LJPRV
CPI
JSP
Nota
NOTA
IND
RLJP
IND
RASP
IND
NCP
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बखरी, बिहार के बेगूसराय जिले में स्थित एक अनुमंडल है. यह कस्बा अपनी घनी जनसंख्या के लिए विशेष रूप से जाना जाता है, जहां प्रति वर्ग किलोमीटर 1,928 व्यक्ति निवास करते हैं, जो इसके आकार के कस्बे के लिए असामान्य रूप से अधिक है.
बखरी, गंडक नदी के पास स्थित है, जो यहां की सिंचाई और खेती पर गहरा प्रभाव डालती है. कृषि यहां के लोगों का मुख्य व्यवसाय है. इस क्षेत्र की मिट्टी बलुई-दोमट है, जो धान, गेहूं, मक्का और दालों की खेती के लिए उपयुक्त है. दुग्ध उत्पादन भी यहां के लोगों की आय का एक अहम स्रोत है. इसके अलावा, कुछ लघु उद्योग भी स्थानीय अर्थव्यवस्था में योगदान करते हैं. बखरी आस-पास के गांवों के लिए एक प्रमुख बाज़ार के रूप में कार्य करता है, जहां ग्रामीण अपनी उपज बेचते हैं और रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुएं खरीदते हैं.
हालांकि बखरी के इतिहास और इसके नाम की उत्पत्ति को लेकर कोई ठोस दस्तावेज उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन कुछ पुरातात्विक साक्ष्य इस क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की ओर संकेत करते हैं. इन साक्ष्यों में मौर्य और गुप्त काल की धरोहरें शामिल हैं, जो इस क्षेत्र के ऐतिहासिक महत्व को दर्शाती हैं.
बखरी, जिला मुख्यालय बेगूसराय से 30 किलोमीटर, खगड़िया से 40 किलोमीटर और समस्तीपुर से 60 किलोमीटर दूर स्थित है. राज्य की राजधानी पटना यहां से 130 किलोमीटर की दूरी पर है.
राजनीतिक दृष्टिकोण से, बखरी विधानसभा क्षेत्र की स्थापना 1951 में की गई थी. 2008 में परिसीमन आयोग द्वारा इसे अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया. यह बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र के सात विधानसभा क्षेत्रों में से एक है. बखरी विधानसभा क्षेत्र में बखरी, डंडारी और गढ़पुरा प्रखंडों के साथ-साथ नवकोठी प्रखंड के पसराहा (पूर्व), नवकोठी, हसनपुरबागर, राजकपुर, विष्णुपुर, समसा और डफरपुर ग्राम पंचायतें शामिल हैं.
2020 में बखरी में कुल 2,70,948 पंजीकृत मतदाता थे, जो 2024 के लोकसभा चुनावों में बढ़कर 2,94,726 हो गए. इनमें अनुसूचित जाति के मतदाता 19.26% और मुस्लिम मतदाता 10.7% हैं. यह एक ग्रामीण प्रधान निर्वाचन क्षेत्र है, जहां 90% मतदाता ग्रामीण क्षेत्र से हैं जबकि शहरी मतदाता केवल 10% हैं.
बखरी में अब तक 17 बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. यह सीट अभी भी वामपंथियों का एक मजबूत गढ़ मानी जाती है. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) ने यहां से 11 बार जीत दर्ज की है, जिसमें 1967 से 1995 तक लगातार आठ बार जीत शामिल है. कांग्रेस ने यहां से तीन बार, 1952, 1957 और 1962 में विजय प्राप्त की है. वर्ष 2000 में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने CPI की लगातार जीत की श्रृंखला को तोड़ा, लेकिन CPI ने 2005 में हुए दोनों चुनावों में वापसी करते हुए जीत दर्ज की.
2008 के परिसीमन के बाद, CPI की पकड़ कमजोर पड़ी और 2010 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने पहली बार यहां जीत हासिल की. 2015 में RJD ने दूसरी बार यहां विजय प्राप्त की, जबकि CPI दोनों बार तीसरे स्थान पर खिसक गई. इसके बावजूद, महागठबंधन की ओर से RJD ने यह सीट एक बार फिर CPI को दी.
हालांकि, बखरी सीट को लेकर महागठबंधन किसी भी प्रकार की ढिलाई नहीं बरत सकता. 2020 के विधानसभा चुनावों में CPI ने RJD और कांग्रेस के समर्थन से BJP को मात्र 777 वोटों से हराया था. 2024 के लोकसभा चुनावों में बखरी विधानसभा खंड में BJP ने CPI उम्मीदवार पर भारी बढ़त बनाई, जो संकेत देता है कि आने वाले विधानसभा चुनावों में यह क्षेत्र महागठबंधन और विपक्ष के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा.
(अजय झा)
Ram Shankar Paswan
BJP
Bijay Paswan
RLSP
Rajesh Kumar Rajak
IND
Satya Prakash
RJVP
Nota
NOTA
Tulsi Tanti
SSD
Ramanand Ram
JAP(L)
Sanjay Kumar
PP
Amit Kumar
NCP
Anita Devi
IND
Manoj Das
BMP
Lal Bahadur Paswan
AAPAP
Maheshwar Ram
JD(S)
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
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बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
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बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.