JD(U)
RJD
JSP
IND
Nota
NOTA
IND
JSMP
BSP
JSJD
Gaighat Election Results 2025 Live: गायघाट विधानसभा सीट पर JD(U) ने फहराया परचम, जानें प्रत्याशी Komal Singh को मिली कितनी बड़ी जीत
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गायघाट विधानसभा क्षेत्र बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में स्थित एक सामान्य वर्ग की सीट है. इसकी स्थापना वर्ष 1967 में हुई थी और तब से अब तक यहां 14 बार चुनाव हो चुके हैं. यह क्षेत्र मुजफ्फरपुर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है. 2008 के परिसीमन आदेश के अनुसार, यह विधानसभा क्षेत्र गायघाट और बंदरा प्रखंडों के साथ-साथ कटरा प्रखंड के छह ग्राम पंचायतों को मिलाकर बना है. यह इलाका पूरी तरह ग्रामीण है, यहां कोई शहरी मतदाता नहीं है.
2020 के विधानसभा चुनावों में गायघाट में कुल 3,16,108 पंजीकृत मतदाता थे, जो 2024 के लोकसभा चुनावों में बढ़कर 3,30,371 हो गए. निर्वाचन आयोग के अनुसार, 2020 की मतदाता सूची में शामिल 3,550 मतदाता 2024 तक यहां से पलायन कर चुके थे. 2020 में यहां 57.46 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था. जनगणना आधारित अनुमानों के अनुसार, यहां अनुसूचित जाति (एससी) के लगभग 51,842 मतदाता हैं, जो कुल मतदाताओं का करीब 16.4% हैं. मुस्लिम मतदाताओं की सटीक संख्या नहीं बताई गई है, लेकिन अनुमानतः इनकी हिस्सेदारी 12 से 15 प्रतिशत के बीच मानी जाती है.
गायघाट की राजनीति में कई दिलचस्प मोड़ आए हैं. महेश्वर प्रसाद यादव ने यहां कई बार चुनाव लड़ा और जीत हासिल की-1990 में निर्दलीय, 1995 में जनता दल, फिर 2005 और 2015 में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के टिकट पर विजयी रहे. 2010 में भाजपा की वीणा देवी ने उन्हें हराया, लेकिन 2015 में यादव ने करीबी मुकाबले में उन्हें पछाड़ दिया.
2020 के चुनावों में राजद ने निरंजन राय को मैदान में उतारा, जिन्होंने जदयू के महेश्वर यादव को 7,566 वोटों से हराया. इस चुनाव में लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) की कोमल सिंह ने 36,851 वोट हासिल किए, जिससे वोटों का बंटवारा हुआ और राजद को फायदा मिला. गायघाट उन 25 सीटों में से एक रही जहां लोजपा के वोट काटने की रणनीति के चलते जदयू को हार का सामना करना पड़ा.
2024 के लोकसभा चुनावों में एनडीए की फिर से एकजुटता का असर गायघाट में साफ दिखा. लोजपा के दोबारा गठबंधन में लौटने के बाद, भाजपा के मुजफ्फरपुर लोकसभा प्रत्याशी ने गायघाट विधानसभा क्षेत्र में 50,291 वोटों की बढ़त हासिल की. यह मतों के एकजुट होने का संकेत था, जो पहले विभाजित हो गए थे.
गायघाट, मुजफ्फरपुर जिले के उत्तर भाग में स्थित है, जिसकी सीमाएं औराई, कटरा और मीनापुर प्रखंडों से लगती हैं. यह इलाका गंडक और बागमती नदियों की वजह से समतल और उपजाऊ है. बंदरा प्रखंड के कुछ हिस्से बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में आते हैं. यहां का प्रमुख रेलवे स्टेशन गायघाट है, जो समस्तीपुर-मुजफ्फरपुर रेल मार्ग पर स्थित है. यह सड़क मार्ग से मुजफ्फरपुर (35 किमी), दरभंगा (55 किमी) और सीतामढ़ी (60 किमी) से जुड़ा हुआ है.
यहां की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि आधारित है. धान, गेहूं, मक्का और दालें यहां की प्रमुख फसलें हैं. बंदरा क्षेत्र में लीची और आम के बागान आम हैं. छोटे स्तर पर चावल मिलें और कृषि व्यापार केंद्र भी स्थानीय अर्थव्यवस्था में योगदान करते हैं. रोजगार की तलाश में अन्य शहरों में पलायन आम बात है और घरों की आमदनी में रेमिटेंस की भूमिका अहम है.
गायघाट एक बार फिर बहुकोणीय मुकाबले की ओर बढ़ रहा है. जहां राजद सीट बरकरार रखने की कोशिश करेगा, वहीं भाजपा-जदयू-लोजपा गठबंधन इसे वापस पाने के लिए रणनीति बना रहा है. आम आदमी पार्टी और जन सुराज पार्टी जैसे नए खिलाड़ी भी मुकाबले को रोचक बना सकते हैं. यहां का चुनाव एक बार फिर कांटे का हो सकता है, जहां हर वोट की कीमत होगी.
(अजय झा)
Maheshwar Prasad Yadav
JD(U)
Komal Singh
LJP
Ganesh Jha
IND
Sudhir Kumar Jha
JNP
Subhash Chaudhary
IND
Vipalav Kumar Paswan
AJP
Nota
NOTA
Subodh Kumar Singh
PP
Suresh Sahani
IND
Shubhankar Kumar Singh
AIFB
Vikash Kumar
RJJP
Kumar Alok
IND
Shiv Shankar Kumar Bharti
IND
Vindeshwar Mahto
VPI
Rajpal Das
RJVP
Lalita Singh
JAP(L)
Ayush Sahani (mukesh Sahani)
LCD
Vinay Kumar
IND
Ghulam Ahmad Raza
IND
Ranjan Kumar
SMP
Vijay Ranjan
IND
Bharat Paswan
BMP
Alok Kumar
JKP
Chuliya Devi
AAPAP
Prince Kumar
IND
Md. Naijul Ansari
IND
Binod Mahaseth
IND
Pravhu Shani
BVP
Thakur Dhananjay Singh
IND
Rizwanul Haque
BLRP
Deepak Ray ( Bipat Ray )
IND
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर पार्टी के भीतर निराशा है. शशि थरूर ने 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' की मांग की, जबकि अन्य नेताओं ने हार का कारण संगठन की कमजोरी, गलत टिकट वितरण और जमीनी हकीकत से कटे कुछ नेताओं को बताया.
बिहार की गायघाट विधानसभा सीट से इस बार जेडीयू ने कोमल सिंह को टिकट दिया है. वह पूरे क्षेत्र में बुलेट से घूम-घूमकर चुनाव प्रचार कर रही हैं. उनकी मां वैशाली से सांसद हैं, जबकि पिता विधान पार्षद हैं.
मुजफ्फरपुर के गायघाट विधानसभा क्षेत्र में जेडीयू उम्मीदवार कोमल सिंह अपने अनोखे चुनाव प्रचार को लेकर चर्चा में हैं, जहां वह बुलेट पर सवार होकर वोट मांग रही हैं. कोमल सिंह ने कहा, 'हमारा बिहार आगे बढ़ रहा है, लेकिन दुर्भाग्य रहा है गायघाट का कि गाय घाट में पिछले 10 वर्षों से महागठबंधन के विधायक रहे.'