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Bihar Election Result 2025 Live: सुरसंड विधानसभा सीट पर JD(U) को दोबारा मिली जीत
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बिहार के सीतामढ़ी संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली छह विधानसभा सीटों में से एक है सुरसंड. वर्ष 1951 में स्थापित इस सीट पर अब तक 17 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. यह क्षेत्र सुरसंड, चोरौत और पुपरी प्रखंडों को शामिल करता है. मिथिला क्षेत्र में भारत-नेपाल सीमा के निकट स्थित सुरसंड, सीतामढ़ी शहर से लगभग 25 किलोमीटर पूर्व और भिठ्ठामोड़ सीमा चौकी से करीब 5 किलोमीटर दूर है.
‘सुरसंड’ नाम का संबंध स्थानीय शासक सुर सेन से माना जाता है. उनके निधन के बाद यह इलाका जंगल में बदल गया था, जिसे बाद में दरभंगा जिले के घोगराहा गांव से आए दो भाइयों- महेश झा और अमर झा ने बसाया. ज्योतिषीय सलाह के आधार पर महेश झा ने सुर सेन के किले के खंडहर के पास बसकर सुरसंड परिवार की नींव रखी. आज भी मुगल कालीन सुरसंडगढ़ किला के अवशेष इस इतिहास के साक्षी हैं.
शुरुआती वर्षों में कांग्रेस का दबदबा रहा और उसने आठ बार जीत हासिल की. बाद में जनता परिवार से निकली पार्टियों- जनता दल, जदयू और राजद ने भी सात बार जीत दर्ज की. दो निर्दलीय उम्मीदवार भी विजयी रहे, जो बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए.
2020 विधानसभा चुनाव में जदयू के दिलीप कुमार राय ने राजद के सैयद अबू दोजाना को 8,876 वोटों से हराया. राय को 67,193 वोट मिले, जबकि दोजाना को 58,317 वोट प्राप्त हुए. लोजपा उम्मीदवार अमित चौधरी 20,281 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे. मतदाता turnout 54.07% रहा.
2020 में यहां 3,22,038 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें 96.72% ग्रामीण और केवल 3.29% शहरी मतदाता थे. अनुसूचित जाति मतदाता 31,109 (9.66%) और मुस्लिम मतदाता 72,136 (22.40%) थे. 2024 लोकसभा चुनाव तक मतदाताओं की संख्या बढ़कर 3,27,651 हो गई, हालांकि लगभग 6,126 मतदाता पलायन कर चुके थे. सीमित रोजगार अवसरों के कारण युवाओं का बड़े पैमाने पर अन्य शहरों व राज्यों की ओर पलायन जारी है.
यह इलाका मध्य गंगा के मैदान का समतल और उपजाऊ क्षेत्र है. धान, गेहूं और दलहन यहां की प्रमुख फसलें हैं. हर साल आने वाली बाढ़ और कमजोर सिंचाई व्यवस्था किसानों के सामने बड़ी चुनौती है. उच्च शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं सीमित हैं, जबकि सुरसंड कस्बा स्थानीय बाजार केंद्र के रूप में कार्य करता है. चोरौत मंदिर और बुढ़वा पोखैर धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थल हैं.
सड़क मार्ग से सीतामढ़ी (25 किमी), मधुबनी (30 किमी), दरभंगा (55 किमी), समस्तीपुर (50 किमी), हाजीपुर (60 किमी) और पटना (75 किमी) से जुड़ा है. यहां पहुंचने के लिए रेल सुविधा सीमित है. नेपाल के जनकपुर (20 किमी), जलेश्वर (15 किमी) और मलंगवा (30 किमी) यहां से नजदीक हैं.
2020 में जीत और 2024 लोकसभा चुनाव में बढ़त के कारण जदयू के पास शुरुआती बढ़त है, लेकिन लगातार हो रहा पलायन, जन आधार में बदलाव और जन सुराज व आम आदमी पार्टी जैसे नए दलों की एंट्री मुकाबले को कड़ा बना सकती है. इस बार चुनावी नतीजे काफी हद तक स्थानीय संगठन, उम्मीदवार की छवि और जातीय समीकरण पर निर्भर करेंगे.
(अजय झा)
Syed Abu Dojana
RJD
Amit Choudhary
LJP
Pappu Kumar Choudhary
IND
Kameshwar Thakur
IND
Soniya Devi
IND
Naval Kishore Raut
SJDD
Gobind Thakur
BP(L)
Manoj Purbey
RPI (KB)
Anupama Kumari
RJJP
Nota
NOTA
Fekan Mandal
VPI
Sunil Kumar
BGMP
Bhogendra Kumar
KJTP
Umesh Ray
BMP
Md. Faisal Ahmad
INL
Krishna Kumar Jha
India
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर पार्टी के भीतर निराशा है. शशि थरूर ने 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' की मांग की, जबकि अन्य नेताओं ने हार का कारण संगठन की कमजोरी, गलत टिकट वितरण और जमीनी हकीकत से कटे कुछ नेताओं को बताया.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.