BJP
RJD
JSP
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NOTA
IND
IND
AAP
BSP
PPI(D)
BLCP
SBSP
Bihar Election Result 2025 Live: पीरपैंती (एससी) विधानसभा सीट पर BJP को दोबारा मिली जीत
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पीरपैंती बिहार के भागलपुर जिले का एक ब्लॉक और अधिसूचित क्षेत्र है. सरकारी भाषा में, अधिसूचित क्षेत्र ऐसे बस्तियों को कहा जाता है जो ना तो पूरी तरह गांव होती हैं और ना ही नगर. जिला मुख्यालय भागलपुर से 53 किलोमीटर पूर्व में स्थित पीरपैंती गंगा नदी के किनारे बसा हुआ है. इसके आसपास के प्रमुख शहरों में कहलगांव (25 किमी पश्चिम), मनिहारी (30 किमी उत्तर-पूर्व), झारखंड का साहिबगंज (40 किमी पूर्व) और कटिहार (70 किमी उत्तर-पूर्व) शामिल हैं. राज्य की राजधानी पटना यहां से लगभग 233 किलोमीटर दूर है.
गंगा नदी पीरपैंती की जीवनरेखा मानी जाती है. इसका धार्मिक महत्व भी है. गंगा तट पर स्थित एक पीर की मजार यहां के लोगों की श्रद्धा का केंद्र है. मध्यकाल में बिहार में कई सूफी संतों का आगमन हुआ था, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि यह पीर कौन थे. दिलचस्प बात यह है कि इस पीर की मजार पर विभिन्न धर्मों के लोग श्रद्धा से आते हैं.
गंगा नदी न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह कृषि, मछली पालन, परिवहन और व्यापार की दृष्टि से भी अहम भूमिका निभाती है. पीरपैंती की मिश्रित अर्थव्यवस्था में कृषि और मछली पालन के साथ-साथ व्यापार और लघु उद्योग भी महत्वपूर्ण योगदान देते हैं.
पीरपैंती भागलपुर जिले का सबसे बड़ा प्रखंड है जिसमें 89 गांव और 29 पंचायतें शामिल हैं.
2020 विधानसभा चुनावों में पीरपैंती विधानसभा क्षेत्र में कुल 3,35,919 पंजीकृत मतदाता थे, जो 2024 के लोकसभा चुनावों में बढ़कर 3,53,124 हो गए. मतदाता संरचना में अनुसूचित जातियों का हिस्सा 13.31 प्रतिशत, अनुसूचित जनजातियों का 11.65 प्रतिशत और मुस्लिम समुदाय का 11.7 प्रतिशत है. पीरपैंती में मतदान प्रतिशत आमतौर पर काफी अच्छा रहता है. 2015 के विधानसभा चुनावों में यह 57.56 प्रतिशत रहा, जबकि 2019 के लोकसभा चुनावों में यह 59.67 प्रतिशत और 2020 के विधानसभा चुनावों में 59.03 प्रतिशत रहा.
1951 में स्थापित पीरपैंती विधानसभा क्षेत्र, भागलपुर लोकसभा सीट के छह विधानसभा क्षेत्रों में से एक है. इस क्षेत्र में पीरपैंती प्रखंड के अलावा कहलगांव विकास खंड की 18 ग्राम पंचायतें भी आती हैं. प्रारंभ में यह सीट सामान्य श्रेणी की थी, लेकिन 2008 में हुए परिसीमन के बाद इसे अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दिया गया.
हालांकि, आरक्षण का चुनाव परिणामों पर सीधा असर नहीं पड़ा है. यहां भाजपा और राजद के बीच बराबरी की टक्कर होती रही है. अब तक हुए 17 विधानसभा चुनावों में सीपीआई ने छह बार और कांग्रेस ने पांच बार यह सीट जीती है. राजद ने चार बार और भाजपा ने दो बार जीत हासिल की है. 2020 के विधानसभा चुनावों में भाजपा के ललन कुमार ने राजद उम्मीदवार को 27,019 वोटों से हराया था.
2015 में भाजपा को राजद से 5,144 वोटों से हार का सामना करना पड़ा था, जबकि 2010 में भाजपा ने 5,752 वोटों से जीत दर्ज की थी. हालांकि, ये आंकड़े किसी एकतरफा रुझान की ओर संकेत नहीं करते. 2024 के लोकसभा चुनावों में जब जदयू ने भागलपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा, तो पीरपैंती क्षेत्र में राजद को बढ़त मिली.
इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि पीरपैंती की सीट को कोई भी पार्टी हल्के में नहीं ले सकती. 2025 के विधानसभा चुनावों में यहां कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है.
(अजय झा)
Ram Vilash Paswan
RJD
Aman Kumar
IND
Awadh Kishore Bharti
IND
Ajay Kumar Paswan
IND
Bishnudev Kumar Paswan
NCP
Udhali Paswan
IND
Naresh Das
RJSBP
Nota
NOTA
Anil Das
NTTP
Sudhir Paswan
BP(L)
Upendra Paswan
PBP
Sudhir Kumar
RJJP
Dilip Kumar
PP
Shankar Ravidas
ZKP
Pankaj Paswan
IND
Rajesh Paswan
BSLP
Ravindra Kumar Das
JAP(L)
Nirmala Devi
JMM
Deo Kumar Paswan
IND
Pankaj Paswan
PPI(D)
Pravin Nag
BHDP
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.