जाले, बिहार के दरभंगा जिले का एक प्रखंड स्तरीय नगर है, जो मधुबनी संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है. यह विधानसभा क्षेत्र जाले प्रखंड के सभी पंचायतों और सिंहवाड़ा प्रखंड के 25 ग्राम पंचायतों को मिलाकर बना है, जो उत्तर-मध्य मिथिला का पूर्णतः ग्रामीण क्षेत्र है. इसका नाम जलेश्वरि स्थान, एक स्थानीय धार्मिक स्थल, से जुड़ा है. बागमती नदी के उत्तर में स्थित
जाले, जिला मुख्यालय दरभंगा से लगभग 32 किमी उत्तर-पश्चिम और राज्य की राजधानी पटना से करीब 145 किमी उत्तर-पूर्व में है. आसपास के प्रमुख शहरों में मधुबनी (25 किमी उत्तर-पूर्व), सीतामढ़ी (50 किमी उत्तर-पश्चिम), मुजफ्फरपुर (65 किमी दक्षिण-पश्चिम) और समस्तीपुर (70 किमी दक्षिण-पूर्व) शामिल हैं.
1951 में स्थापित इस विधानसभा क्षेत्र में अब तक 18 बार चुनाव हो चुके हैं, जिनमें 2014 का उपचुनाव भी शामिल है. यहां के मतदाताओं ने किसी एक विचारधारा का लगातार समर्थन नहीं किया है और समय-समय पर वाम, केंद्र और दक्षिणपंथी दलों के प्रत्याशियों को चुना है. कांग्रेस ने पहले तीन चुनाव जीते और फिर 1985 व 1990 में वापसी की. बीजेपी (पूर्व जनसंघ सहित) ने पांच बार जीत दर्ज की, भाकपा ने चार, राजद ने दो, जबकि जनता पार्टी और जदयू ने एक-एक बार सफलता पाई.
राजनीतिक परिवारों का प्रभाव भी यहां दिखाई देता है. पूर्व केंद्रीय मंत्री लालित नारायण मिश्र के पुत्र विजय कुमार मिश्र ने तीन बार जीत हासिल की. एक बार कांग्रेस से और दो बार बीजेपी से. 2014 में उन्होंने बीजेपी छोड़ जदयू का दामन थामा, जिससे उपचुनाव हुआ. इस चुनाव में उनके पुत्र ऋषि मिश्र ने जदयू उम्मीदवार के रूप में जीत दर्ज की. 2015 से बीजेपी के जीवेश मिश्रा यहां विधायक हैं और 2020 में उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी मस्कूर अहमद उस्मानी को 21,796 मतों से हराया.
यह क्षेत्र पूर्णतः ग्रामीण है, जहां 2020 में 3,12,393 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें 36,987 (11.84%) अनुसूचित जाति और 90,593 (29%) मुस्लिम मतदाता शामिल थे. 2024 लोकसभा चुनाव तक मतदाताओं की संख्या बढ़कर 3,23,092 हो गई. रोजगार की तलाश में युवाओं का पलायन आम है. चुनाव आयोग के अनुसार, 2020 की मतदाता सूची में दर्ज 3,376 मतदाता 2024 तक पलायन कर चुके थे. अब तक छह मुस्लिम उम्मीदवार यहां से विधायक रह चुके हैं. 2020 में मतदान प्रतिशत 54.14 रहा, जो हाल के चुनावों में सबसे अधिक है.
जाले की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है, जिसमें धान प्रमुख फसल है. बागमती नदी की बाढ़ बरसात में कई इलाकों को प्रभावित करती है. शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं सीमित हैं, जबकि बड़े बाजारों और सेवाओं के लिए लोगों को नजदीकी शहरों पर निर्भर रहना पड़ता है.
2024 लोकसभा चुनाव में जाले विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी ने 24,067 मतों की बढ़त हासिल की थी. 2025 विधानसभा चुनाव में पार्टी इस बढ़त के साथ मैदान में उतरेगी. विपक्षी गठबंधन के लिए इस रुझान को पलटना आसान नहीं होगा, जिसके लिए मजबूत उम्मीदवार चयन, प्रभावी जमीनी प्रचार और जातीय समीकरण का सावधानीपूर्वक प्रबंधन जरूरी होगा.
(अजय झा)