छातापुर बिहार के सुपौल जिले में स्थित एक सामान्य श्रेणी की विधानसभा सीट है, जो सुपौल लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है. यह क्षेत्र छातापुर और बसंतपुर प्रखंडों को सम्मिलित करता है और कोसी नदी के बाढ़ क्षेत्र में स्थित है. ज्यादातर ग्रामीण इलाका होने के कारण यहाँ की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है. धान, मक्का और दालें यहाँ की प्रमुख फसलें
हैं, वहीं मौसमी सब्जी उत्पादन और छोटे स्तर पर दुग्ध उत्पादन भी स्थानीय आजीविका का हिस्सा हैं. भारत-नेपाल सीमा के समीप स्थित होने के कारण यहां पर अनौपचारिक व्यापार और सीमा पार आवाजाही भी अर्थव्यवस्था में योगदान देते हैं.
छातापुर विधानसभा क्षेत्र की स्थापना 1967 में हुई थी. प्रारंभ में यह अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट थी, लेकिन 2008 में परिसीमन आयोग की सिफारिशों के बाद इसे सामान्य श्रेणी में शामिल कर दिया गया. अब तक इस क्षेत्र में 16 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. कांग्रेस पार्टी ने 1969 से 1985 के बीच तीन बार जीत दर्ज की, जबकि संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, जनता दल और जनता दल (यूनाइटेड) को दो-दो बार सफलता मिली. राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और स्वतंत्र प्रत्याशियों ने भी दो-दो बार जीत हासिल की है. पहली बार 1967 और दूसरी बार अक्टूबर 2005 में निर्दलीय उम्मीदवार विजयी रहे. जनता पार्टी को 1977 में एक बार सफलता मिली थी.
2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के नीरज कुमार सिंह ने 93,755 वोटों के साथ सीट पर कब्जा बरकरार रखा. उन्होंने राजद के विपिन कुमार सिंह को 20,635 वोटों के अंतर से हराया. इस चुनाव में कुल 65.85 प्रतिशत मतदान हुआ, जो कि बिहार के औसत से अधिक है और छातापुर की मजबूत मतदान परंपरा को दर्शाता है. 2020 में यहां कुल 3,10,035 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें से लगभग 58,721 (18.94%) अनुसूचित जाति, 2,759 (0.89%) अनुसूचित जनजाति और 74,718 (24.1%) मुस्लिम मतदाता थे. 2024 के लोकसभा चुनाव तक यह संख्या बढ़कर 3,40,884 हो गई, जबकि निर्वाचन आयोग के अनुसार 2020 की मतदाता सूची के 2,957 मतदाता क्षेत्र से बाहर चले गए.
नीरज कुमार सिंह ने 2010 में पहली बार जेडीयू के टिकट पर जीत दर्ज की थी. इसके बाद 2015 और 2020 में वे भाजपा उम्मीदवार के रूप में विजयी रहे. उनकी लोकप्रियता और सक्रियता ने भाजपा को इस क्षेत्र में मजबूत आधार प्रदान किया है. एनडीए गठबंधन ने लोकसभा चुनावों में भी यहाँ बढ़त बनाए रखी है. 2024 के लोकसभा चुनाव में सुपौल सीट से जेडीयू के दिलेश्वर कामैत (एनडीए उम्मीदवार) ने छातापुर विधानसभा क्षेत्र में अच्छी बढ़त बनाई, जिससे गठबंधन की स्थिति और मजबूत हुई.
छातापुर बिहार के उत्तर-पूर्वी हिस्से में स्थित है, जो नेपाल सीमा के करीब है. यह सुपौल जिला मुख्यालय से लगभग 35 किमी पूर्व और सहरसा से 70 किमी उत्तर-पूर्व में स्थित है. पास के कस्बों में बिरपुर (18 किमी उत्तर), निर्मली (25 किमी पश्चिम) और राघोपुर (30 किमी दक्षिण) शामिल हैं. नेपाल की ओर लहान (40 किमी), राजविराज (45 किमी) और सिरहा (50 किमी) जैसे कस्बे कुनौली और भीमनगर सीमा चौकियों के रास्ते से जुड़े हुए हैं. राज्य की राजधानी पटना यहां से लगभग 270 किमी दक्षिण-पश्चिम में है.
यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन निर्मली में स्थित है, जबकि सहरसा और फॉर्ब्सगंज से भी रेल कनेक्टिविटी उपलब्ध है. सड़क मार्ग से NH-106 और अन्य स्थानीय रास्तों के माध्यम से छातापुर को सुपौल और बिरपुर से जोड़ा गया है. हाल के वर्षों में सड़क ढांचे और विद्यालयों में नामांकन दर में सुधार हुआ है, लेकिन सिंचाई, स्वास्थ्य सेवाओं और बाढ़ प्रबंधन जैसी चुनौतियां अब भी बनी हुई हैं.
2025 के विधानसभा चुनावों की ओर बढ़ते हुए छातापुर एक महत्वपूर्ण और दिलचस्प सीट बन गई है. यहां की उच्च मतदान दर, बदलते राजनीतिक झुकाव और सीमा क्षेत्र के प्रभाव इसे बिहार के उत्तर-पूर्वी इलाकों की राजनीतिक दिशा का संकेतक बना देते हैं. भाजपा नीत एनडीए जहां अपनी स्थिति को और मजबूत करने की कोशिश कर रही है, वहीं राजद नेतृत्व वाला विपक्ष भी खोई हुई जमीन को वापस पाने के प्रयास में है. ऐसे में छातापुर विधानसभा क्षेत्र पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं.
(अजय झा)