नबीनगर, बिहार के मगध क्षेत्र में स्थित एक प्रखंड है, जो औरंगाबाद जिले का हिस्सा है. यह न केवल ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि राजनीतिक रूप से भी कास रहा है. स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और बिहार के पहले उपमुख्यमंत्री एवं वित्त मंत्री अनुग्रह नारायण सिन्हा की विधानसभा सीट भी यही रही है.
है. पुरुषों की संख्या 51% और महिलाओं की 49% है. इसकी साक्षरता दर 73% है, जो राज्य के कई हिस्सों से अधिक है. इसके आसपास प्रमुख शहरों में हुसैनाबाद, औरंगाबाद, डेहरी-ऑन-सोन और सासाराम शामिल हैं.
नबीनगर, औरंगाबाद और पलामू जिलों की सीमा पर स्थित है. इसके पश्चिम में झारखंड का हुसैनाबाद (पलामू जिला) स्थित है. यह नगर आज एक बड़े बदलाव की कगार पर है, जिसका श्रेय दो प्रमुख विद्युत परियोजनाओं को जाता है.
पहला, नबीनगर सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट- बिहार सरकार और एनटीपीसी द्वारा 660 मेगावाट की तीन इकाइयों वाली कोयला-आधारित थर्मल पावर परियोजना तैयार की जा रही है. लगभग 2,970 एकड़ में फैली यह परियोजना एनटीपीसी और बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी की संयुक्त पहल है. यह भारत का तीसरा सबसे बड़ा बिजलीघर बनेगा.
दूसरा, भारतीय रेल बिजली कंपनी लिमिटेड (BRBCL)- एनटीपीसी की इस सहायक कंपनी द्वारा 1,000 मेगावाट की थर्मल परियोजना विकसित की जा रही है. इस परियोजना से उत्पन्न 90% बिजली भारतीय रेल को जाएगी, जबकि बिहार को 10% बिजली प्राप्त होगी.
इन दोनों परियोजनाओं के पूर्ण होने के बाद राज्य में 24x7 बिजली आपूर्ति की संभावना बढ़ेगी, जिससे उद्योग और आम जीवन को नई ऊर्जा मिलेगी.
अनुग्रह नारायण सिन्हा परिवार का प्रभाव नबीनगर 1951 से विधानसभा क्षेत्र के रूप में अस्तित्व में है. अब यह करकट लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है. अब तक यहां 18 चुनाव हो चुके हैं, जिनमें एक उपचुनाव शामिल है. शुरुआती दशकों में कांग्रेस का वर्चस्व रहा. कांग्रेस ने आठ बार जीत हासिल की. उसके बाद राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने तीन, जनता दल (यू) ने दो, और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, जनता पार्टी, लोक जनशक्ति पार्टी तथा बिहार पीपुल्स पार्टी ने एक-एक बार जीत दर्ज की.
अनुग्रह नारायण सिन्हा और उनके पुत्र सत्येन्द्र नारायण सिन्हा ने नबीनगर की राजनीति को दशकों तक दिशा दी. सत्येन्द्र बाबू ने मुख्यमंत्री के रूप में भी 1989-90 में लगभग नौ महीने तक कार्य किया. उनके पुत्र निखिल कुमार, दिल्ली पुलिस कमिश्नर और आईपीएस अधिकारी रह चुके हैं, और 2004-2009 में औरंगाबाद से सांसद रहे. उनकी पत्नी श्यामा सिंह भी 1999 से 2004 तक औरंगाबाद की सांसद रहीं. सत्येन्द्र बाबू की पत्नी किशोरी सिन्हा ने वैशाली से दो बार सांसद के रूप में प्रतिनिधित्व किया.
वर्तमान राजनीतिक स्थिति हाल के वर्षों में नबीनगर RJD और JDU के बीच संघर्ष का केंद्र बन गया है. RJD ने 2000, फरवरी 2005 और 2020 में जीत हासिल की, जबकि JDU ने 2010 और 2015 में। LJP ने अक्टूबर 2005 में सीट जीती थी. 2020 में RJD ने JDU को 20,121 वोटों के अंतर से हराया.
भले ही भाजपा-नीत NDA आज अधिक एकजुट दिखता है, फिर भी नबीनगर में उनकी राह आसान नहीं है. फिलहाल नबीनगर विधानसभा और करकट लोकसभा क्षेत्र पर RJD और उसके सहयोगी CPI(ML)(L) का मजबूत नियंत्रण है.
वोटर प्रोफाइल अनुसूचित जाति (SC) मतदाताओं की हिस्सेदारी करीब 24.25% है, जबकि मुस्लिम मतदाता लगभग 5.4% हैं. नबीनगर एक ग्रामीण क्षेत्र है. 93.85% जनसंख्या गांवों में रहती है, जबकि शहरी मतदाता केवल 6.15% हैं.
2020 के विधानसभा चुनावों में 2,75,914 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें से मात्र 57.98% ने मतदान किया. 2024 के लोकसभा चुनावों में यह संख्या बढ़कर 2,90,116 हो गई.
निष्कर्ष नबीनगर आज इतिहास और भविष्य के संगम पर खड़ा है. एक ओर यह ऊर्जा के क्षेत्र में बिहार को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में अग्रसर है, वहीं दूसरी ओर इसकी राजनीति भी लगातार परिवर्तनशील बनी हुई है. आने वाले वर्षों में यह क्षेत्र राज्य और देश की विकास यात्रा में एक अहम भूमिका निभा सकता है.
(अजय झा)