस्थान अब एक अग्रणी कृषि विश्वविद्यालय बन चुका है. यह संस्थान न केवल वैज्ञानिकों को प्रशिक्षित करता है, बल्कि उच्च उपज देने वाली, सूखा और रोग-प्रतिरोधी फसल किस्मों का विकास भी करता है. यहीं विकसित की गई पूसा राइस डीएसटी-1 किस्म कम पानी और उर्वरक की मांग करती है. विश्वविद्यालय कल्याणपुर समेत आसपास के इलाकों में फील्ड ट्रायल्स करता है और किसानों को आधुनिक तकनीकों, मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन और कीट नियंत्रण जैसे विषयों में प्रशिक्षित करता है. साथ ही यह किसानों को उन्नत बीज उपलब्ध कराकर ऑर्गेनिक खेती और टिकाऊ कृषि को भी बढ़ावा देता है.
कल्याणपुर की भूमि को उपजाऊ बनाने में पास की कमला और बाया नदियों की भी बड़ी भूमिका है. पूसा संस्थान के सहयोग से खेती यहाँ केवल एक आजीविका नहीं, बल्कि लाभदायक व्यवसाय बन चुकी है. समस्तीपुर जिला मुख्यालय, जो कि यहां से 12 किलोमीटर दक्षिण में है, किसानों के लिए प्रमुख बाजार है. अन्य आस-पास के प्रमुख बाजारों में दलसिंहसराय (25 किमी दक्षिण-पश्चिम), रोसड़ा (30 किमी पूर्व) और दरभंगा (38 किमी उत्तर) शामिल हैं. कल्याणपुर, समस्तीपुर और मुजफ्फरपुर जिलों के संगम पर स्थित है. मुजफ्फरपुर की दूरी लगभग 135 किमी और राजधानी पटना से 142 किमी है.
खेती के साथ-साथ पशुपालन भी स्थानीय अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. यहां के लोग गाय और भैंस पालते हैं और डेयरी उद्योग से भी अच्छी आमदनी होती है.
कल्याणपुर विधानसभा क्षेत्र की स्थापना 1967 में हुई थी, लेकिन 2008 में परिसीमन आयोग द्वारा इसे अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित किए जाने के बाद इसकी राजनीतिक तस्वीर पूरी तरह बदल गई. पहले यहां कोइरी जाति का वर्चस्व था, लेकिन 2010 से चुनाव परिणामों पर अनुसूचित जाति के मतदाताओं का असर स्पष्ट नजर आता है. इसका सीधा लाभ जनता दल (यूनाइटेड) को मिला, जिसने 2013 के उपचुनाव सहित सभी चार चुनावों में जीत दर्ज की. कुल मिलाकर अब तक यहां 16 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. इनमें से 6 बार जदयू (2000 में समता पार्टी के रूप में भी) विजयी रही है. कांग्रेस को 3 बार सफलता मिली है, जबकि संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी और राजद ने 2-2 बार जीत हासिल की है. जनता पार्टी, लोकदल और जनता दल को एक-एक बार सफलता मिली है.
यह दिलचस्प है कि कल्याणपुर में पारंपरिक रूप से लोजपा, जदयू की मुख्य प्रतिद्वंदी रही है. अब जब लोजपा (रामविलास) भाजपा नेतृत्व वाले एनडीए में वापस आ चुकी है, तो विरोधी मतों का बिखराव कम हो सकता है, जिससे एनडीए को फायदा मिल सकता है. इसका संकेत 2024 के लोकसभा चुनाव में भी मिला, जब लोजपा (रामविलास) की प्रत्याशी शंभवी चौधरी ने समस्तीपुर संसदीय सीट के कल्याणपुर खंड में 34,228 मतों की बढ़त हासिल की.
पूर्वी चंपारण जिले के कल्याणपुर विधानसभा क्षेत्र से भ्रमित न हों, समस्तीपुर के इस कल्याणपुर क्षेत्र में 2020 विधानसभा चुनावों में 3,24,420 पंजीकृत मतदाता थे. इनमें से 20.99 प्रतिशत अनुसूचित जाति और 10.60 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता थे. यह लगभग पूरी तरह ग्रामीण क्षेत्र है, जिसमें केवल 1.20 प्रतिशत मतदाता शहरी हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव तक पंजीकृत मतदाताओं की संख्या बढ़कर 3,35,714 हो गई, हालांकि चुनाव आयोग के अनुसार 2020 से 2024 के बीच 4,119 मतदाता क्षेत्र से बाहर चले गए.
अगर राजनीति में होने वाली अनपेक्षित घटनाओं को छोड़ दें, तो 2025 के शीतकालीन विधानसभा चुनावों में कल्याणपुर को एनडीए का "सेफ सीट" माना जा सकता है, और जदयू को इसे बरकरार रखने के लिए अधिक मेहनत नहीं करनी पड़ेगी.
(अजय झा)
Ranjeet Kumar Ram
CPI(ML)(L)
A Mona Prasad Sundeshwar Ram
LJP
Nota
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Umesh Das
RJVP
Sanjay Das
YKP
Anamika
AJP
Shatrudhan Paswan
SHS
Shiv Nath Sharan
IND
Pramila Devi
BSLP
Mantesh Kumar
JAP(L)
Mamta Kumari
BSP
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.