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सुपौल, जो कभी सहरसा का उप-मंडल था, वर्ष 1991 में कोसी क्षेत्र के बाढ़ प्रभावित इलाकों के प्रशासनिक पुनर्गठन के तहत एक स्वतंत्र जिला बना. नेपाल सीमा के पास राष्ट्रीय राजमार्ग 57 पर स्थित यह जिला आज भी बाढ़ और पिछड़ेपन की दोहरी चुनौतियों से जूझ रहा है. 2006 में पंचायती राज मंत्रालय ने सुपौल को भारत के 250 सबसे पिछड़े जिलों में शामिल किया, जिससे यह "Backward Regions Grant Fund Programme" के तहत विशेष वित्तीय सहायता पाने का पात्र बना.
सुपौल की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि आधारित है. धान, मक्का और दालें यहां की प्रमुख फसलें हैं, लेकिन बार-बार आने वाली बाढ़ और मजबूत सिंचाई व्यवस्था के अभाव में उत्पादकता पर प्रतिकूल असर पड़ता है. जिले में औद्योगिक गतिविधियां न के बराबर हैं. हालांकि हाल के वर्षों में लघु कृषि प्रसंस्करण इकाइयों की दिशा में कुछ स्थानीय प्रयास हुए हैं, लेकिन बड़े पैमाने पर निवेश अभी भी दूर की बात है.
सुपौल का धरहरा गांव देशभर में वर्ष 2010 में चर्चा में आया था. यहां एक विशेष परंपरा के तहत हर बार किसी बेटी के जन्म पर परिवार कम-से-कम 10 पेड़, आम या लीची के, लगाते हैं. यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है और इसने पर्यावरण संरक्षण को बेटियों के सम्मान से जोड़ते हुए एक सकारात्मक सामाजिक संदेश दिया है.
सुपौल विधानसभा क्षेत्र की स्थापना 1951 में हुई. यह सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित सीट है, इसमें पिपरा, किशनपुर और सुपौल ब्लॉक शामिल हैं. यह सुपौल लोकसभा क्षेत्र का एक हिस्सा है. सुपौल शहर पटना से लगभग 270 किलोमीटर दूर है, जबकि सहरसा (50 किमी), मधेपुरा (60 किमी) और फॉर्ब्सगंज (70 किमी) इसके निकटवर्ती नगर हैं. NH-57 द्वारा सड़क संपर्क बेहतर है, लेकिन रेल और नागरिक बुनियादी ढांचा अब भी कमजोर बना हुआ है.
2020 के विधानसभा चुनावों में 2,88,703 मतदाता दर्ज थे, जो 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले बढ़कर 3,07,471 हो गए. चुनाव आयोग के अनुसार, 2020 की मतदाता सूची में दर्ज 3,357 मतदाता 2024 से पहले स्थानांतरित हो चुके थे. 2020 में मतदाता मतदान प्रतिशत 59.55% रहा.
जनसंख्यिकी के अनुसार, मुस्लिम समुदाय की हिस्सेदारी 20.4% (58,895 मतदाता) है, इसके बाद यादव समुदाय 16.5% (47,635), अनुसूचित जाति 13.15% (39,849) और शहरी मतदाता लगभग 15.05% (43,450) हैं.
राजनीतिक दृष्टि से सुपौल पिछले दो दशकों से जनता दल (यूनाइटेड) का मजबूत गढ़ बना हुआ है. बिहार के ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव 1990 से इस सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और लगातार आठ बार यहां से जीत दर्ज की है. उन्होंने पहली दो बार जनता दल के टिकट पर जीत हासिल की थी. 2000 में समता पार्टी से चुनाव जीतने के बाद यह पार्टी जद(यू) में विलीन हो गई. शुरुआती वर्षों में उनका जीत का अंतर कम था, लेकिन बाद में यह लगातार बढ़ता गया.
अब तक सुपौल में 18 बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं, जिनमें 1958 का उपचुनाव भी शामिल है. कांग्रेस ने यहां सात बार जीत दर्ज की है. प्रजा सोशलिस्ट पार्टी और जनता दल ने दो-दो बार, जबकि जनता पार्टी ने 1977 में जीत हासिल की. जेडीयू और उसकी पूर्ववर्ती समता पार्टी ने 2000 से लगातार छह बार यह सीट जीती है.
