उजियारपुर, बिहार के समस्तीपुर जिले के दलसिंहसराय अनुमंडल का एक प्रखंड है. ऐतिहासिक रूप से इस क्षेत्र की कोई विशेष लिखित जानकारी उपलब्ध नहीं है, सिवाय इसके कि यह मिथिला क्षेत्र का हिस्सा है. वह प्राचीन भूमि जो अपने विद्वानों और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए जानी जाती है.
भूगोल की दृष्टि से उजियारपुर की स्थिति काफी महत्वपूर्ण है. यह
दलसिंहसराय अनुमंडल मुख्यालय से 14 किमी और जिला मुख्यालय समस्तीपुर से 15 किमी की दूरी पर स्थित है. इसके अलावा, रोसड़ा (30 किमी), बेगूसराय (50 किमी) और प्रमंडलीय मुख्यालय दरभंगा (60 किमी) भी समीपवर्ती प्रमुख शहर हैं. राज्य की राजधानी पटना से यह लगभग 95 किमी दूर है.
उजियारपुर बुढ़ी गंडक नदी के निकट स्थित है, जो इस क्षेत्र की खेती पर विशेष प्रभाव डालती है. अन्य मौसमी जलधाराएं और छोटे जलस्रोत भी कृषि कार्यों में सहायक हैं. यहां के निवासियों की आजीविका मुख्यतः कृषि पर आधारित है. धान, गेहूं, मक्का और दलहन प्रमुख फसलें हैं. इसके साथ-साथ डेयरी फार्मिंग (दुग्ध उत्पादन) भी व्यापक रूप से प्रचलित है, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था में योगदान करता है. इसके अलावा, हाथ करघा उद्योग जैसे छोटे पैमाने के उद्यम भी यहाँ मौजूद हैं.
उजियारपुर विधानसभा क्षेत्र, उजियारपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है. इन दोनों क्षेत्रों का गठन वर्ष 2008 में हुए परिसीमन के बाद हुआ, जिसका उद्देश्य मतदाताओं का समान वितरण करना था. उजियारपुर विधानसभा क्षेत्र में उजियारपुर प्रखंड के साथ-साथ दलसिंहसराय प्रखंड के 10 ग्राम पंचायतों और दलसिंहसराय अधिसूचित क्षेत्र को शामिल किया गया है.
यह एक प्रमुखत: ग्रामीण क्षेत्र है, जहां शहरी मतदाता केवल 5.34 प्रतिशत हैं. वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में यहां कुल 2,99,159 पंजीकृत मतदाता थे. इनमें से अनुसूचित जातियों की भागीदारी 19.23 प्रतिशत और मुस्लिम समुदाय की भागीदारी लगभग 10 प्रतिशत थी. 2024 के लोकसभा चुनाव में यह संख्या थोड़ी बढ़कर 3,06,236 हो गई. इस बीच 3,453 मतदाताओं ने क्षेत्र छोड़ा, जो कि रोजगार की तलाश में प्रवास का सामान्य चित्र दर्शाता है. बिहार में औद्योगीकरण की कमी के कारण यह समस्या व्यापक है.
उजियारपुर विधानसभा क्षेत्र में 2010 से अब तक तीन बार चुनाव हुए हैं, और हर बार मतदाताओं ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) को जिताया है. 2010 में राजद को 13,031 वोटों से जीत मिली थी, जो 2015 में बढ़कर 47,460 हो गई, हालांकि 2020 में यह अंतर घटकर 23,268 रह गया.
दिलचस्प बात यह है कि उजियारपुर के मतदाता विधानसभा और लोकसभा चुनाव में अलग-अलग पैमाने से मतदान करते हैं. जहां विधानसभा में वे राजद के पक्ष में मतदान करते हैं, वहीं लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को वरीयता देते हैं. 2014 में भाजपा ने उजियारपुर विधानसभा क्षेत्र में 4,394 वोटों से बढ़त हासिल की थी, जो 2019 में बढ़कर 42,625 हो गई, लेकिन 2024 में यह बहुत घटकर केवल 1,401 वोट रह गई.
इन रुझानों के आधार पर कहा जा सकता है कि अगर कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ, तो 2025 के विधानसभा चुनाव में राजद की स्थिति उजियारपुर में मजबूत रहेगी. हालांकि, भाजपा नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन की ओर से कोई अप्रत्याशित चाल भी बाजी पलट सकती है, जैसा कि बिहार की राजनीति में कई बार देखा गया है.
एनडीए को उम्मीद है कि वे 2020 में मतदान से वंचित रहे 38 प्रतिशत मतदाताओं को जोड़कर पहली बार इस सीट पर जीत दर्ज कर सकते हैं. इसके लिए एनडीए राज्यभर में व्यापक जनसंपर्क अभियान चला रही है.
(अजय झा)