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Bihar Election Result 2025 Live: सुल्तानगंज विधानसभा सीट पर JD(U) को दोबारा मिली जीत
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बिहार के भागलपुर जिले में स्थित सुल्तानगंज एक प्रखंड है, जिसकी पहचान सिर्फ एक कस्बे के रूप में नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक, धार्मिक और राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण स्थल के रूप में भी होती है. प्राचीन काल में यह स्थान अजगैबीनाथ के नाम से प्रसिद्ध था, जो कि यहां स्थित भगवान शिव के एक प्राचीन और श्रद्धेय मंदिर के कारण जाना जाता है. यह मंदिर "स्वयंभू" शिव की उपस्थिति के लिए जाना जाता है. ऐसी मान्यता है है कि शिव यहां स्वयं प्रकट हुए हैं.
अजगैबीनाथ मंदिर गंगा नदी में फैली एक चट्टानी पहाड़ी पर स्थित है, जो इसे एक विशिष्ट धार्मिक स्थल बनाता है. हर साल श्रावण मास में लाखों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं, गंगा जल भरते हैं और फिर झारखंड के देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम तक लगभग 100 किलोमीटर की नंगे पांव यात्रा करते हैं. इस धार्मिक उत्सव की वजह से सुल्तानगंज में करीब एक महीने तक एक मेलानुमा वातावरण बना रहता है, जिससे स्थानीय लोगों की आमदनी में भी इज़ाफा होता है.
सुल्तानगंज का संबंध महाभारत काल के अंग देश और कर्ण जैसे वीर योद्धा से रहा है. यह क्षेत्र महर्षि जह्नु से भी जुड़ा हुआ है, जिनके बारे में मान्यता है कि उन्होंने ध्यान में विघ्न डालने पर गंगा को निगल लिया था. इतना ही नहीं, गुप्तकालीन एक विशाल कांस्य बुद्ध प्रतिमा भी यहां से मिली थी, जिसे अंग्रेजों ने 19वीं सदी में खोजा और अब वह प्रतिमा ब्रिटेन के बर्मिंघम म्यूजियम एंड आर्ट गैलरी में रखी गई है.
आज का सुल्तानगंज गंगा के दक्षिणी तट पर बसा हुआ है. भागलपुर जिला मुख्यालय यहां से 25 किलोमीटर पूर्व में है, जबकि मुंगेर 55 किलोमीटर पश्चिम, बांका 60 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व, पूर्णिया 130 किलोमीटर उत्तर-पूर्व और राज्य की राजधानी पटना 200 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में स्थित है.
धार्मिक पर्यटन के बावजूद सुल्तानगंज की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि आधारित है, हालांकि छोटे पैमाने के उद्योग और स्थानीय व्यापार भी आर्थिक गतिविधियों में योगदान देते हैं.
सुल्तानगंज विधानसभा क्षेत्र की स्थापना 1951 में हुई थी और यह बांका लोकसभा सीट के अंतर्गत आता है. इसमें सुल्तानगंज और शाहकुंड विकास खंड शामिल हैं. 2020 के विधानसभा चुनाव में इस क्षेत्र में 3,28,314 मतदाता पंजीकृत थे, जो 2024 के लोकसभा चुनाव में बढ़कर 3,39,156 हो गए. इनमें से 12.97% अनुसूचित जाति और 11.7% मुस्लिम मतदाता हैं, जबकि केवल 12.13% मतदाता शहरी हैं, जिससे यह एक ग्रामीण प्रधान सीट बनती है.
अब तक सुल्तानगंज से 17 बार विधायक चुने जा चुके हैं. साल 2000 से यह क्षेत्र बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) के पक्ष में लगातार रहा है. साल 2000 में जब पार्टी का नाम समता पार्टी था, तब से लेकर अब तक यह सीट लगातार छह बार जदयू के पास रही है. इससे पहले कांग्रेस ने यहां से सात बार जीत दर्ज की थी. जनता दल दो बार, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी और जनता पार्टी ने एक-एक बार जीत हासिल की है.
गौरतलब है कि बीजेपी और राजद, जो वर्तमान बिहार विधानसभा की दो सबसे बड़ी पार्टियां हैं, इस सीट पर अब तक कभी जीत दर्ज नहीं कर पाई हैं.
सुल्तानगंज पर नीतीश कुमार की पकड़ इतनी मजबूत है कि एलजेपी जैसी पार्टी, जिसने एनडीए से अलग होकर बिहार की राजनीति में कई जगहों पर हलचल मचाई थी, यहां कोई विशेष प्रभाव नहीं डाल पाई. 2020 में जदयू के ललित नारायण मंडल ने कांग्रेस के ललन कुमार को 11,265 वोटों से हराया, जबकि एलजेपी को 10,222 वोट ही मिले.
2024 के लोकसभा चुनावों में भी जदयू ने सुल्तानगंज विधानसभा खंड में 26,749 वोटों की बढ़त हासिल कर एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि यह क्षेत्र नीतीश कुमार का गढ़ बना हुआ है. ऐसा माना जा रहा है कि अगर 2025 नीतीश कुमार का अंतिम चुनाव हुआ, तो उनके प्रति लोगों की भावनात्मक जुड़ाव के चलते विपक्ष के लिए इस किले को भेदना और भी मुश्किल हो जाएगा.
(अजय झा)
Lalan Kumar
INC
Nilam Devi
LJP
Himanshu Parsad
RLSP
Nota
NOTA
Ravi Suman Kumar
BSLP
Ramanand Paswan
IND
Rajan Kumar
IND
Raj Kumar
IND
Kiran Mishra
IND
Naresh Das
SUCI
Madhu Priya
IND
Pankaj Kumar
JDR
Nand Kishor Sharma
LSJP
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
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बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
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