| Gender | M |
| Age | 65 |
| State | BIHAR |
| Constituency | BHABUA |
शिशुपाल सिंह बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं. उनकी उम्र 65 साल है और उनकी शैक्षिक योग्यता 12th Pass है. उन पर दर्ज केसों की संख्या (0) है. उनकी कुल संपत्ति 2.3Crore रुपये है, जबकि उन पर 0 रुपये की देनदारी है.
Serious IPC Counts
Education
Cases
self profession
| Property details | 2025 |
|---|---|
| Total Assets | 2.3Crore |
| Movable Assets | 1.2Lac |
| Immovable Assets | 2.3Crore |
| Liabilities | 0 |
| Self Income | 0 |
| Total Income | 0 |
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण के मतदान के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एनडीए की जीत का बड़ा दावा किया है. पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर कहा, 'बिहार विधानसभा चुनावों में पहले चरण की वोटिंग में एनडीए ने भारी बढ़त हासिल कर ली है'. उन्होंने यह भी कहा कि दूसरे चरण में भी एनडीए की लहर है.
बिहार में चुनावों की घोषणा हो चुकी है, और इस बार भोजपुरी सितारों का राजनीतिक दलों में दबदबा देखा जा रहा है. पवन सिंह, खेसारी लाल यादव, मैथिली ठाकुर, रितेश पांडे और चेतना झा जैसे बड़े नाम चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं. पवन सिंह का नाम बीजेपी के टिकट पर आरा से जुड़ रहा है, जबकि खेसारी लाल यादव की पत्नी आरजेडी से सारण की माझी सीट से लड़ सकती हैं. रितेश पांडे और चेतना झा जन सुराज पार्टी से चुनाव लड़ेंगे. पवन सिंह 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सात सीटें हारने का कारण बने थे.
बसपा की इस रणनीति से साफ है कि पार्टी बिहार में अपनी पैठ बढ़ाने के लिए मजबूत और प्रभावशाली उम्मीदवारों पर दांव लगा रही है. इन उम्मीदवारों के चयन में स्थानीय प्रभाव, सामाजिक समीकरण और क्षेत्रीय लोकप्रियता को ध्यान में रखा गया है.