JD(U)
RJD
IND
INC
IND
JSP
Nota
NOTA
IND
IND
BSP
ABYP
IND
IND
IND
Kahalgaon Vidhan Sabha Chunav Result: Shubhanand Mukesh ने कहलगांव विधानसभा सीट पर लहराया परचम
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कहलगांव, जिसका नाम भारतीय इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित है, आज भी 13 शताब्दियों के बाद अमिट बना हुआ है. बिहार के भागलपुर जिले के कहलगांव अनुमंडल के अंतिचक गांव में स्थित अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त विक्रमशिला महाविहार (विश्वविद्यालय) की स्थापना पाल वंश के राजा धर्मपाल ने 8वीं सदी के अंत में की थी. यह बौद्ध शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र था जिसे 1203 ईस्वी में तुर्की सेनापति मुहम्मद बिन बख्तियार खिलजी की सेना ने नष्ट कर दिया था. आज इसके खंडहर भारतीय विरासत की अमूल्य धरोहर हैं.
फरवरी 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा विक्रमशिला केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना की घोषणा के बाद इसे पुनर्जीवित करने के प्रयास तेज हो गए हैं.
इतिहास के पन्नों में यह भी दर्ज है कि कहलगांव 1494 से 1505 तक लगभग 11 वर्षों तक जौनपुर सल्तनत की निर्वासित राजधानी रहा. यही वह स्थान भी है जहां बंगाल के अंतिम शासक महमूद शाह की समाधि स्थित है. उन्हें शेरशाह सूरी से युद्ध में पराजय के बाद यहीं वीरगति प्राप्त हुई थी.
ब्रिटिश शासनकाल में कहलगांव को 'कॉलगोंग' कहा जाता था और यह नील की खेती, भंडारण और व्यापार का केंद्र था. अंग्रेज अधिकारियों ने स्थानीय किसानों को पारंपरिक फसलों जैसे धान, गेहूं और दालों के स्थान पर जबरन नील की खेती करने पर मजबूर किया. वर्तमान में एसएसवी (शंकर साह विक्रमशिला) कॉलेज, तब नील के भंडारण का स्थल था. गंगा किनारे स्थित कहलगांव की उपजाऊ भूमि हमेशा से कृषि के लिए अनुकूल रही है.
1985 में एनटीपीसी द्वारा कहलगांव सुपर थर्मल पावर प्लांट की स्थापना के साथ कहलगांव की तकदीर ने करवट ली. 2,430 मेगावाट की स्थापित क्षमता वाला यह संयंत्र 1992 में चालू हुआ. इसके साथ ही आधुनिक आधारभूत संरचनाएं, जो अन्यथा वर्षों में बनतीं, एनटीपीसी टाउनशिप के लिए तेजी से विकसित की गईं.
कहलगांव कई प्राचीन मंदिरों और धार्मिक स्थलों का घर है. विक्रमशिला महाविहार के खंडहर समेत यह स्थल बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करते हैं, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बल मिलता है. यह भी माना जाता है कि कहलगांव का नाम महाभारत कालीन ऋषि अष्टावक्र के पिता काशोल ऋषि के नाम पर पड़ा.
1951 में स्थापित कहलगांव विधानसभा क्षेत्र, भागलपुर लोकसभा सीट के अंतर्गत छह खंडों में से एक है. यह क्षेत्र गोराडीह और सोनहोला प्रखंडों तथा 12 ग्राम पंचायतों और कहलगांव नगर पंचायत को मिलाकर बना है.
2020 के विधानसभा चुनावों में यहां 3,31,391 पंजीकृत मतदाता थे, जो 2024 के लोकसभा चुनावों में बढ़कर 3,51,490 हो गए. यहां अनुसूचित जाति के 11.71%, अनुसूचित जनजाति के 1.12%, और मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 18.1% है. केवल 6.95% मतदाता शहरी क्षेत्र से आते हैं, जिससे यह स्पष्ट है कि यह एक प्रमुखतः ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र है.
कहलगांव में मतदान प्रतिशत लगातार बढ़ रहा है. 2015 में 57.48%, 2019 के लोकसभा चुनाव में 61.33%, और 2020 में यह 62.02% तक पहुंच गया.
