RLM
RJD
JSP
IND
TPP
IND
Nota
NOTA
BSP
AAP
BHSP
AADP
IND
PCP
IND
Bajpatti Vidhan Sabha Election Results Live: बाजपटटी विधानसभा सीट के नतीजे सामने आए, RLM ने RJD को दी शिकस्त
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बिहार के सीतामढ़ी जिले में स्थित बाजपट्टी विधानसभा क्षेत्र एक प्रखंड स्तरीय नगर है. यह सीतामढ़ी लोकसभा सीट के छह विधानसभा क्षेत्रों में से एक है. इसमें बाजपट्टी और बोखड़ा प्रखंडों के साथ नानपुर प्रखंड की 12 ग्राम पंचायतें शामिल हैं. इस क्षेत्र का गठन वर्ष 2008 में हुआ था और अब तक तीन बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं.
पहले दो चुनाव (2010 और 2015) जनता दल (यूनाइटेड) के खाते में गए थे. लेकिन 2020 के विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने यह सीट जीत ली. राजद उम्मीदवार मुकेश कुमार यादव ने जेडीयू की मौजूदा विधायक रंजू गीता को 2,704 वोटों से पराजित किया. दिलचस्प बात यह रही कि 2010 में जेडीयू ने भाजपा के साथ और 2015 में राजद गठबंधन के साथ चुनाव लड़ा था. 2020 में जेडीयू एनडीए में लौट आई, लेकिन पूर्व सहयोगी आरएलएसपी और लोजपा ने अलग-अलग चुनाव लड़कर वोट काट लिए और जेडीयू तीसरी बार जीत हासिल नहीं कर पाई.
लोकसभा चुनावों में जेडीयू ने बाजपट्टी में अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन किया है. 2019 में उसे यहां 31,252 वोटों की बढ़त मिली थी, हालांकि 2024 में यह घटकर 10,714 वोट रह गई. यह अंतर पार्टी के लिए चिंता का विषय बना हुआ है.
2020 के विधानसभा चुनाव में बाजपट्टी में कुल 3,18,309 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें 97,402 मुस्लिम (30.60%) और 28,966 अनुसूचित जाति के मतदाता (9.10%) शामिल थे. यह क्षेत्र पूरी तरह ग्रामीण था और शहरी मतदाता शून्य थे. मतदान प्रतिशत 55.86% रहा, जो यहां औसतन मध्यम स्तर का है. 2024 के लोकसभा चुनाव तक मतदाता संख्या बढ़कर 3,37,812 हो गई, जबकि चुनाव आयोग ने बताया कि 4,930 मतदाता 2020 की सूची से प्रवास कर चुके हैं. यह प्रवासन स्थानीय उद्योग और रोजगार के अभाव को दर्शाता है, जिसके चलते युवाओं का पलायन शहरों और दूसरे राज्यों की ओर लगातार जारी है.
बाजपट्टी उत्तर बिहार के मैदानी इलाको में स्थित है. यहां की भूमि उपजाऊ है और कृषि प्रमुख पेशा है. धान, मक्का और दलहन मुख्य फसलें हैं. हालांकि यह क्षेत्र बागमती, लखांदेई और अधवारा जैसी नदियों की बाढ़ से प्रभावित होता है. शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे की स्थिति सीमित है, जबकि आंतरिक इलाको में सड़क संपर्क भी कमजोर है.
बाजपट्टी, जिला मुख्यालय सीतामढ़ी से लगभग 25 किमी, दरभंगा से 60 किमी, मुज़फ़्फरपुर से 85 किमी और राज्य की राजधानी पटना से 150 किमी दूर है. मधुबनी लगभग 50 किमी पूर्व में और नेपाल का धार्मिक-सांस्कृतिक केंद्र जनकपुर लगभग 70 किमी उत्तर में स्थित है.
आगामी 2025 के विधानसभा चुनाव इस क्षेत्र को बेहद रोचक बना सकते हैं. सत्ता पक्ष एनडीए और विपक्षी गठबंधन दोनों यहां अपनी दावेदारी मजबूत मान रहे हैं. चुनाव आयोग द्वारा विशेष पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया और माता जानकी मंदिर के भव्य पुनर्निर्माण की हालिया घोषणा मतदाताओं की भावनाओं को प्रभावित कर सकती है. ऐसे में मुकाबला कड़ा और दिलचस्प होने की संभावना है.
(अजय झा)
Ranju Geeta
JD(U)
Rekha Kumari
RLSP
Md Intakhab Alam
LJP
Saiyad Neyaz Ahamad
RUC
Md. Iftekhar
IND
Devendra Jha
IND
Ramihora Sah
IND
Nota
NOTA
Sarvesh Thakur
NJP
Mukesh Kumar Yadav
IND
Md Anisur Rahman
JAP(L)
Nagendra Mishra
IND
Mohammad Aftab
BSLP
Mosadre Alam Kuraishi
RSMJP
Md. Shoaib Khan
INL
Prabodh Kumar Sharma
LJP(S)
Subodh Sah
IND
Shakil Ahmed
NCP
Bola Sahni
HSJP
Naresh Sah
KPOI
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर पार्टी के भीतर निराशा है. शशि थरूर ने 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' की मांग की, जबकि अन्य नेताओं ने हार का कारण संगठन की कमजोरी, गलत टिकट वितरण और जमीनी हकीकत से कटे कुछ नेताओं को बताया.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.