2020 में बिजेंद्र प्रसाद यादव ने कांग्रेस प्रत्याशी मिन्नतुल्लाह रहमानी को 28,099 वोटों से हराया था. उन्होंने 86,174 (50.2%) वोट प्राप्त किए, जबकि कांग्रेस को 58,075 (33.8%) मत मिले. लोक जनशक्ति पार्टी इस चुनाव में तीसरे स्थान पर रही और कोई खास प्रभाव नहीं छोड़ सकी.
लोकसभा चुनावों में भी यह रुझान देखने को मिला. सिर्फ 2014 में जब जेडीयू और बीजेपी के बीच गठबंधन टूटा था, कांग्रेस को सुपौल विधानसभा क्षेत्र में 6,427 वोटों की मामूली बढ़त मिली थी. 2024 में जेडीयू के दिलेश्वर कामैत ने आरजेडी के चंद्रहास चौपाल को इस क्षेत्र में 24,269 वोटों से हराया.
अब जब एनडीए गठबंधन मजबूत है और विपक्ष ‘इंडिया गठबंधन’ के बैनर तले एकजुट हो चुका है, सुपौल विधानसभा सीट पर आगामी लड़ाई जमी-जमाई लोकप्रियता और नए विपक्षी मोर्चे के बीच होगी. हालांकि, अब तक के रुझानों से यह स्पष्ट होता है कि सुपौल में बदलाव की अपेक्षा निरंतरता की संभावना अधिक है.
(अजय झा)
Minnatullah Rahmani
INC
Prabhash Chandra Mandal
LJP
Anil Kumar Singh
IND
Nota
NOTA
Suresh Kumar Azad
JHP
Upendra Sharma
JVKP
Shiv Nath Prasad
RSD (R)
Mritunjay Kumar
JD(S)
Rajesh Kumar
VPI
Pankaj Kumar Mandal
PPI(D)
Bhogi Mandal
RVJP
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
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jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
आज तक की विशेष पेशकश 'पदयात्रा' में श्वेता सिंह बिहार के सुपौल और अररिया जिले से ग्राउंड रिपोर्ट पेश कर रही हैं. सुपौल में कोसी नदी के कारण विस्थापित हुए लोगों का दर्द है जो 15 सालों से टीन की छत के नीचे रह रहे हैं, तो वहीं सीमांचल के अररिया में विकास और राजनीति पर बहस छिड़ी है, जिसमें नरेंद्र मोदी और तेजस्वी यादव के कामकाज पर जनता की राय बंटी हुई है. एक स्थानीय वोटर ने पुराने दिनों को याद करते हुए कहा, ‘राजद का सरकार जो आता था, अपराध बहुत होता था.’
बदलाव के मुद्दे के बीच भी अगर कोई सबसे बड़ा एनडीए का खेवनहार है तो वह महिला वोटर यानि नारी शक्ति है जो जातीय समीकरण से हटकर नीतीश और मोदी के नाम पर आज भी मजबूती से खड़ी है.
बिहार में जबरदस्त सियासी हलचल के बीच राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की वोटर अधिकार यात्रा का दसवां दिन है. एक दिन के ब्रेक के बाद सुपौल से शुरू हुई इस यात्रा में कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी शामिल हुईं. इंडिया गठबंधन महिला कार्यकर्ताओं और वोटरों को लामबंद करने की कोशिश कर रहा है.
'वोटर अधिकार यात्रा' में प्रियंका गांधी वाड्रा और तेलंगाना के CM रेवंत रेड्डी भी शामिल हुए. आज का रूट सुपौल से फुलपरास, झंझारपुर और सकरी बाजार तक तय किया गया है. शाम को सभा सकरी बाजार में होगी और रात का ठहराव दरभंगा में होगा.
राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' आज सुपौल पहुंच रही है. इस यात्रा में आज प्रियंका गांधी शामिल हो रही हैं, जो दो दिवसीय बिहार दौरे पर रहेंगी। प्रियंका गांधी आज सुपौल और मधुबनी में यात्रा में शिरकत करेंगी और कल जानकी मंदिर में पूजा अर्चना का कार्यक्रम है.