मधुबन बिहार के पूर्वी चंपारण जिले में स्थित एक सामान्य वर्ग की विधानसभा सीट है, जो शिवहर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है. यह सीट वर्ष 1957 में अस्तित्व में आई थी और तब से अब तक 16 विधानसभा चुनावों में भाग ले चुकी है. इसका राजनीतिक इतिहास विविधतापूर्ण रहा है, जिसमें लगभग सभी प्रमुख दलों और वैचारिक धाराओं के उम्मीदवारों को प्रतिनिधित्व का अवसर
मिला है. मधुबन विधानसभा क्षेत्र में मधुबन, पक्रिदयाल और फेनहारा प्रखंड शामिल हैं.
1957 में इस सीट ने एक निर्दलीय उम्मीदवार को चुना, जबकि 1962 में कांग्रेस ने जीत दर्ज की. इसके बाद भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) ने तीन बार लगातार जीतकर अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई. 1977 और 1980 में कांग्रेस ने वापसी की. 1985 में जनता पार्टी के उम्मीदवार सीताराम सिंह के रूप में इस सीट ने एक स्थायी राजनीतिक युग में प्रवेश किया. उन्होंने 1990 और 1995 में जनता दल के टिकट पर और 2000 में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज की. सिंह बिहार सरकार में मंत्री भी रहे हैं.
2004 में आरजेडी ने सीताराम सिंह को शिवहर लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया, जिसके बाद उनके बेटे राणा रणधीर को मधुबन विधानसभा सीट का टिकट मिला. फरवरी 2005 में राणा रणधीर ने आरजेडी के टिकट पर जीत दर्ज की और अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया. अक्टूबर 2005 और 2010 के चुनावों में जनता दल (यूनाइटेड) ने वापसी की, लेकिन 2015 में राणा रणधीर ने बीजेपी का दामन थाम लिया और पार्टी के टिकट पर सीट जीत ली. उस समय जेडीयू ने बीजेपी से गठबंधन तोड़कर आरजेडी से हाथ मिला लिया था. 2020 में राणा रणधीर ने फिर से बीजेपी के टिकट पर जीत दर्ज की, हालांकि इस बार उनकी जीत का अंतर घटकर 5,878 वोट रह गया, जो 2015 के 16,222 वोटों से काफी कम था.
2020 में जीत के अंतर में गिरावट और 2024 के लोकसभा चुनावों में जेडीयू प्रत्याशी लवली आनंद द्वारा मधुबन विधानसभा क्षेत्र में मात्र 1,035 वोटों की बढ़त से साफ है कि एनडीए इस क्षेत्र को अब हल्के में नहीं ले सकता.
2020 में मधुबन विधानसभा क्षेत्र में 2,58,042 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें से 33,545 मुस्लिम मतदाता थे, जो कुल मतदाताओं का लगभग 13% थे. उस वर्ष मतदान प्रतिशत 59.48% रहा. 2024 तक मतदाताओं की संख्या बढ़कर 2,70,387 हो गई. यह क्षेत्र पूरी तरह ग्रामीण है.
मधुबन, पूर्वी चंपारण के मध्य में स्थित है और इसके आसपास के जिलों में शिवहर व मुजफ्फरपुर आते हैं. यह क्षेत्र बिहार के मध्य गंगा मैदान का उपजाऊ हिस्सा है. यहां धान, गेहूं, मक्का की खेती होती है और आम के बागान व नहरें आम हैं. मानसून के दौरान कुछ हिस्सों में जलजमाव होता है, लेकिन कोई प्रमुख नदी सीधे इस क्षेत्र से नहीं बहती.
मधुबन जिला मुख्यालय मोतिहारी से लगभग 30 किमी पूर्व में है, जबकि शिवहर लगभग 25 किमी पश्चिम और मुजफ्फरपुर करीब 65 किमी दक्षिण में स्थित है. राज्य की राजधानी पटना सड़क मार्ग से लगभग 150 किमी दूर है.
मधुबन के मंदिर, दरगाहें और साप्ताहिक हाट राजनीतिक चर्चाओं और सामुदायिक समन्वय के प्रमुख केंद्र हैं. यही वे स्थान होते हैं, जहां संभावित गठबंधनों पर बातचीत होती है, जनमत की आहटें मिलती हैं और चुनावी माहौल की पहली झलक दिखती है.
सीताराम सिंह और राणा रणधीर की राजनीतिक विरासत अब भी इस सीट पर प्रभाव डाल रही है, लेकिन हालिया चुनावों में घटते अंतर से मतदाताओं की द्वंद्वात्मक सोच झलकती है. अब जब जन सुराज पार्टी और आम आदमी पार्टी ने बिहार की सभी 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है, तो मधुबन में बहुकोणीय मुकाबला तय माना जा रहा है.
2025 के विधानसभा चुनावों में स्थानीय भावना और जमीनी स्तर पर की गई तैयारी निर्णायक साबित हो सकती है.
(अजय झा)