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Bihar Election Result 2025 Live: छातापुर विधानसभा सीट पर BJP को दोबारा मिली जीत
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छातापुर बिहार के सुपौल जिले में स्थित एक सामान्य श्रेणी की विधानसभा सीट है, जो सुपौल लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है. यह क्षेत्र छातापुर और बसंतपुर प्रखंडों को सम्मिलित करता है और कोसी नदी के बाढ़ क्षेत्र में स्थित है. ज्यादातर ग्रामीण इलाका होने के कारण यहाँ की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है. धान, मक्का और दालें यहाँ की प्रमुख फसलें हैं, वहीं मौसमी सब्जी उत्पादन और छोटे स्तर पर दुग्ध उत्पादन भी स्थानीय आजीविका का हिस्सा हैं. भारत-नेपाल सीमा के समीप स्थित होने के कारण यहां पर अनौपचारिक व्यापार और सीमा पार आवाजाही भी अर्थव्यवस्था में योगदान देते हैं.
छातापुर विधानसभा क्षेत्र की स्थापना 1967 में हुई थी. प्रारंभ में यह अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट थी, लेकिन 2008 में परिसीमन आयोग की सिफारिशों के बाद इसे सामान्य श्रेणी में शामिल कर दिया गया. अब तक इस क्षेत्र में 16 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. कांग्रेस पार्टी ने 1969 से 1985 के बीच तीन बार जीत दर्ज की, जबकि संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, जनता दल और जनता दल (यूनाइटेड) को दो-दो बार सफलता मिली. राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और स्वतंत्र प्रत्याशियों ने भी दो-दो बार जीत हासिल की है. पहली बार 1967 और दूसरी बार अक्टूबर 2005 में निर्दलीय उम्मीदवार विजयी रहे. जनता पार्टी को 1977 में एक बार सफलता मिली थी.
2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के नीरज कुमार सिंह ने 93,755 वोटों के साथ सीट पर कब्जा बरकरार रखा. उन्होंने राजद के विपिन कुमार सिंह को 20,635 वोटों के अंतर से हराया. इस चुनाव में कुल 65.85 प्रतिशत मतदान हुआ, जो कि बिहार के औसत से अधिक है और छातापुर की मजबूत मतदान परंपरा को दर्शाता है. 2020 में यहां कुल 3,10,035 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें से लगभग 58,721 (18.94%) अनुसूचित जाति, 2,759 (0.89%) अनुसूचित जनजाति और 74,718 (24.1%) मुस्लिम मतदाता थे. 2024 के लोकसभा चुनाव तक यह संख्या बढ़कर 3,40,884 हो गई, जबकि निर्वाचन आयोग के अनुसार 2020 की मतदाता सूची के 2,957 मतदाता क्षेत्र से बाहर चले गए.
नीरज कुमार सिंह ने 2010 में पहली बार जेडीयू के टिकट पर जीत दर्ज की थी. इसके बाद 2015 और 2020 में वे भाजपा उम्मीदवार के रूप में विजयी रहे. उनकी लोकप्रियता और सक्रियता ने भाजपा को इस क्षेत्र में मजबूत आधार प्रदान किया है. एनडीए गठबंधन ने लोकसभा चुनावों में भी यहाँ बढ़त बनाए रखी है. 2024 के लोकसभा चुनाव में सुपौल सीट से जेडीयू के दिलेश्वर कामैत (एनडीए उम्मीदवार) ने छातापुर विधानसभा क्षेत्र में अच्छी बढ़त बनाई, जिससे गठबंधन की स्थिति और मजबूत हुई.
छातापुर बिहार के उत्तर-पूर्वी हिस्से में स्थित है, जो नेपाल सीमा के करीब है. यह सुपौल जिला मुख्यालय से लगभग 35 किमी पूर्व और सहरसा से 70 किमी उत्तर-पूर्व में स्थित है. पास के कस्बों में बिरपुर (18 किमी उत्तर), निर्मली (25 किमी पश्चिम) और राघोपुर (30 किमी दक्षिण) शामिल हैं. नेपाल की ओर लहान (40 किमी), राजविराज (45 किमी) और सिरहा (50 किमी) जैसे कस्बे कुनौली और भीमनगर सीमा चौकियों के रास्ते से जुड़े हुए हैं. राज्य की राजधानी पटना यहां से लगभग 270 किमी दक्षिण-पश्चिम में है.
यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन निर्मली में स्थित है, जबकि सहरसा और फॉर्ब्सगंज से भी रेल कनेक्टिविटी उपलब्ध है. सड़क मार्ग से NH-106 और अन्य स्थानीय रास्तों के माध्यम से छातापुर को सुपौल और बिरपुर से जोड़ा गया है. हाल के वर्षों में सड़क ढांचे और विद्यालयों में नामांकन दर में सुधार हुआ है, लेकिन सिंचाई, स्वास्थ्य सेवाओं और बाढ़ प्रबंधन जैसी चुनौतियां अब भी बनी हुई हैं.
2025 के विधानसभा चुनावों की ओर बढ़ते हुए छातापुर एक महत्वपूर्ण और दिलचस्प सीट बन गई है. यहां की उच्च मतदान दर, बदलते राजनीतिक झुकाव और सीमा क्षेत्र के प्रभाव इसे बिहार के उत्तर-पूर्वी इलाकों की राजनीतिक दिशा का संकेतक बना देते हैं. भाजपा नीत एनडीए जहां अपनी स्थिति को और मजबूत करने की कोशिश कर रही है, वहीं राजद नेतृत्व वाला विपक्ष भी खोई हुई जमीन को वापस पाने के प्रयास में है. ऐसे में छातापुर विधानसभा क्षेत्र पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं.
(अजय झा)
Dev Narayan Sada
IND
Sanjeev Mishra
JAP(L)
Arun Kumar Azad
IND
Nasib Lal Sada
IND
Baban Singh
IND
Dayanand Mishra
IND
Alam
AIMIM
Mohammad Matin Ansari
BSP
Niranjan Prasad Gupta
PSS
Bhola Paswan
IND
Deepak Kumar Mishra
IND
Durganand Singh
IND
Nota
NOTA
Ranjeet Kumar Jha
NCP
Krishna Mohan Yadav
IND
Mehboob Alam
IND
Vipin Kumar Singh
RJD
Mohammad Isa Syed
AIMF
Bhaskar Kumar Mishra
PP
Manoj Kumar Mandal
JVKP
Md Mushtak
BJJND
Vipin Kumar Yadav
BMP
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
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बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.