विरासत की सियासत... बिहार में नेताओं के बेटे-बेटियों वाली सीट पर किसका दबदबा?

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में विरासत की राजनीति चरम पर दिखी, जहां लगभग हर जिले में बड़े राजनीतिक घरानों के बेटे-बेटियों, बहुओं, दामादों और रिश्तेदारों को टिकट मिला. आरजेडी, कांग्रेस, जेडीयू, बीजेपी, वीआईपी और हम - हर दल में परिवारवाद प्रमुख रहा.

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लालू परिवार से लेकर पासवान, मांझी और मिश्रा खानदान तक - बिहार चुनाव में विरासत का वर्चस्व (Photo: PTI) लालू परिवार से लेकर पासवान, मांझी और मिश्रा खानदान तक - बिहार चुनाव में विरासत का वर्चस्व (Photo: PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 14 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 12:14 AM IST

बिहार की सियासत में विरासत को बचाए रखने की लड़ाई थी. एनडीए और महागठबंधन दोनों ने बड़ी संख्या में नेताओं के बेटे-बेटियों को चुनावी मैदान में उतार रखा था. लगभग हर जिले में किसी न किसी बड़े सियासी घराने के बेटे, बेटी, दामाद, बहू या पत्नी चुनावी अखाड़े में किस्मत आजमा रहे थे.

आरजेडी में परिवारवाद

आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव राघोपुर से मैदान में थे. वो जीते. बाहुबली शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब रघुनाथपुर से लड़ रहे थे. वे भी जीत गए. पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला की पुत्री शिवानी शुक्ला लालगंज से हार गईं. कौशल यादव नवादा से हारे. 

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पूर्व केंद्रीय मंत्री अली अशरफ आदमी के पुत्र फराज फातमी केवटी से हारे. बिस्फी से फैयाज अहमद के पुत्र आशिफ अहमद जीते. दिग्गज नेता राजकुमार महासेठ के बेटे समीर महासेठ मधुबनी से हारे. जहानाबाद से जगदीश शर्मा के पुत्र राहुल शर्मा जीते. शिवानंद तिवारी के पुत्र राहुल तिवारी शाहपुर से हारे. लौकहा से धनिकलाल मंडल के पुत्र भरत मंडल हारे.

परबत्ता से दिवंगत आरएन सिंह के पुत्र डॉ. संजीव हारे. परिहार सीट से पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे की बहू स्मिता पूर्वे भी हारीं. पूर्व मंत्री तुलसी मेहता के पुत्र आलोक मेहता उजियारपुर विधानसभा सीट से जीते. 

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ओबरा विधानसभा सीट पर पूर्व केंद्रीय मंत्री कांति सिंह के पुत्र ऋषि हारे. रघुनाथ झा के पोते नवनीत झा शिवहर सीट हारे. झारखंड सरकार में मंत्री संजय यादव के पुत्र रजनीश यादव कहलगांव से हारे. जगदानंद सिंह के बेटे अजीत सिंह रामगढ़ से चुनाव हारे.

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महागठबंधन के दूसरे घटक दल कांग्रेस ने भी परिवारवाद पर भरोसा जताया है. ललित नारायण मिश्रा के पोते ऋषि मिश्रा जाले से हारे. केदार पांडे के पोते शाश्वत केदार भी हारे. औरंगाबाद सीट से जमुना सिंह के पुत्र आनंद शंकर सिंह हारे.

औरंगाबाद सीट से जमुना सिंह के पुत्र आनंद शंकर सिंह हारे. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम कुटुंबा हारे.

सीपीआई ने बिहार के सचिव राम नरेश पांडे के पुत्र राकेश कुमार पांडे को हरलाखी से उतारा था. वो हार गए.


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जेडीयू में परिवारवादी नेता


घोसी से पूर्व सांसद अरुण कुमार के पुत्र ऋतुराज 11929 वोटों से जीत गए हैं. चेरिया बरियारपुर से पूर्व विधायक मंजू वर्मा के बेटे अभिषेक आनंद 4119 वोटों से जीत गए हैं. पूर्व विधायक राजबल्लभ यादव की पत्नी विभा देवी को नवादा मैदान में है. वह 27594 वोटों से जीत गई हैं. कहलगांव सीट से जेडीयू के शुभानंद मुकेश  50112 वोटों से चुनाव जीत गए हैं. हरलाखी से पूर्व विधायक बसंत कुशवाहा के बेटे सुधांशु शेखर 36236 वोटों से चुनाव जीत गए हैं. लौकहा सीट पर पूर्व मंत्री हरि शाह के बेटे सतीश शाह 25511 वोटों से जीत गए हैं.

