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IND
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JDP(D)
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Bihar Election Result 2025 Live: उजियारपुर विधानसभा सीट पर RJD को दोबारा मिली जीत
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उजियारपुर, बिहार के समस्तीपुर जिले के दलसिंहसराय अनुमंडल का एक प्रखंड है. ऐतिहासिक रूप से इस क्षेत्र की कोई विशेष लिखित जानकारी उपलब्ध नहीं है, सिवाय इसके कि यह मिथिला क्षेत्र का हिस्सा है. वह प्राचीन भूमि जो अपने विद्वानों और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए जानी जाती है.
भूगोल की दृष्टि से उजियारपुर की स्थिति काफी महत्वपूर्ण है. यह दलसिंहसराय अनुमंडल मुख्यालय से 14 किमी और जिला मुख्यालय समस्तीपुर से 15 किमी की दूरी पर स्थित है. इसके अलावा, रोसड़ा (30 किमी), बेगूसराय (50 किमी) और प्रमंडलीय मुख्यालय दरभंगा (60 किमी) भी समीपवर्ती प्रमुख शहर हैं. राज्य की राजधानी पटना से यह लगभग 95 किमी दूर है.
उजियारपुर बुढ़ी गंडक नदी के निकट स्थित है, जो इस क्षेत्र की खेती पर विशेष प्रभाव डालती है. अन्य मौसमी जलधाराएं और छोटे जलस्रोत भी कृषि कार्यों में सहायक हैं. यहां के निवासियों की आजीविका मुख्यतः कृषि पर आधारित है. धान, गेहूं, मक्का और दलहन प्रमुख फसलें हैं. इसके साथ-साथ डेयरी फार्मिंग (दुग्ध उत्पादन) भी व्यापक रूप से प्रचलित है, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था में योगदान करता है. इसके अलावा, हाथ करघा उद्योग जैसे छोटे पैमाने के उद्यम भी यहाँ मौजूद हैं.
उजियारपुर विधानसभा क्षेत्र, उजियारपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है. इन दोनों क्षेत्रों का गठन वर्ष 2008 में हुए परिसीमन के बाद हुआ, जिसका उद्देश्य मतदाताओं का समान वितरण करना था. उजियारपुर विधानसभा क्षेत्र में उजियारपुर प्रखंड के साथ-साथ दलसिंहसराय प्रखंड के 10 ग्राम पंचायतों और दलसिंहसराय अधिसूचित क्षेत्र को शामिल किया गया है.
यह एक प्रमुखत: ग्रामीण क्षेत्र है, जहां शहरी मतदाता केवल 5.34 प्रतिशत हैं. वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में यहां कुल 2,99,159 पंजीकृत मतदाता थे. इनमें से अनुसूचित जातियों की भागीदारी 19.23 प्रतिशत और मुस्लिम समुदाय की भागीदारी लगभग 10 प्रतिशत थी. 2024 के लोकसभा चुनाव में यह संख्या थोड़ी बढ़कर 3,06,236 हो गई. इस बीच 3,453 मतदाताओं ने क्षेत्र छोड़ा, जो कि रोजगार की तलाश में प्रवास का सामान्य चित्र दर्शाता है. बिहार में औद्योगीकरण की कमी के कारण यह समस्या व्यापक है.
उजियारपुर विधानसभा क्षेत्र में 2010 से अब तक तीन बार चुनाव हुए हैं, और हर बार मतदाताओं ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) को जिताया है. 2010 में राजद को 13,031 वोटों से जीत मिली थी, जो 2015 में बढ़कर 47,460 हो गई, हालांकि 2020 में यह अंतर घटकर 23,268 रह गया.
दिलचस्प बात यह है कि उजियारपुर के मतदाता विधानसभा और लोकसभा चुनाव में अलग-अलग पैमाने से मतदान करते हैं. जहां विधानसभा में वे राजद के पक्ष में मतदान करते हैं, वहीं लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को वरीयता देते हैं. 2014 में भाजपा ने उजियारपुर विधानसभा क्षेत्र में 4,394 वोटों से बढ़त हासिल की थी, जो 2019 में बढ़कर 42,625 हो गई, लेकिन 2024 में यह बहुत घटकर केवल 1,401 वोट रह गई.
इन रुझानों के आधार पर कहा जा सकता है कि अगर कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ, तो 2025 के विधानसभा चुनाव में राजद की स्थिति उजियारपुर में मजबूत रहेगी. हालांकि, भाजपा नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन की ओर से कोई अप्रत्याशित चाल भी बाजी पलट सकती है, जैसा कि बिहार की राजनीति में कई बार देखा गया है.
एनडीए को उम्मीद है कि वे 2020 में मतदान से वंचित रहे 38 प्रतिशत मतदाताओं को जोड़कर पहली बार इस सीट पर जीत दर्ज कर सकते हैं. इसके लिए एनडीए राज्यभर में व्यापक जनसंपर्क अभियान चला रही है.
(अजय झा)
Sheel Kumar Singh
BJP
Nawal Paswan
IND
Dinesh Prasad Choudhary
IND
Prashant Kumar Pankaj
RLSP
Md. Afaque Ahmad
IND
Baidyanath Choudhary
RJJP
Santosh Ray
NCP
Satya Narayan Singh
IND
Upendra Poddar
RVJP
Vidya Shankar Ray
IND
Nota
NOTA
Vinod Kumar Ray
SAAF
Vineeth Kumar
PP
Md. Kalam
JTLP
Pankaj Kumar
RJVP
Ajay Kumar Jha
RSSD
Prashant Kumar Sonu
LJP(S)
Ram Pravesh Ray
IND
Ram Kishore Mahto
BMAP
Dilip Kumar Sahani
LSP(L)
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
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बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
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