LJPRV
RJD
AIMIM
JSP
Nota
NOTA
IND
BSP
IND
IND
IND
IND
IND
IND
IND
PPI(D)
BP(L)
Nathnagar Vidhan Sabha Chunav Result: Mithun Kumar ने नाथनगर विधानसभा सीट पर लहराया परचम
Nathnagar Vidhan Sabha Results Live: बिहार की नाथनगर विधानसभा सीट पर LJPRV का दबदबा, RJD को हराया
Nathnagar Vidhan Sabha Result Live: बिहार इलेक्शन रिजल्ट अपडेट्स कैसे चेक करें?
Bihar Assembly Election Results 2025 Live: दिग्गज कैंडिडेट्स के क्या हैं हाल?
Bihar Election Results Live: बिहार चुनाव में राजनीतिक गठबंधनों का प्रदर्शन कैसा है?
Bihar Assembly Election Results 2025 Live: दिग्गज कैंडिडेट्स के क्या हैं हाल?
नाथनगर, बिहार के भागलपुर जिले में स्थित एक प्रखंड है, जिसकी ऐतिहासिक विरासत लगभग 2800 वर्ष पुरानी मानी जाती है. यह क्षेत्र प्राचीन अंग महाजनपद का हिस्सा था, जो प्राचीन भारत के 16 महाजनपदों में से एक था.
नाथनगर का चंपानगर इलाका कभी अंग साम्राज्य की राजधानी हुआ करता था. कहा जाता है कि इस पर महाभारत काल के महान योद्धा कर्ण का शासन था. पुरातात्विक सर्वेक्षणों में यहां बड़े टीलों के नीचे प्राचीन किलों और महलों के अवशेष पाए गए हैं. हालांकि, निधियों की कमी के कारण खुदाई का कार्य अधूरा रह गया. सीमित खुदाई में प्राप्त ईंटें, मृदभांड और अन्य अवशेष इस बात का प्रमाण हैं कि यह क्षेत्र कभी एक समृद्ध सभ्यता का केंद्र रहा होगा. महाभारत काल से जुड़ा माना जाने वाला मनीनाथ मंदिर आज भी यहां स्थित है.
वर्तमान में नाथनगर पवित्र गंगा नदी के पास बसा है. यहां की जमीन समतल और उपजाऊ है, जो खेती के लिए उपयुक्त है. हालांकि कुछ छोटे पैमाने के उद्योग भी उभरे हैं, परंतु स्थानीय अर्थव्यवस्था अब भी मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है.
नाथनगर, भागलपुर जिला मुख्यालय से 10 किमी दूर है. इसके निकटवर्ती कस्बों में सुल्तानगंज (25 किमी) और कहलगांव (30 किमी) शामिल हैं.
नाथनगर विधानसभा क्षेत्र की स्थापना वर्ष 1967 में हुई थी. यह भागलपुर लोकसभा सीट के छह विधानसभा खंडों में से एक है. यह नाथनगर और सबौर प्रखंडों के साथ-साथ जगदीशपुर प्रखंड के 15 ग्राम और नगर पंचायतों को शामिल करता है.
वर्ष 2020 के विधानसभा चुनावों में यहां 3,26,124 पंजीकृत मतदाता थे, जो 2024 के लोकसभा चुनावों में बढ़कर 3,40,735 हो गए. इनमें से अनुमानतः 10.9% मतदाता अनुसूचित जाति समुदाय से आते हैं, जबकि मुस्लिम मतदाताओं की हिस्सेदारी लगभग 22.3% है. यह क्षेत्र मुख्य रूप से ग्रामीण है, जिसमें केवल 13.94% मतदाता शहरी हैं.
पिछले 48 वर्षों में नाथनगर में 15 बार चुनाव हो चुके हैं, जिनमें एक उपचुनाव 2019 में हुआ. 2000 से शुरू होकर लगातार छह बार (एक बार समता पार्टी के नाम से) जनता दल (यूनाइटेड) ने यहां जीत दर्ज की है. यह सीट इस बात का उदाहरण है कि आंतरिक कलह कैसे बाहरी दलों को फायदा पहुंचाती है. 2020 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मतभेद के चलते लोजपा ने एनडीए से अलग होकर 134 सीटों पर उम्मीदवार उतारे, और सिर्फ एक सीट जीतकर भी जदयू को 25 सीटों पर नुकसान पहुंचाया, जिनमें नाथनगर भी शामिल था.
इसका परिणाम यह हुआ कि 2020 के चुनावों में जदयू की जीत की सीरीज टूट गई, और पहली बार राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अली अशरफ सिद्दीकी ने जदयू के मौजूदा विधायक लक्ष्मीकांत मंडल को 7,756 वोटों से हराकर सीट अपने नाम की. लोजपा ने उस चुनाव में 14,715 वोट हासिल किए.
चार साल बाद, जब लोजपा फिर से एनडीए में शामिल हुई, तो 2024 के लोकसभा चुनावों में नाथनगर खंड में जदयू ने 10,798 वोटों की बढ़त दर्ज की.
नाथनगर विधानसभा सीट पर जदयू ने छह बार, राजद ने एक बार, कांग्रेस ने तीन बार (आखिरी बार 1980 में), जनता दल ने दो बार, और भारतीय जनसंघ व लोक दल ने एक-एक बार जीत दर्ज की है.
नाथनगर में मतदाताओं की भागीदारी हमेशा स्थिर रही है. 2019 के लोकसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत 60.12% था, जो 2020 के विधानसभा चुनाव में थोड़ा घटकर 59.82% रहा.
2025 के विधानसभा चुनावों में राजद को अगर इस सीट को बरकरार रखना है, तो केवल एनडीए में दरार की उम्मीद करना शायद काफी नहीं होगा. इसे जीतने के लिए जमीनी रणनीति और मजबूत संगठनात्मक ताकत की आवश्यकता होगी.
(अजय झा)
Laxmikant Mandal
JD(U)
Amarnath Prasad
LJP
Ashok Kumar
BSP
Gouri Shankar Singh
IND
Ajay Kumar Mandal
BP(L)
Bhuneshwar Mandal
IND
Brahamdev Paswan
IND
Anuj Kumar
IND
Narottam Shrivastava
IND
Nota
NOTA
Shailendra Kumar
IND
Sanjay Kumar
IND
Mohammad Akbar Ali
NCP
Gautam Panjiyara
RMSP
Kumari Asha
PP
Shiv Shankar Sharma
LJP(S)
Zafar Mustafa
JAP(L)
Pawan Kumar Sah
BJKD(D)
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर पार्टी के भीतर निराशा है. शशि थरूर ने 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' की मांग की, जबकि अन्य नेताओं ने हार का कारण संगठन की कमजोरी, गलत टिकट वितरण और जमीनी हकीकत से कटे कुछ नेताओं को बताया.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.