शाहपुर, बिहार के भोजपुर जिले के जगदीशपुर अनुमंडल का एक प्रखंड-स्तरीय नगर है. इसके उत्तर में गंगा नदी और दक्षिण में सोन नदी बहती है, जिससे यह क्षेत्र जल संसाधनों की दृष्टि से समृद्ध है. शाहपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है जो आरा और बक्सर को जोड़ता है. आरा यहां से लगभग 30 किलोमीटर पूर्व में, बक्सर 40 किलोमीटर पश्चिम में तथा राज्य की राजधानी
पटना लगभग 85 किलोमीटर दूर है. शाहपुर का भू-भाग समतल और उपजाऊ है, जो इसे एक प्रमुख कृषि केंद्र बनाता है.
हालांकि शाहपुर के इतिहास के विस्तृत दस्तावेज सीमित हैं, फिर भी इसका ऐतिहासिक महत्व उल्लेखनीय है. 1972 तक शाहपुर एक जिला हुआ करता था, जिसका मुख्यालय आरा में था. इसके बाद इसे भोजपुर और रोहतास, दो भागों में विभाजित कर दिया गया. ऐतिहासिक रूप से, इस क्षेत्र पर उज्जैनिया राजपूतों का शासन रहा है और भोजपुर का नाम राजपूत राजा भोज के नाम पर पड़ा. शाहपुर अपने प्राचीन मंदिरों के लिए भी प्रसिद्ध है, जिनमें महावीर स्थान और कुंडेश्वर धाम प्रमुख हैं, जो श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं.
1951 में शाहपुर को एक विधानसभा क्षेत्र के रूप में स्थापित किया गया था, जो आरा लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है. यह विधानसभा क्षेत्र शाहपुर और बिहियां प्रखंडों को सम्मिलित करता है. 2011 की जनगणना के अनुसार, शाहपुर प्रखंड की जनसंख्या 2,12,253 थी, जबकि बिहियां की आबादी 1,78,429 थी. शाहपुर का लिंगानुपात 897 महिलाएं प्रति 1000 पुरुष रहा, जबकि बिहियां में यह थोड़ा बेहतर, 917 था. साक्षरता दर भी अपेक्षाकृत कम रही, शाहपुर में केवल 58.53 प्रतिशत लोग साक्षर थे, जिनमें पुरुष साक्षरता 67.57 प्रतिशत और महिला साक्षरता 48.46 प्रतिशत थी. बिहियां की साक्षरता दर मामूली रूप से अधिक 58.93 प्रतिशत थी. इन दो प्रखंडों में कुल 128 गांव शामिल हैं.
2020 के विधानसभा चुनावों में शाहपुर में कुल 3,18,874 पंजीकृत मतदाता थे, लेकिन केवल 49.24 प्रतिशत लोगों ने मतदान में भाग लिया. 2024 के लोकसभा चुनावों में यह आंकड़ा केवल 106 मतदाताओं से बढ़ा. अनुसूचित जाति के मतदाता इस कुल मतदाता संख्या का लगभग 15.09 प्रतिशत हैं, जबकि मुस्लिम समुदाय के मतदाता लगभग 5.1 प्रतिशत हैं। शहरी मतदाता केवल 11.38 प्रतिशत ही हैं.
शाहपुर की राजनीतिक इतिहास बेहद दिलचस्प रहा है. समाजवादी नेता रामानंद तिवारी ने 1952 से 1969 तक लगातार पांच बार जीत दर्ज की थी. उन्होंने सोशलिस्ट पार्टी, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी जैसे विभिन्न दलों का प्रतिनिधित्व किया. इसके बाद यह सीट कई दलों के पास रही, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने चार बार, कांग्रेस ने तीन बार, जनता पार्टी और भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने दो-दो बार और जनता दल ने एक बार जीत दर्ज की.
शाहपुर में तिवारी परिवार की राजनीतिक पकड़ खास रही है. रामानंद तिवारी के पुत्र शिवानंद तिवारी ने 2000 और 2005 में RJD के टिकट पर जीत हासिल की. वर्तमान में तीसरी पीढ़ी से राहुल तिवारी इस सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, जिन्होंने 2015 और 2020 में RJD के उम्मीदवार के रूप में विजय प्राप्त की. इस परिवार ने कुल 9 बार शाहपुर की सीट पर जीत दर्ज की है, जो कि पिछले 35 वर्षों में एक रिकॉर्ड है.
अन्य प्रमुख विजेताओं में जनता पार्टी और जनता दल के धर्मपाल सिंह दो बार विजयी रहे और BJP की मुन्नी देवी 2005 और 2010 में जीतीं. शिवानंद तिवारी का चुनावी सफर दो जीत और तीन हारों के साथ मिला-जुला रहा है. वर्ष 2005 में दो बार चुनाव हुए थे, क्योंकि फरवरी में हुए चुनावों में कोई स्पष्ट बहुमत नहीं मिल पाया था.
2015 में BJP ने अपनी मौजूदा विधायक मुन्नी देवी को टिकट नहीं दिया और यह सीट 14,570 वोटों से हार गई. हालांकि 2020 में उन्हें दोबारा मैदान में उतारा गया, लेकिन इस बार वे केवल 13.64 प्रतिशत वोट के साथ तीसरे स्थान पर रहीं. फिर भी 2024 के लोकसभा चुनावों में BJP को शाहपुर खंड में केवल 2,288 वोटों से पिछड़ना पड़ा, जिससे 2025 के विधानसभा चुनावों में एक नए उम्मीदवार के साथ वापसी की उम्मीद बन रही है. पार्टी का मुख्य लक्ष्य उन 50 प्रतिशत से अधिक मतदाताओं को आकर्षित करना होगा, जो लगातार चुनावों में मतदान नहीं करते रहे हैं.
(अजय झा)