अब तक हुए 17 विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी ने 11 बार जीत हासिल की है. जनता दल ने दो बार, जबकि सीपीआई, एक निर्दलीय, जद(यू), और भाजपा ने एक-एक बार जीत दर्ज की है. पिछले छह चुनावों में एक स्पष्ट प्रवृत्ति यह रही है कि कांग्रेस दो बार जीतती है और फिर हार जाती है, जैसे 2000 और फरवरी 2005 में जीत मिली, लेकिन अक्टूबर 2005 में जद(यू) विजय रही. फिर कांग्रेस ने 2010 और 2015 में जीत दर्ज की, जिसके बाद 2020 में भाजपा ने सीट पर कब्जा किया.
हालांकि कांग्रेस की जीत का यह पैटर्न उल्लेखनीय है, लेकिन इससे कहलगांव की सीट को पूर्वानुमानित नहीं माना जा सकता. 2020 में भाजपा के पवन कुमार यादव ने कांग्रेस के शुभानंद मुकेश को 42,893 मतों से हराया. 2024 के लोकसभा चुनावों में जद(यू) ने भी कांग्रेस पर 29,766 वोटों की बढ़त हासिल की, जिससे यह साफ है कि सत्तारूढ़ एनडीए और विपक्षी महागठबंधन के बीच मुकाबला दिलचस्प होने वाला है.
(अजय झा)
Shubhanand Mukesh
INC
Bijay Kumar Yadav
IND
Nota
NOTA
Anuj Kumar Mandal
NCP
Mahendra Tanti
IND
Krishna Kumar Mandal
BSP
Anil Yadav
JAP(L)
Sadanand Singh
IND
Bhola Harijan
IND
Manoj Kumar Yadav
VSP
Ramchandra Mandal
BJKD(D)
Bhagerath Kumar
BSSP
Gulam Ahmad
BSLP
Pratima Devi
BP(L)
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
Kahalgaon Result 2025: कहलगांव सीट पर इस बार बेहद दिलचस्प मुकाबला देखने को मिला. कहलगांव में 50112 वोट के साथ शुभानंद मुकेश बड़ी जीत, राजद के रजनीश भारती हार गए. जदयू ने कांग्रेस के दिग्गज नेता सदानंद सिंह के बेटे शुभानंद मुकेश को टिकट देकर बड़ी रणनीतिक चाल चली. पिछली बार उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था, लेकिन भाजपा के पवन कुमार यादव के हाथों हार का सामना करना पड़ा था.
आज तक के खास कार्यक्रम 'पदयात्रा' में श्वेता सिंह ने बिहार के भागलपुर और जमुई से चुनावी माहौल का जायजा लिया. इस रिपोर्ट में 1989 के भागलपुर दंगों की दर्दनाक यादों के साथ-साथ विकास, रोजगार और सुरक्षा जैसे मुद्दों पर जनता की राय सामने आई. नीतीश कुमार के शासन में सुरक्षा व्यवस्था पर भरोसा जताते हुए एक महिला ने कहा, 'अगर हम लोग अभी निकल के बाहर आ रहे हैं या कुछ काम कर रहे हैं, रात में 8:00 बजे 9:00 बजे 10:00 बजे घर आ रहे हैं तो ये नितीश कुमार का देन.'
कांग्रेस नेता पप्पू यादव ने बिहार चुनाव को लेकर अपनी पार्टी की रणनीति स्पष्ट की है. उन्होंने कहा कि बिहार की जनता राहुल गांधी के चेहरे पर चुनाव लड़ना चाहती है, ताकि इंडिया गठबंधन की सरकार बन सके. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे को 'विनाश और नफरत' का चेहरा बताया, जबकि नीतीश कुमार के पास मुख्यमंत्री का कोई चेहरा न होने की बात कही.
Bihar elections update: बिहार में 12 सीटों पर महागठबंधन उम्मीदवार आमने-सामने आ गए हैं. अभी तक की जानकारी के मुताबिक 6 सीटों पर RJD बनाम कांग्रेस, 4 सीटों पर CPI vs CONGRESS और एक सीट पर VIP बनाम RJD की जंग सामने आ रही है.
बिहार चुनाव के लिए कांग्रेस ने अपनी नई लिस्ट जारी की है. इसमें 6 नाम शामिल हैं. कांग्रेस ने पहली लिस्ट 17 अक्टूबर को जारी की थी, इसमें 48 उम्मीदवारों का ऐलान किया गया था. जबकि दूसरी लिस्ट में 1, तीसरी में 5 कैंडिडेट्स की घोषणा की गई. बाद में सुपौल सीट के लिए एक और प्रत्याशी के नाम का ऐलान किया.