झंझारपुर विधानसभा क्षेत्र बिहार के मधुबनी जिले में स्थित है और यह झंझारपुर लोकसभा सीट का हिस्सा है. वर्ष 1951 में स्थापित यह सीट सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित है. इस क्षेत्र में झंझारपुर और लखनौर प्रखंडों के साथ-साथ मधेपुर प्रखंड के सात ग्राम पंचायत शामिल हैं.
झंझारपुर की राजनीति मिश्र परिवार के प्रभाव में लंबे समय तक रही है. विशेष रूप
से पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. जगन्नाथ मिश्र ने 1972 से 1990 तक लगातार पांच बार इस सीट का प्रतिनिधित्व किया. उनके पुत्र नीतीश मिश्र ने भी इस राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया और 2005, 2010 तथा 2020 में यहां से जीत दर्ज की. शुरूआत में उन्होंने जनता दल (यू) के टिकट पर दो बार चुनाव जीता, लेकिन 2015 में पार्टी से अलग होकर भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और केवल 834 मतों से हार गए. 2020 में वे बीजेपी प्रत्याशी के रूप में 41,788 वोटों के बड़े अंतर से विजयी हुए. उस समय जदयू एक बार फिर एनडीए का हिस्सा बन चुका था. 2015 में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के गुलाब यादव ने यह सीट जीती थी, जिसे 2020 में वाम दलों को सीट बंटवारे के तहत सौंप दिया गया.
यह क्षेत्र अपनी समृद्ध मैथिली संस्कृति और परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है. 'झंझारपुर' नाम का संबंध मैथिली शब्द झंझार से माना जाता है, जो लोक नृत्यों में पहने जाने वाले पायलों की झंकार को दर्शाता है. यहां के पर्व जैसे छठ और सामा-चकेवा विशेष रूप से उल्लासपूर्वक मनाए जाते हैं. यह क्षेत्र मैथिली साहित्य और संगीत में भी महत्वपूर्ण स्थान रखता है. लखनौर गांव विद्वान कवि विद्यापति (1352–1448) की कथाओं और स्मृतियों से जुड़ा हुआ है.
झंझारपुर बिहार के उत्तरी मैदानी भागों में स्थित है, जिसे कमला बलान नदी और उसकी सहायक नदियां पोषित करती हैं. क्षेत्र में अक्सर आने वाली बाढ़ ने यहां की कृषि और बुनियादी ढांचे को गहराई से प्रभावित किया है. मुख्य फसलें धान, गेहूं और मक्का हैं, और अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है. झंझारपुर का कमला बलान पुल उत्तर और दक्षिण बिहार को जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण मार्ग है. साथ ही, यह क्षेत्र सकरी-निर्मली रेल लाइन पर स्थित झंझारपुर रेलवे स्टेशन द्वारा रेल सेवा से जुड़ा हुआ है.
1951 से अब तक झंझारपुर में 17 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. कांग्रेस ने यहां नौ बार जीत हासिल की है, जदयू ने तीन बार, राजद ने दो बार, जबकि संयुक्त समाजवादी पार्टी, जनता पार्टी और बीजेपी ने एक-एक बार जीत दर्ज की है.
2020 के चुनाव में इस क्षेत्र में 3,17,948 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें अनुसूचित जाति के मतदाता 14.11% (44,862) और मुस्लिम मतदाता लगभग 14.4% (45,785) थे. ग्रामीण मतदाताओं की संख्या 93.12% रही, जबकि शहरी मतदाता मात्र 6.88% थे. 2024 के लोकसभा चुनावों तक मतदाताओं की संख्या बढ़कर 3,26,585 हो गई, हालांकि 2020 में दर्ज 4,067 मतदाता 2024 तक अन्यत्र चले गए.
मतदान प्रतिशत पिछले कुछ वर्षों में 50 के दशक में बना रहा- 2015 में 54.35%, 2020 में 56.92% और 2019 के लोकसभा चुनाव में 56.4%.
2024 के लोकसभा चुनाव में झंझारपुर विधानसभा क्षेत्र में जदयू ने 49,785 मतों के बड़े अंतर से बढ़त हासिल की. उस समय सीट बंटवारे के अंतर्गत बीजेपी ने यह सीट नहीं लड़ी.
2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव यह तय करेंगे कि नीतीश मिश्र इस सीट पर अपनी राजनीतिक पकड़ फिर से मजबूत बनाए रखते हैं या नहीं. इस बार का चुनाव स्थानीय मुद्दों, जनभावनाओं और विपक्ष की रणनीति पर निर्भर करेगा. झंझारपुर, जहां राजनीतिक विरासत और चुनावी प्रतिस्पर्धा हमेशा आमने-सामने रही है, एक बार फिर सुर्खियों में रहेगा.
(अजय झा)