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Alauli (SC) Vidhan Sabha Chunav Result Live: Ram Chandra Sada ने अलौली (एससी) विधानसभा सीट पर लहराया परचम
Alauli (SC) Vidhan Sabha Election Results Live: अलौली (एससी) विधानसभा सीट के नतीजे सामने आए, JD(U) ने RJD को दी शिकस्त
Alauli (SC) Election Results 2025 Live: अलौली (एससी) सीट पर उलटफेर! RJD भारी अंतर से पीछे
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Alauli (SC) Assembly Election Results Live: Bihar की Alauli (SC) सीट पर मुकाबला एकतरफा! JD(U) ने ली बड़ी बढ़त
बिहार के खगड़िया जिले में स्थित अलौली एक सामुदायिक विकास खंड है, जो दिवंगत रामविलास पासवान की राजनीतिक यात्रा से गहराई से जुड़ा रहा है. भले ही पासवान ने महज 23 वर्ष की उम्र में यह सीट सिर्फ एक बार, 1969 में जीती थी, लेकिन उनका प्रभाव इस क्षेत्र में वर्षों तक बना रहा. 1972 में अलौली सीट हारने के बाद उन्होंने राष्ट्रीय राजनीति की ओर रुख किया, जबकि उनके छोटे भाई पशुपति कुमार पारस ने इस विधानसभा क्षेत्र से सात बार जीत हासिल की, जिनमें छह लगातार जीतें शामिल हैं. इन दोनों भाइयों ने समय के साथ कई समाजवादी दलों का प्रतिनिधित्व किया, जो आपसी विभाजनों और पुनर्गठन के चलते नए-नए नामों से अस्तित्व में आते रहे. अंततः रामविलास पासवान ने अपनी पार्टी, लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) की स्थापना की.
खगड़िया जिला मुख्यालय से लगभग 19 किलोमीटर उत्तर में स्थित अलौली, लूना और सालंदी नदियों के निकट बसा हुआ है. यह क्षेत्र गंगा के मैदानों की तरह सपाट और उपजाऊ है. यहां की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि पर आधारित है, जिसमें अधिकांश लोग खेती, पशुपालन और दुग्ध उत्पादन जैसे सहायक क्षेत्रों में कार्यरत हैं. कुछ लोग हस्तशिल्प कार्य जैसे बुनाई, मिट्टी के बर्तन बनाना और बांस के उत्पादों में भी लगे हैं. हालांकि, इन क्षेत्रों में सीमित रोजगार के कारण लोगों को रोजगार की तलाश में खगड़िया, अन्य शहरों या दूसरे राज्यों की ओर पलायन करना पड़ता है.
ग्रामीण चरित्र वाले इस क्षेत्र का कोई ठोस ऐतिहासिक दस्तावेज उपलब्ध नहीं है, जिससे यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि "अलौली" नाम की उत्पत्ति कैसे हुई.
अलौली को 1962 में विधानसभा क्षेत्र के रूप में स्थापित किया गया था और यह अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट है. यह खगड़िया लोकसभा क्षेत्र के छह विधानसभा क्षेत्रों में से एक है और इसमें अलौली ब्लॉक के साथ खगड़िया ब्लॉक की 18 ग्राम पंचायतें शामिल हैं.
अब तक अलौली में कुल 15 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. कांग्रेस ने यहां 1962, 1967, 1972 और 1980 में जीत दर्ज की. इसके अतिरिक्त समाजवादी विचारधारा का दावा करने वाले दलों ने 11 बार यह सीट जीती है. इनमें जनता दल, जनता दल (यूनाइटेड), राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) ने दो-दो बार जीत दर्ज की है. संयुक्त समाजवादी पार्टी, जनता पार्टी और लोक दल को एक-एक बार सफलता मिली है.
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की हाल की दो जीतें, 2015 और 2020 के चुनावों में, उनके प्रभाव के कारण कम और परिस्थितियों के चलते अधिक रही हैं. 2015 में जेडीयू और आरजेडी के महागठबंधन ने मिलकर चुनाव लड़ा और आरजेडी ने यह सीट 24,470 वोटों से जीती. पशुपति पारस को लगातार दूसरी बार हार का सामना करना पड़ा.
2020 में, चिराग पासवान के नेतृत्व में एलजेपी ने एनडीए से अलग होकर इस सीट पर उम्मीदवार उतारा, जिससे वोटों का विभाजन हुआ और आरजेडी केवल 2,773 वोटों से सीट बचाने में सफल रही. एलजेपी तीसरे स्थान पर रही लेकिन उसने 26,386 वोट हासिल किए, जो आरजेडी की जीत के अंतर से काफी अधिक था.
2020 में जहां एनडीए में विभाजन नजर आया, वहीं 2024 के लोकसभा चुनावों में एकता की ताकत सामने आई. एलजेपी (रामविलास) के एनडीए में वापस लौटने के बाद, जेडीयू और बीजेपी के समर्थन से यह गठबंधन खगड़िया लोकसभा सीट आसानी से जीत सका और अलौली विधानसभा क्षेत्र में भी बढ़त बनाई.
2020 में अलौली में पंजीकृत मतदाताओं की संख्या 2,52,891 थी, जो 2024 के लोकसभा चुनावों में बढ़कर 2,67,640 हो गई. अनुसूचित जाति के मतदाता लगभग 25.39 प्रतिशत और मुस्लिम मतदाता 7.6 प्रतिशत हैं. यह एक पूर्णतः ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र है जहां शहरी मतदाता नहीं हैं, यह क्षेत्र में विकास और शहरीकरण की कमी को दर्शाता है.
हालांकि, मतदाता भागीदारी में गिरावट चिंता का विषय बनी हुई है. मतदाताओं में यह धारणा घर कर गई है कि सत्ता में कोई भी पार्टी आए, उनकी स्थिति में बदलाव नहीं होता. 2015 के चुनाव में 59.71 प्रतिशत मतदान हुआ था, जो 2019 के लोकसभा चुनावों में घटकर 58.2 प्रतिशत हो गया और 2020 के विधानसभा चुनाव में और घटकर 57.09 प्रतिशत रह गया.
(अजय झा)
Sadhana Sada
JD(U)
Ramchandra Sada
LJP
Bodhan Sada
JAP(L)
Rajesh Kumar Sada
IND
Nilam Devi
AJPR
Nota
NOTA
Wakil Paswan
IND
Jagnandan Sada
BSP
Sunil Kumar Rajak
RSSD
Shyam Sundar Ram
SSD
Avinash Kumar
JDP(D)
Ranveer Kumar
AAPAP
Ratan Bihari
PP
Moni Kumar
BMP
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
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