प्राणपुर, बिहार के कटिहार जिले में स्थित एक सामान्य वर्ग की विधानसभा सीट है. इस क्षेत्र का गठन 1977 में हुआ था और तब से अब तक यहां 11 बार चुनाव हो चुके हैं. यह सीट कटिहार लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है और इसमें प्राणपुर व आजमनगर प्रखंड शामिल हैं. वर्ष 2020 में प्राणपुर में कुल 3,05,685 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें 1,43,060 मुस्लिम (46.80 प्रतिशत),
25,063 अनुसूचित जाति (8.20 प्रतिशत) और 23,962 अनुसूचित जनजाति (7.84 प्रतिशत) के मतदाता शामिल थे. 2024 के लोकसभा चुनाव में मतदाताओं की संख्या बढ़कर 3,15,030 हो गई. यह क्षेत्र पूरी तरह ग्रामीण है, यहां शहरी मतदाता नहीं हैं.
1977 में पहले चुनाव में जनता पार्टी ने महेन्द्र नारायण यादव को उतारा, जो विजयी हुए. यादव ने कुल पांच बार जीत दर्ज की- दो बार जनता दल (1990, 1995) और दो बार राष्ट्रीय जनता दल (2005 के दोनों चुनाव) से. वहीं भाजपा के विनोद कुमार सिंह उर्फ विनोद सिंह कुशवाहा ने 2000, 2010 और 2015 में जीत दर्ज की. 2020 से पहले कोविड के चलते उनका निधन हो गया. इसके बाद भाजपा ने उनकी पत्नी निशा सिंह को प्रत्याशी बनाया, जिन्होंने कांग्रेस के तौकीर आलम को मात्र 2,972 वोटों से हराया. हालांकि भाजपा ने तीन बार लगातार यह सीट जीती है, लेकिन जीत का अंतर अधिकतर मामूली रहा है- केवल 2015 में 8,101 वोटों का बड़ा अंतर देखने को मिला.
लोकसभा चुनावों में यह सीट आमतौर पर विपक्षी गठबंधन के पक्ष में रही है. केवल 2019 में जदयू के दुलाल चंद्र गोस्वामी को यहां 2,913 वोटों की बढ़त मिली थी. लेकिन 2024 में कांग्रेस के तारिक अनवर ने गोस्वामी को 11,383 वोटों से पछाड़ा, जिससे मतदाता रुझानों में संभावित बदलाव के संकेत मिले हैं.
हालांकि मुस्लिम मतदाता लगभग 47 प्रतिशत हैं, फिर भी अब तक केवल दो मुस्लिम प्रतिनिधि यहां से चुने गए हैं- 1980 में मोहम्मद शकूर और 1985 में मंगन इंसान, दोनों कांग्रेस से. 2020 में यहां 65.48 प्रतिशत मतदान हुआ, जो दिखाता है कि मुस्लिम मतदाता एकतरफा नहीं हैं और भाजपा जैसे हिंदुत्ववादी दल को भी वोट कर चुके हैं.
प्राणपुर, कटिहार जिले के पूर्वी हिस्से में स्थित है और कटिहार शहर से 28 किमी तथा पटना से लगभग 300 किमी दूर है. यह पश्चिम बंगाल के मालदा जिले की सीमा से सटा है. आजमनगर, बरारी और कदवा जैसे प्रखंड इसकी सीमाएं बनाते हैं. यहां का रेल संपर्क प्राणपुर रोड स्टेशन से कटिहार-बरसोई लाइन के जरिए है. आसपास के प्रमुख शहरों में बरसोई (32 किमी), बलरामपुर (25 किमी), पूर्णिया (48 किमी) और पश्चिम बंगाल का सिलीगुड़ी (130 किमी) और मालदा (72 किमी) शामिल हैं.
यह क्षेत्र कोशी और महानंदा नदियों की तलहटी में बसा है, जिससे जमीन उपजाऊ है लेकिन बाढ़ की आशंका भी बनी रहती है. खेती यहां की मुख्य आर्थिक गतिविधि है. धान, मक्का, जूट और दालें प्रमुख फसलें हैं, जबकि केले और पान की खेती भी आम है. छोटे स्तर पर चावल मिल और कृषि व्यापारिक केंद्र भी यहां मौजूद हैं. लेकिन रोजगार के लिए बड़ी संख्या में लोग शहरों की ओर पलायन करते हैं और परिवार की आय में प्रवासी मजदूरों की भूमिका अहम है.
2025 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए, प्राणपुर एक बेहद करीबी और दिलचस्प मुकाबले की ओर बढ़ रहा है. भाजपा की स्थिति मुस्लिम मतदाताओं के समर्थन और पार्टी संगठन की मजबूती पर निर्भर करेगी. दूसरी ओर, मतदाता सूची में बांग्लादेशी नागरिकों की जांच जैसी गतिविधियां क्षेत्र के मतदान समीकरण को प्रभावित कर सकती हैं, खासकर मुस्लिम बहुल इलाकों में. कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन, 2024 के लोकसभा चुनाव में मिली बढ़त को विधानसभा चुनाव में भुनाने की कोशिश करेंगे.
कुल मिलाकर, प्राणपुर एक ऐसा विधानसभा क्षेत्र है, जहां हर वोट मायने रखेगा, और जहां चुनावी नतीजे महज कुछ हजार वोटों के फासले पर तय हो सकते हैं.
(अजय झा)