बिहार-झारखंड की सीमा पर बसा जमुई, एक जिला मुख्यालय है जिसकी पहचान प्राकृतिक सुंदरता, ऐतिहासिक धरोहर और भूगर्भीय विशेषताओं से जुड़ी है. फरवरी 1991 में मुंगेर से अलग होकर यह एक स्वतंत्र जिला बना. जमुई का एक बड़ा हिस्सा घने जंगलों से आच्छादित है, जो इसे एक खास भौगोलिक पहचान देता है.
जमुई की भौगोलिक बनावट अनोखी है. यहां
उत्तर में उपजाऊ गंगा का मैदान है, जबकि दक्षिण में छोटा नागपुर का पठारी क्षेत्र है. कीऊल नदी के किनारे बसा यह इलाका दो राज्यों की विशेषताओं का संगम है, पर विडंबना यह है कि यह न तो बिहार और न ही झारखंड की किसी खास उपलब्धि का हिस्सा बन सका है. भारत के 250 सबसे पिछड़े जिलों में शामिल जमुई आज भी 'पिछड़े क्षेत्र अनुदान कोष' (BRGF) पर निर्भर है.
जमुई का अतीत गौरवशाली रहा है, पर वर्तमान संघर्षों से भरा है और भविष्य अनिश्चित. जिले की आवाज शायद ही पटना या दिल्ली तक पहुंचती हो. इसकी एक वजह है 64.33 प्रतिशत की कम साक्षरता दर, व्यापक गरीबी और बुनियादी ढांचे की कमी. यहां मिका, कोयला, सोना और लोहा जैसी बहुमूल्य खनिज संपदा होने के बावजूद, प्रशासनिक उपेक्षा ने इसे तरक्की से दूर रखा है.
जमुई के नाम की उत्पत्ति को लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं, लेकिन यह निश्चित है कि इसका जिक्र महाभारत काल में भी मिलता है. जैन धर्म के शुरुआती इतिहास से भी इसका गहरा संबंध रहा है. जिले में कई जैन धार्मिक स्थल हैं. इसके अलावा, दक्षिण में स्थित इंडपे गांव में प्राचीन इंडपेगढ़ का किला इसकी ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है.
जमुई विधानसभा क्षेत्र, जमुई लोकसभा सीट के छह विधानसभा क्षेत्रों में से एक है. 1957 में स्वतंत्र सीट बनने के बाद अब तक यहां 17 बार चुनाव हो चुके हैं- 16 आम चुनाव और एक उपचुनाव. कांग्रेस पार्टी ने यहां पांच बार जीत हासिल की है, वहीं 1957 में यह सीट CPI के साथ साझा की गई थी, जो वामपंथ की यहां की एकमात्र जीत थी. इसके बाद समाजवादी, जनता पार्टी, जनता दल, जेडीयू और राजद ने बारी-बारी से जीत दर्ज की है.
2020 में पहली बार बीजेपी ने यहां अपना खाता खोला जब उसकी प्रत्याशी श्रेयसी सिंह ने राजद के विजय प्रकाश यादव को 41,049 वोटों से हराया. यह जीत इस मायने में अहम रही कि 61.47 प्रतिशत यानी 1,81,426 मतदाताओं ने मतदान किया.
जमुई की जनता राजनीतिक असंतोष को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करती है. पिछले तीन विधानसभा चुनावों में उन्होंने हर बार नया नेता चुना है, किसी को दोबारा मौका नहीं दिया. यह अस्थिरता भाजपा के लिए चिंता का विषय हो सकती है, पर 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा की सहयोगी लोजपा (रामविलास) ने जमुई सीट पर जीत दर्ज की और सभी छह विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त बनाई.
जमुई की जनसंख्या में अनुसूचित जाति के मतदाता करीब 18.63 प्रतिशत हैं, जबकि मुस्लिम मतदाता 13.6 प्रतिशत. ग्रामीण इलाकों का वर्चस्व है. 79.64 प्रतिशत वोटर ग्रामीण हैं, जबकि 20.36 प्रतिशत शहरी मतदाता हैं. वोटरों की संख्या भी बढ़ती जा रही है. 2020 के विधानसभा चुनाव में 2,95,169 थी, जो 2024 के लोकसभा चुनाव में बढ़कर 3,22,586 हो गई.
(अजय झा)