गंगा के दक्षिणी तट पर स्थित भागलपुर, ऐतिहासिक रूप से चंपा नगरी के रूप में जाना जाता था. यह अंग महाजनपद की राजधानी थी, जो प्राचीन भारत के 16 गणराज्यों में से एक था और छठी से चौथी शताब्दी ईसा पूर्व के बीच फला-फूला. यहां की स्थानीय बोली, अंगिका, जो मैथिली भाषा का एक हिस्सा है, इसी प्राचीन गणराज्य के नाम से प्रेरित है.
आज, भागलपुर बिहार का तीसरा सबसे बड़ा शहर है और इसे भारत के सिल्क सिटी के रूप में जाना जाता है. भागलपुरी सिल्क, जिसे टसर सिल्क भी कहा जाता है, अपनी कोमल बनावट के लिए प्रसिद्ध है. यह सिल्क की बनी साड़ी, शॉल, कुर्तियां और अन्य परिधानों का निर्माण व्यापक रूप से किया जाता है.
पटना के अलावा, भागलपुर बिहार का एकमात्र ऐसा शहर है जहां तीन प्रमुख शैक्षणिक संस्थान हैं-, जिनमें जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, बिहार कृषि विश्वविद्यालय और हाल ही में स्थापित भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (IIIT) शामिल है. इसके अलावा, निर्माणाधीन विक्रमशिला विश्वविद्यालय के शुरू होते ही, भागलपुर पटना को भी पीछे छोड़ सकता है. यह विश्वविद्यालय मध्यकालीन विक्रमशिला महाविहार के खंडहरों के पास स्थापित किया जा रहा है. विक्रमशिला महाविहार एक प्रसिद्ध बौद्ध मठ था, जहां कभी 100 से अधिक आचार्य लगभग 1,000 विद्यार्थियों को शिक्षित करते थे. यह विश्वविद्यालय नालंदा विश्वविद्यालय के मुस्लिम आक्रमणकारियों द्वारा विध्वंस के बाद एक प्रमुख शिक्षण केंद्र के रूप में स्थापित किया गया था.
भागलपुर विधानसभा क्षेत्र, जो भागलपुर लोकसभा सीट के अंतर्गत छह खंडों में से एक है, की राजनीतिक विरासत भी शहर के समृद्ध इतिहास की तरह ही महत्वपूर्ण रही है. बिहार के अन्य हिस्सों की तुलना में यहां कांग्रेस पार्टी की मजबूत पकड़ बनी हुई है. कांग्रेस और उसकी प्रमुख प्रतिद्वंद्वी भाजपा के अलावा, पिछले 73 वर्षों में किसी अन्य दल ने यह सीट नहीं जीती है. यहां की एक और दिलचस्प राजनीतिक प्रवृत्ति मतदाताओं की स्थिरता है. विधानसभा की स्थापना के बाद से केवल छह व्यक्तियों ने इस सीट का प्रतिनिधित्व किया है.
1951 से अब तक हुए 18 चुनावों में कांग्रेस और भाजपा (या उसकी पूर्ववर्ती भारतीय जनसंघ) ने नौ-नौ बार यह सीट जीती है. रिकॉर्ड बताते हैं कि 1977 में जनता पार्टी ने यह सीट एक बार जीती थी, लेकिन तब यह भारतीय जनसंघ के विधायक विजय कुमार मित्र ही थे, जिन्होंने जनता पार्टी में विलय के बाद यह सीट बरकरार रखी थी.
वरिष्ठ भाजपा नेता अश्विनी कुमार चौबे ने 1995 से 2014 तक लगातार पांच बार भागलपुर सीट पर कब्जा जमाया, 2014 में वे लोकसभा चुनाव जीतकर राष्ट्रीय राजनीति में प्रवेश कर गए और केंद्रीय मंत्री बने, जिसके बाद उन्होंने यह सीट छोड़ दी. इस रिक्ति का फायदा उठाकर कांग्रेस के अजीत शर्मा ने 2014 के उपचुनाव में जीत हासिल की और फिर 2015 व 2020 में भी इस सीट को बरकरार रखा.
