बिहार के दक्षिणी भाग में स्थित जहानाबाद एक ऐतिहासिक विरासत को संजोए हुए है जिसका उल्लेख 16वीं शताब्दी की मुगल इतिहास पुस्तक "आईन-ए-अकबरी" में मिलता है. इसे मुगल सम्राट अकबर के दरबारी इतिहासकार अबुल फजल ने लिखा था और अकबर के परपोते औरंगजेब के शासनकाल के दौरान संशोधित किया गया था. इस ग्रंथ में वर्णित है कि 17वीं शताब्दी में इस क्षेत्र में एक भीषण
अकाल पड़ा था, जिससे मजबूर होकर सम्राट औरंगजेब ने अपनी बहन जहांआरा के नाम पर एक राहत बाजार स्थापित किया. समय के साथ, इस शाही उदारता ने इस स्थान की पहचान को जहांआराबाद से बदलकर जहानाबाद बना दिया.
यह जहानाबाद लोकसभा सीट का हिस्सा है. जहानाबाद विधानसभा क्षेत्र 1951 में अपनी स्थापना के बाद से अब तक 17 चुनाव देख चुका है. यह शुरुआत में कांग्रेस का गढ़ था, जहां पहले नौ में से छह चुनाव कांग्रेस ने जीते. हालांकि, 1952 में सोशलिस्ट पार्टी और 1969 में शोसित दल के अप्रत्याशित जीतने से कांग्रेस का वर्चस्व थोड़ा टूट गया. इस सीट पर कांग्रेस की आखिरी जीत 1985 में हुई थी, जिसके बाद पार्टी का प्रभाव खत्म हो गया.
राजद (राष्ट्रीय जनता दल) का प्रभाव 2000 में शुरू हुआ और तब से अब तक पार्टी इस सीट पर छह बार जीत दर्ज कर चुकी है. इस जीत की संख्या सात हो सकती थी, यदि 2010 में कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार न उतारा होता, जिसने 13,000 से अधिक वोट काट लिए थे. यह राजद को मिले कुल मतों के लगभग आधे थे. इस विभाजन का फायदा उठाकर जदयू (जनता दल यूनाइटेड) ने जीत हासिल की. वर्तमान में, यह सीट राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के साले साधु यादव के पास है.
इन दो प्रमुख दलों के अलावा, जहानाबाद के चुनावी इतिहास में अन्य पार्टियों ने भी कभी-कभी जीत दर्ज की है- सोशलिस्ट पार्टी, शोसित दल, जनता पार्टी, जनता दल, जदयू और एक बार एक निर्दलीय प्रत्याशी ने भी जीत हासिल की थी. लेकिन भाजपा और उसकी पूर्ववर्ती पार्टी भारतीय जनसंघ यहां हमेशा संघर्ष करती रही हैं और कभी भी गंभीर दावेदार के रूप में उभर नहीं पाई. यही कारण है कि 2025 में एनडीए के लिए यह सीट जीतना एक कठिन चुनौती होगी, क्योंकि यहां राजद की स्थिति मजबूत बनी हुई है.
जनसांख्यिकी के लिहाज से, जहानाबाद में अनुसूचित जातियों की जनसंख्या 17.07% है, जबकि मुस्लिम मतदाता 8.5% हैं. यह क्षेत्र मुख्य रूप से ग्रामीण है, जहां 74.23% मतदाता गांवों में रहते हैं, जबकि शहरी मतदाता केवल 25.77% हैं. 2020 के विधानसभा चुनावों में, जहानाबाद में 2,98,388 पंजीकृत मतदाता थे और मतदान प्रतिशत 53.66% था. 2024 के लोकसभा चुनावों तक मतदाताओं की संख्या बढ़कर 3,04,861 हो गई, जिसमें राजद को 42% और जदयू को 32.83% वोट मिले.
2025 के चुनावों के मद्देनजर, जहानाबाद बिहार की राजनीति का एक रोचक समीकरण प्रस्तुत करता है. राजद अपने परंपरागत वोट बैंक के साथ मजबूत स्थिति में नजर आ रहा है. वहीं, एनडीए के लिए चुनौती यह होगी कि वह राजद विरोधी वोटों को एकजुट करे और पिछले 25 वर्षों से इस सीट पर राजद के लगातार प्रभाव को तोड़ने का तरीका खोजे.
(अजय झा)