JD(U)
INC
IIP
Nota
NOTA
JSP
RLJP
IND
AAP
IND
BHDRP
IND
BSP
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GJPL
Bihar Election Result 2025 Live: बेलदौर विधानसभा सीट पर JD(U) को दोबारा मिली जीत
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बिहार के खगड़िया जिले का एक ब्लॉक, बेलदौर, न केवल भौगोलिक रूप से समतल है बल्कि इसका राजनीतिक इतिहास भी कुछ वैसा ही सपाट है. वर्ष 2008 में परिसीमन आयोग की सिफारिश के बाद यह विधानसभा क्षेत्र के रूप में अस्तित्व में आया. तब से अब तक तीन बार विधानसभा चुनाव हुए हैं, और हर बार जनता दल (यूनाइटेड) को जनता ने खुलकर समर्थन दिया है.
गंगा के मैदानों में स्थित बेलदौर क्षेत्र के पास से कोसी नदी बहती है, जो यहां की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डालती है. गोड़गाई जमालपुर, जो कि बेलदौर से लगभग 25 किलोमीटर दूर है, इस क्षेत्र का प्रमुख आर्थिक केंद्र है. जिला मुख्यालय खगड़िया 50 किमी, बेगूसराय 70 किमी, सहरसा 55 किमी और भागलपुर 85 किमी की दूरी पर स्थित हैं. राज्य की राजधानी पटना यहां से 180 किमी दूर है.
बेलदौर विधानसभा क्षेत्र में बेलदौर और चौथम प्रखंडों के साथ-साथ गोगरी ब्लॉक की 10 ग्राम पंचायतें शामिल हैं. 2008 से पहले ये क्षेत्र विभिन्न अन्य विधानसभा क्षेत्रों का हिस्सा हुआ करते थे.
यह सामान्य निर्वाचन क्षेत्र है लेकिन आरक्षित नहीं है. यह खगड़िया लोकसभा क्षेत्र के छह विधानसभा खंडों में से एक है. वर्ष 2008 से लेकर अब तक हुए तीनों विधानसभा चुनावों में जेडीयू ने जीत दर्ज की है. यह कहना मुश्किल है कि यह जीत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रति मतदाताओं के प्रेम की वजह से है या फिर पन्ना लाल सिंह पटेल के कारण, जो बेलदौर में एक लोकप्रिय चेहरा रहे हैं. पटेल वर्ष 2000 में तत्कालीन चौथम विधानसभा से विधायक बने और 2010, 2015 व 2020 में बेलदौर से लगातार जीत दर्ज की. हालांकि उनकी जीत का अंतर घटता गया है. 2010 में 15,738 वोटों से, 2015 में 13,525 और 2020 में महज 5,108 वोट मिले. इससे उनके जनाधार में गिरावट का संकेत मिलता है.
कुछ लोग मानते हैं कि 2020 में कम अंतर की वजह लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) का प्रभाव था, जिसने जेडीयू के वोट बैंक में सेंध लगाई. लेकिन यह पूरी तरह से सही नहीं है, क्योंकि एलजेपी पहले भी 2010 और 2015 में यहां दूसरा स्थान प्राप्त कर चुकी है. अब जबकि चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी (रामविलास) एनडीए का हिस्सा है, जेडीयू को इस फैक्टर की चिंता करने की जरूरत नहीं है. यह समेकन 2024 के लोकसभा चुनावों में दिखा, जब खगड़िया लोकसभा सीट जीतने वाली एलजेपी (RV) ने बेलदौर विधानसभा क्षेत्र में 47,288 वोटों की बढ़त हासिल की.
2020 विधानसभा चुनावों में बेलदौर में 3,06,644 पंजीकृत मतदाता थे, जो 2024 में बढ़कर 3,20,807 हो गए. 2020 में अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या 14.57% थी, जबकि मुस्लिम मतदाता 10.3% थे. यह पूरी तरह से ग्रामीण क्षेत्र है. यहां एक भी शहरी मतदाता नहीं है.
बेलदौर के मतदाताओं की एक खास बात यह है कि वे चुनाव प्रक्रिया में खास उत्साह नहीं दिखाते. 2010 में मतदान प्रतिशत 56.61% था, जो 2015 में बढ़कर 59.29% हुआ, लेकिन 2020 में यह फिर घटकर 57.76% रह गया. इसके पीछे व्यापक गरीबी, 40% से भी कम साक्षरता दर और विकास की कमी को मुख्य कारण माना जा सकता है.
2025 के विधानसभा चुनाव में जहां एनडीए पहले से कहीं अधिक संगठित नजर आ रहा है, वहीं राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेतृत्व वाला विपक्ष अगर बेलदौर में जीत हासिल करना चाहता है, तो उसे कोई बड़ा उलटफेर करना होगा.
(अजय झा)
Chandan Kumar
INC
Mithilesh Kumar Nishad
LJP
Nagendra Singh Tyagi
JAP(L)
Shiv Narayan Singh
IND
Sushant Yadav
BSP
Priya Kumari
IND
Gauri Shankar Paswan
IND
Nota
NOTA
Sanjay Kumar
IND
Ganesh Sada
IND
Vidya Nand Yadav
SSD
Akhilesh Kumar Vidyarthi
IND
Ram Balak Ram
AJPR
Suraj Kumar
PP
Urmila Devi
JDP(D)
Soni Devi
YKP
Afroz Alam
LJP(S)
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.