हालांकि, भाजपा इस बार सीट वापस पाने की प्रबल संभावना देख रही है. 2020 के चुनाव में भाजपा उम्मीदवार रोहित पांडे मात्र 1,113 वोटों के बेहद कम अंतर से हार गए थे. यदि भाजपा की पूर्व सहयोगी लोजपा (LJP) ने अपना उम्मीदवार नहीं उतारा होता, जिसने 20,000 से अधिक वोट काट लिए थे, तो भाजपा जीत सकती थी. अब जब लोजपा फिर से भाजपा-नीत एनडीए में शामिल हो गई है, तो भाजपा आशान्वित है. इसके अलावा, 2024 के लोकसभा चुनावों में जदयू ने भागलपुर विधानसभा क्षेत्र में बढ़त हासिल की, जिससे भाजपा की संभावनाएं और भी मजबूत हुई हैं.
भागलपुर एक शहरी क्षेत्र है, जिसकी साक्षरता दर 80 प्रतिशत से अधिक है और इसमें कोई ग्रामीण मतदाता नहीं है. यहां की जनसंख्या में हिंदू 70 प्रतिशत और मुस्लिम 29 प्रतिशत हैं.
2020 के विधानसभा चुनाव में भागलपुर में कुल 3,33,795 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें से 48.44 प्रतिशत ने मतदान किया. इनमें 26 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता थे, जबकि अनुसूचित जाति (SC) की भागीदारी 8.17 प्रतिशत थी. 2024 के लोकसभा चुनावों में मतदाताओं की संख्या मामूली वृद्धि के साथ 3,35,076 हो गई.
हालांकि, एक चिंता की बात यह है कि मतदाताओं में उदासीनता बनी हुई है. पिछले तीन विधानसभा चुनावों में मतदान प्रतिशत लगभग 48 प्रतिशत के आसपास ही रहा है. भाजपा कार्यकर्ताओं को अधिक मतदाताओं को मतदान केंद्रों तक लाने के लिए जुटना होगा, जिससे उनकी जीत की संभावनाएं बेहतर हो सकें.
(अजय झा)
BJP
INC
BSP
JSP
SUCI
PPI(D)
SCP(I)
BP(L)
IND
IND
IND
IND
Nota
NOTA
Rohit Pandey
BJP
Rajesh Verma
LJP
Bijay Prasad Sah
IND
Syed Shah Ali Sajjad Alam
RLSP
Nota
NOTA
Sahendra Prasad Sahu
BMP
Amit Alok
PP
Subodh Mandal
NTTP
Md. Asif Ali
NCP
Bajrang Bihari Sharma
IND
Vinay Yadav
BJKD(D)
Dayaram Mandal
PBP
Ravi Kumar Sinh
SUCI
Neelu Devi
BHDP
Prasun Latant
BGMP
Gaurav Tiwari
JMBP
बिहार चुनाव से पहले घुसपैठियों के मुद्दे, तेजस्वी यादव के नौकरी के वादे और मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति पर सियासी घमासान छिड़ गया है. बहस के दौरान राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता ने प्रधानमंत्री पर तंज कसते हुए एक विवादित बयान दिया.
बिहार चुनाव के मैदान में भागलपुर की रेशमी गलियों से राजनीतिक हलचल तेज हो गई है, जहाँ बुनकरों की बदहाली एक बड़ा मुद्दा है। इस चुनावी माहौल में सांसद पप्पू यादव, राहुल गाँधी और एनडीए एवं महागठबंधन के नेता आमने-सामने हैं। पप्पू यादव ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोलते हुए कहा, 'पहली बार कांग्रेस के लोगों ने हमको राजनीति सीखा दिया...हम पहली बार राजनीति से हमको सिखाया...लोग गंदा राजनीति करते हैं।' बुनकर महंगे धागों और पुरानी तकनीक से परेशान हैं, वहीं जनता की राय बंटी हुई है। कुछ लोग एनडीए सरकार के काम से खुश हैं तो कुछ युवा बदलाव की मांग करते हुए तेजस्वी यादव का समर्थन कर रहे हैं। इसी बीच राहुल गांधी ने बीजेपी और चुनाव आयोग पर लोकतंत्र खत्म करने का गंभीर आरोप लगाया है, जबकि पप्पू यादव बिहार के भविष्य को लेकर निराश नजर आए और जातिगत राजनीति को इसका कारण बताया।
आजतक की एंकर अंजना ओम कश्यप के साथ बिहार के भागलपुर में हुई चुनावी बहस में आरजेडी और बीजेपी के नेता आपस में भिड़ गए. चर्चा तेजस्वी यादव की शैक्षणिक योग्यता से लेकर भागलपुर के विकास तक पहुंची, जहां लोगों ने शहर की गंदगी और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की विफलता पर तीखे सवाल उठाए. एक महिला ने बीजेपी प्रतिनिधि से सीधे पूछा, 'आपने बोला कि 10 से 27 हो गए हैं मेडिकल कॉलेज, तो आप ऐसे गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में जाके अपना ट्रीटमेंट करवा पाएंगी?'
