JD(U)
RJD
JSP
IND
Nota
NOTA
IND
AAP
BSP
JGJP
IND
TPP
SCP(I)
Hasanpur Assembly Election Result Live: बिहार की इस सीट पर Raj Kumar Ray ने Mala Pushpam को हराया, जानें किसे मिले कितने वोट
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Bihar Assembly Election Results 2025 Live: दिग्गज कैंडिडेट्स के क्या हैं हाल?
Hasanpur Vidhan Sabha Result Live: हसनपुर में JD(U) कैंडिडेट Raj Kumar Ray निकले सबसे आगे
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Bihar Assembly Election Results 2025 Live: दिग्गज कैंडिडेट्स के क्या हैं हाल?
हसनपुर, बिहार के समस्तीपुर जिले के रोसड़ा अनुमंडल में स्थित एक प्रखंड है. यह खगड़िया लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है. हसनपुर 1967 में एक विधानसभा क्षेत्र बना, लेकिन इसकी असली राजनीतिक पहचान तब बनी जब राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने 2020 के विधानसभा चुनाव में अपने प्रमुख नेता लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को यहां से उम्मीदवार बनाया गया. इससे पहले तेज प्रताप वैशाली जिले के महुआ से विधायक थे.
तेज प्रताप यादव की छवि अक्सर विवादों और असामान्य व्यवहार के लिए चर्चा में रही है. महुआ में 2015 की जीत में उन्हें 21,000 से अधिक वोटों से सफलता मिली थी, लेकिन 2020 में राजद का जीत का अंतर घटकर सिर्फ 13,000 वोट रह गया. इस गिरावट से चिंतित लालू यादव ने तेज प्रताप के लिए एक सुरक्षित सीट तलाशने की योजना बनाई.
हसनपुर का चुनाव इसीलिए किया गया क्योंकि यहां यादव समुदाय की जनसंख्या 30 प्रतिशत से अधिक है. यह रणनीति सफल रही और तेज प्रताप ने 21,139 वोटों से जीत दर्ज की. हालांकि, उनकी विधायक के रूप में सक्रियता बेहद निराशाजनक रही. पांच वर्षों में उन्होंने शायद ही कभी अपने क्षेत्र का दौरा किया हो. अंततः मई 2025 में राजद ने तेज प्रताप को पार्टी और परिवार की छवि को नुकसान पहुंचाने के आरोप में छह साल के लिए निलंबित कर दिया.
तेज प्रताप से पहले हसनपुर को समाजवादी नेता गजेंद्र प्रसाद हिमांशु के गढ़ के रूप में जाना जाता था. उन्होंने यहां से नौ में से सात बार चुनाव जीता. वे संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, जनता पार्टी, जनता पार्टी (सेक्युलर), जनता दल और जनता दल (यूनाइटेड) जैसी विभिन्न समाजवादी विचारधारा वाली पार्टियों से जुड़े रहे. हिमांशु को उनकी ईमानदारी और सिद्धांतों के लिए व्यापक सम्मान मिला.
अब तक, हसनपुर में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, राजद और जदयू ने तीन-तीन बार, जनता दल ने दो बार, जबकि कांग्रेस, जनता पार्टी और जनता दल (सेक्युलर) ने एक-एक बार जीत दर्ज की है। 2000 के बाद से यह सीट राजद और जदयू के बीच सीधी टक्कर का केंद्र रही है, जिसमें दोनों ने तीन-तीन बार जीत हासिल की है.
तेज प्रताप की निष्क्रियता के बावजूद राजद के लिए हसनपुर में जीत की राह आसान नहीं है. 2024 के लोकसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन के तहत चुनाव लड़ रही लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने हसनपुर विधानसभा क्षेत्र में 17,954 वोटों की बढ़त हासिल की, जो राजद के लिए खतरे की घंटी है.
हसनपुर पूरी तरह ग्रामीण क्षेत्र है, जहां शहरी मतदाता नहीं हैं. यहां की अधिकांश आबादी खेती पर निर्भर है. कमला और बूढ़ी गंडक नदियों के बहाव से यह क्षेत्र कृषि के लिए उपजाऊ बना हुआ है. आस-पास के प्रमुख शहरों में रोसड़ा (20 किमी), खगड़िया (41 किमी), दलसिंहसराय (43 किमी), समस्तीपुर (53 किमी), दरभंगा (68 किमी) और पटना (141 किमी) शामिल हैं.
2020 के विधानसभा चुनावों में यहां 2,92,161 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें से 17.55 प्रतिशत अनुसूचित जाति और 11.20 प्रतिशत मुस्लिम समुदाय से थे. मतदान प्रतिशत 58.67 रहा. 2024 के लोकसभा चुनाव तक मतदाता संख्या बढ़कर 2,99,401 हो गई, लेकिन मतदान प्रतिशत लगभग स्थिर रहकर 56 से 59 प्रतिशत के बीच रहा है.
(अजय झा)
Raj Kumar Ray
JD(U)
Arjun Prasad Yadav
JAP(L)
Manish Kumar
LJP
Nota
NOTA
Virendra Yadav
RSSD
Bhanu Pandit
RJVP
Sanjeev Kumar
IND
Dileep Kumar Mukhiya
AAM
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर पार्टी के भीतर निराशा है. शशि थरूर ने 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' की मांग की, जबकि अन्य नेताओं ने हार का कारण संगठन की कमजोरी, गलत टिकट वितरण और जमीनी हकीकत से कटे कुछ नेताओं को बताया.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.