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कुशेश्वरस्थान सीट पर पूर्व विधायक अशोक राम के बेटे अतिरेक कुमार 36441 वोटों से चुनाव जीत गए हैं. बाहुबली नेता और पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह के पुत्र रणधीर सिंह मांझी सीट से 9787 वोटों से जीते, नबीनगर विधानसभा सीट पर आनंद मोहन और लवली आनंद के बेटे चेतन आनंद 112 वोटों से जीता है. पूर्व विधान पार्षद उमाकांत चौधरी के बेटे विनय चौधरी बेनीपुर सीट से 13603 वोटों से जीत गए हैं.

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बीजेपी से कम नहीं संख्या

बीजेपी के टिकट पर गौरा बौराम सीट से पूर्व आईआरएस सुजीत कुमार सिंह 5669 वोटों से जीत गए हैं. पूर्व आईआरएस सुजीत सिंह की पत्नी स्वर्णा सिंह पहले से विधायक हैं. बीजेपी के पूर्व सासंद अजय निषाद की पत्नी रमा निषाद औराई से 57206 वोटों से जीत गई हैं. औरंगाबाद सदर सीट से बीजेपी के पूर्व सांसद गोपाल नारायण के बेटे त्रिविक्रम नारायण सिंह 6794 वोटों से चुनाव जीत गए हैं तो तारापुर सीट से शकुनी चौधरी के बेटे सम्राट चौधरी 45843 वोटों से चुनाव जीत गए हैं.

पांच बार विधायक और उप वित्तमंत्री रहे अंबिका शरण सिंह के बेटे राघवेंद्र प्रताप सिंह बरहरा सीट से 14403 वोटों से जीत गए हैं. पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा के बेटे नीतीश मिश्रा झंझारपुर सीट से 54849 वोटों से जीते. 

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पूर्व विधायक और सिक्किम के राज्यपाल गंगा प्रसाद चौरसिया के बेटे संजीव चौरसिया दीघा सीट से 59079 वोटों से जीत गए हैं. पूर्व विधायक भूवेंद्र नारायण सिंह के बेटे देवेश कांत सिंह गोरेयाकोठी से 12385 वोटों से जीत गए. जमुई सीट से श्रेयसी सिंह 54498 वोटों से जीत गई हैं. उनके पिता दिग्विजय सिंह पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे हैं. छातापुर से नीरज कुमार बबलू 16178 वोटों से जीत गए हैं. उनके भाई हरि नारायण सिंह पूर्व सांसद और केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं.  

प्राणपुर से निशा सिंह को दोबारा टिकट मिला है. वे पूर्व मंत्री विनोद कुमार सिंह की पत्नी हैं. वह इस सीट से 7752 वोटों से चुनाव जीत गई हैं. परिहार से गायत्री देवी तीसरी बार चुनाव लड़ रही हैं, जिनके पति राम नरेश यादव पूर्व विधायक रहे हैं. वह 17189 वोटों से चुनाव जीत गई हैं. तरारी विधानसभा सीट पर बाहुबली नेता सुनील पांडे के पुत्र विशाल मैदान में हैं. वह इस सीट से 11464 वोटों से चुनाव जीत गए हैं.

शाहपुर विधानसभा सीट पर बीजेपी के पूर्व उपाध्यक्ष विशेश्वर ओझा के पुत्र राकेश ओझा 15225 वोटों से जीत गए हैं. पूर्व विधायक सीताराम सिंह के पुत्र राणा रणधीर सिंह मधुबन से 5492 वोटों से जीत गए हैं. पूर्व विधायक देवकांत शर्मा के पुत्र मनोज शर्मा अरवल से 14093 वोटों से जीत गए हैं. पूर्व विधायक बैद्यनाथ प्रसाद के पुत्र सुनील पिंटू सीतामढ़ी से 5562 वोटों से जीत गए हैं और  गोरियाकोठी से भूपेंद्र नारायण सिंह (पूर्व विधायक) के बेटे देवेश कांत सिंह 12385 वोटों से जीत गए हैं. 

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चिराग पासवान ने अपने भांजे सीमांत मृणाल को गरखा सीट से एलजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ाया है. वह इस सीट से हार गए हैं. हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के संस्थापक पूर्व मुख्यमंत्री व केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने अपने कोटे की 6 सीटों में से 4 सीटें रिश्तेदारों को बांट दी. मांझी ने बहू दीपा मांझी को इमामगंज से टिकट दिया है. वह इस सीट से 25856 वोटों से जीत गई हैं. मांझी की समधन ज्योति देवी को  बाराचट्टी से उतार रखा है. वह 8893 वोटों से जीत गई हैं. 

पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा को पार्टी राष्ट्रीय लोक मोर्चा को एनडीए में सीट बंटवारे के तहत 6 सीटें मिली है. इसमें से एक सीट उन्होंने अपनी पत्नी स्नेहलता कुशवाहा को उतार रखा है, जो सासाराम से चुनाव लड़ रही हैं. वह इस सीट से 25443 वोटों से चुनाव जीत गई हैं. 

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