LJPRV
RJD
IND
Nota
NOTA
JSP
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JGJP
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IND
RJLP(S)
Simri Bakhtiarpur Vidhan Sabha Chunav Result: Sanjay Kumar Singh ने सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा सीट पर लहराया परचम
Simri Bakhtiarpur Election Results Live: सिमरी बख्तियारपुर निर्वाचन क्षेत्र में LJPRV को मिली जीत, जानें पूरा रिजल्ट
Simri Bakhtiarpur Vidhan Sabha Result Live: सिमरी बख्तियारपुर में LJPRV कैंडिडेट Sanjay Kumar Singh निकले सबसे आगे
Simri Bakhtiarpur Assembly Election Results Live: Bihar की Simri Bakhtiarpur सीट पर मुकाबला एकतरफा! LJPRV ने ली बड़ी बढ़त
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Simri Bakhtiarpur Assembly Election Result Live: सिमरी बख्तियारपुर में RJD पीछे, LJPRV आगे! जानें वोटों का अंतर कितना
सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा क्षेत्र, बिहार के सहरसा जिले में स्थित है और यह खगड़िया लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है. यह क्षेत्र सिमरी बख्तियारपुर और सलखुआ प्रखंडों के साथ-साथ महिषी प्रखंड के सात ग्राम पंचायतों को सम्मिलित करता है. इस विधानसभा क्षेत्र की स्थापना 1951 में हुई थी और पहली बार चुनाव 1952 में संपन्न हुआ था. हालांकि, पहले परिसीमन आयोग की सिफारिशों के अनुसार यह क्षेत्र समाप्त कर दिया गया था, लेकिन 1967 में दूसरे परिसीमन आयोग द्वारा इसे पुनः स्थापित किया गया और 1969 से नियमित रूप से चुनाव हो रहे हैं.
सिमरी बख्तियारपुर एक अनुमंडल स्तरीय कस्बा है, जो आसपास के गांवों को बड़े बाजारों से जोड़ने का मुख्य केंद्र है. यह सहरसा जिले का दूसरा सबसे बड़ा बाजार माना जाता है. क्षेत्र का भूभाग समतल और उपजाऊ है, जो व्यापक कृषि गतिविधियों को समर्थन देता है. कोसी नदी, जो सिमरी बख्तियारपुर से लगभग 22 किमी दूर है, सिंचाई और बाढ़ की स्थिति को काफी प्रभावित करती है.
यहां की कृषि मुख्यतः धान, गेहूं और मक्का पर आधारित है. इसके अलावा मखाना की खेती भी स्थानीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. देश और विदेशों में मखाना की बढ़ती मांग से लोगों की आय और रोजगार के अवसरों में वृद्धि हुई है. साथ ही, चावल मिल और ईंट भट्ठों जैसे लघु उद्योग भी आर्थिक सहारा प्रदान करते हैं.
यह क्षेत्र बिहार और देश के अन्य भागों से एक राष्ट्रीय राजमार्ग के माध्यम से जुड़ा हुआ है, जो सिमरी बख्तियारपुर से होकर गुजरता है. साथ ही एक रेलवे स्टेशन भी है, जिससे क्षेत्र की कनेक्टिविटी और बेहतर होती है. सहरसा जिला मुख्यालय यहां से लगभग 20 किमी दूर है, जबकि खगड़िया 45 किमी, मधेपुरा 30 किमी, मुंगेर 83 किमी और बेगूसराय 106 किमी की दूरी पर स्थित हैं. राज्य की राजधानी पटना की दूरी लगभग 190 किमी है.
सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा क्षेत्र ने अब तक कुल 16 विधानसभा चुनाव देखे हैं, जिनमें 2009 और 2019 में दो उपचुनाव भी शामिल हैं, जब इसके विधायक लोकसभा के लिए निर्वाचित हो गए थे. कांग्रेस पार्टी ने यहां आठ बार जीत दर्ज की है. जनता दल (यूनाइटेड) ने चार बार सफलता पाई, जबकि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने 2019 के उपचुनाव में जीत के साथ इस क्षेत्र में प्रभावी उपस्थिति दर्ज कराई और 2020 में भी विजय प्राप्त की. संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी और जनता दल ने एक-एक बार यह सीट जीती है.
2020 के चुनाव में राजद के युसुफ सलाउद्दीन ने वीआईपी के मुकेश सहनी को मात्र 1,769 वोटों से हराया. यह करीबी मुकाबला लोजपा की वजह से और रोचक बन गया, जिसने एनडीए से अलग होकर अपना उम्मीदवार उतारा था. लोजपा ने 6,962 वोट प्राप्त कर तीसरा स्थान हासिल किया, लेकिन एनडीए की सीट वापसी की कोशिशों को प्रभावित किया. 2015 में यह सीट जेडीयू के पास थी, जब दिनेश चंद्र यादव ने जीत दर्ज की थी. वे पहले 1990 में जनता दल के प्रत्याशी के रूप में और 2005 के दोनों चुनावों में जेडीयू के टिकट पर भी विजयी रह चुके हैं.
सिमरी बख्तियारपुर की मतदाता आबादी पूरी तरह ग्रामीण है, 2011 की जनगणना के अनुसार यहां कोई भी शहरी मतदाता नहीं है. 2020 में यहां कुल 3,38,615 पंजीकृत मतदाता थे. इनमें अनुसूचित जातियों के मतदाता 67,373 थे, जो कुल मतदाताओं का लगभग 18.42 प्रतिशत हैं. मुस्लिम मतदाता 69,077 थे, जो लगभग 20.40 प्रतिशत बनते हैं. 2024 के लोकसभा चुनावों में मतदाताओं की संख्या बढ़कर 3,51,506 हो गई. वर्ष 2020 में यहां 58.09 प्रतिशत की सर्वाधिक मतदान दर दर्ज की गई.
2024 के लोकसभा चुनावों में लोजपा के राजेश वर्मा ने खगड़िया सीट जीती और सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा क्षेत्र में 16,756 वोटों की बढ़त बनाई. यह परिणाम इस ओर संकेत करता है कि एनडीए अब इस सीट पर राजद की पकड़ को चुनौती देने की स्थिति में है, विशेष रूप से तब जब लोजपा फिर से एनडीए का हिस्सा बन चुकी है.
(अजय झा)
Mukesh Sahani
VIP
Sanjay Kumar Singh
LJP
Umesh Chandra Bharti
AMP
Khagesh Kumar Sah
IND
Zafar Alam
JAP(L)
Ritesh Ranjan
IND
Domi Sharma
IND
Sulendra Das
IND
Dhirendra Choudhary
AAM
Rajesh Kumar
LKSP
Pintu Sharma
LJP(S)
Sundaram
RPI(A)
Upendra Yadav
IND
Paras Paswan
BMP
Nota
NOTA
Hashim
SMD (P)
Vinay Kumar Mishra
NCP
Upendra Sahani
RJSBP
Sona Kumar
BSP
Tarun Kumar Jha
IND
Bandan Kumar Singh
IND
Yogavir Roy
IND
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर पार्टी के भीतर निराशा है. शशि थरूर ने 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' की मांग की, जबकि अन्य नेताओं ने हार का कारण संगठन की कमजोरी, गलत टिकट वितरण और जमीनी हकीकत से कटे कुछ नेताओं को बताया.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.