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर भागलपुर की राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है, जहां की जनता नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के रोजगार के वादों पर बंटी हुई नजर आ रही है. भागलपुर जिले की सात विधानसभा सीटों पर चुनावी समीकरण भी दिलचस्प हो गए हैं. कुछ सीटों पर बीजेपी और जेडीयू ने अपने उम्मीदवार बदल दिए हैं, तो वहीं कहलगांव और सुल्तानगंज में कांग्रेस और आरजेडी के बीच दोस्ताना मुकाबला देखने को मिल सकता है.
बिहार के भागलपुर में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और अमित शाह पर तीखा हमला बोला है. राहुल ने आरोप लगाया कि इन नेताओं ने बिहार को देश का मजदूर बना दिया है. उन्होंने कहा, 'नीतीश कुमार, नरेंद्र मोदी, अमित शाह ने बिहार को हिंदुस्तान का मजदूर बना दिया है'.
आज तक के खास कार्यक्रम 'पदयात्रा' में श्वेता सिंह ने बिहार के भागलपुर और जमुई से चुनावी माहौल का जायजा लिया. इस रिपोर्ट में 1989 के भागलपुर दंगों की दर्दनाक यादों के साथ-साथ विकास, रोजगार और सुरक्षा जैसे मुद्दों पर जनता की राय सामने आई. नीतीश कुमार के शासन में सुरक्षा व्यवस्था पर भरोसा जताते हुए एक महिला ने कहा, 'अगर हम लोग अभी निकल के बाहर आ रहे हैं या कुछ काम कर रहे हैं, रात में 8:00 बजे 9:00 बजे 10:00 बजे घर आ रहे हैं तो ये नितीश कुमार का देन.'
आज तक के खास कार्यक्रम 'राजतिलक' में बिहार चुनाव की वोटिंग से ठीक पहले भागलपुर में एक तीखी राजनीतिक बहस हुई. एंकर अंजना ओम कश्यप के सामने भाजपा, जदयू, कांग्रेस, राजद और जन सुराज पार्टी के नेताओं ने भागलपुर की जनता के सवालों का सामना किया. जदयू-भाजपा गठबंधन ने नीतीश सरकार के 20 साल के सुशासन, सड़क निर्माण और महिलाओं को मेडिकल कॉलेज में 33% आरक्षण जैसी उपलब्धियों पर प्रकाश डाला.
लालगंज से आरजेडी उम्मीदवार और बाहुबली मुन्ना शुक्ला की बेटी शिवानी शुक्ला अपने चुनाव प्रचार के दौरान फूट-फूट कर रो पड़ी. शिवानी ने अपने पिता को बेउर जेल से भागलपुर शिफ्ट किए जाने को विरोधियों की साजिश बताया. शिवानी ने आरोप लगाया कि उनके पिता को इसलिए दूर भेजा जा रहा है क्योंकि विपक्ष उनसे डर गया है और चुनाव प्रभावित करना चाहता है.
बिहार में चुनाव प्रचार के बीच वैशाली जिले की लालगंज सीट से चुनाव लड़ रही प्रत्याशी शिवानी शुक्ला को जान से मारने की धमकी दी गई थी. इस धमकी के बाद से पुलिस आरोपी की तलाश कर रही थी. वहीं, अब पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है.
भागलपुर से भाजपा का टिकट न मिलने पर अर्जित शाश्वत चौबे ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की थी, लेकिन पिता अश्विनी चौबे के एक फोन के बाद उन्होंने नामांकन नहीं करने का फैसला लिया. उन्होंने कहा कि पिता के आदेश और पार्टी अनुशासन का पालन करते हुए वे भाजपा में बने रहेंगे और एनडीए उम्मीदवारों के लिए प्रचार करेंगे.