बिहार के बेगूसराय जिले में स्थित चेरिया-बरियारपुर एक सामुदायिक विकास खंड है, जो मध्य गंगा के मैदानों में आता है. इसका भौगोलिक स्वरूप नीचा है, जिससे यह इलाका हर साल मानसून के दौरान बाढ़ की चपेट में आ जाता है. बुढ़ी गंडक, करेह और बागमती जैसी नदियों के उफान पर आने से यहां जलभराव आम बात है. हालांकि, इस बाढ़ के कारण यहां की मिट्टी बेहद उपजाऊ हो जाती
है, जिससे कृषि इस क्षेत्र की मुख्य आजीविका बन गई है.
चेरिया-बरियारपुर, जिला मुख्यालय बेगूसराय से 22 किलोमीटर दूर स्थित है. इसके आसपास के प्रमुख शहरों में रोसड़ा (30 किमी), दलसिंहसराय (40 किमी), मोकामा (45 किमी), समस्तीपुर (55 किमी) और खगड़िया (60 किमी) शामिल हैं. राज्य की राजधानी पटना यहां से 120 किलोमीटर दूर है.
विधानसभा क्षेत्र के रूप में चेरिया-बरियारपुर का गठन 1977 में हुआ और यह बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र के सात विधानसभा क्षेत्रों में से एक है. यह क्षेत्र चेरिया-बरियारपुर और चौराही ब्लॉकों के साथ-साथ नवकोठी ब्लॉक के पश्चिम पहसारा और महेशवारा पंचायतों को भी सम्मिलित करता है.
यहां अब तक 11 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं और हर बार परिणाम बदलते रहे हैं. 1977 और 1985 में कांग्रेस विजयी रही, 1990 और 1995 में जनता दल, फरवरी और अक्टूबर 2005 में लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा), 2010 और 2015 में जनता दल (यूनाइटेड), और 2000 व 2020 में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने जीत हासिल की. 1980 में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (CPI) ने यहां एकमात्र जीत दर्ज की थी.
2020 के चुनाव में राजद ने दो दशक के अंतराल के बाद जोरदार वापसी की और 40,897 वोटों के विशाल अंतर से सीट पर कब्जा जमाया. राजद की खास बात यह रही कि जब भी उसने यह सीट जीती, भारी अंतर से जीती. 2000 में 35,154 वोटों से और 2020 में 40,897 वोटों से जीत हासिल की थी. वहीं, फरवरी और अक्टूबर 2005 के दोनों चुनावों में वह महज 533 और 506 वोटों के मामूली अंतर से हार गई.
2010 और 2015 में राजद ने इस सीट से चुनाव नहीं लड़ा और गठबंधन के तहत अन्य दलों को समर्थन दिया, जिससे जदयू को अवसर मिला. 2010 में जदयू ने 1,061 वोटों के मामूली अंतर से जीत दर्ज की, जबकि 2015 में महागठबंधन के तहत राजद के समर्थन से 29,736 वोटों के बड़े अंतर से सीट बरकरार रखी.
लोजपा, जिसने 2005 में दो बार यह सीट जीती थी, 2010 में महज 1,061 वोटों से हार गई. हालांकि, 2000 में राजद की जीत में लोजपा की कोई खास भूमिका नहीं रही थी. उस समय जदयू और लोजपा के कुल वोट मिलाकर भी राजद के 68,363 वोटों से बहुत पीछे थे.
2020 में चेरिया-बरियारपुर में कुल 2,49,251 पंजीकृत मतदाता थे, जो सभी ग्रामीण क्षेत्र से थे. इनमें से 16.74% मतदाता अनुसूचित जातियों से थे और 10.90% मुस्लिम मतदाता थे. यह क्षेत्र बिहार के अन्य हिस्सों की तुलना में आम तौर पर अधिक मतदान प्रतिशत दर्ज करता है. 2020 में यहां 60.90% मतदान हुआ, जो 2015 के 59.85% से थोड़ा अधिक था. 2024 के लोकसभा चुनावों में मतदाताओं की संख्या बढ़कर 2,71,391 हो गई.
हालांकि 2024 में बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र के तहत एनडीए को चेरिया-बरियारपुर खंड में 9,957 वोटों की बढ़त मिली, लेकिन यह क्षेत्र अक्सर विधानसभा और लोकसभा चुनावों में अलग-अलग रुझान दिखाता रहा है. 2019 के आम चुनावों में भाजपा ने इस क्षेत्र में 52,045 वोटों की भारी बढ़त हासिल की थी, लेकिन अगले ही वर्ष विधानसभा चुनाव में जदयू को भारी हार का सामना करना पड़ा, जबकि वह भाजपा के समर्थन से चुनाव लड़ रही थी.
2025 के विधानसभा चुनावों में चेरिया-बरियारपुर में मुकाबला कड़ा रहने की पूरी संभावना है. जदयू पर यह दबाव बन सकता है कि वह यह सीट भाजपा या लोजपा (रामविलास गुट) के लिए छोड़ दे ताकि उभरते हुए राजद को चुनौती दी जा सके. राजद की मजबूत वापसी और उसके बढ़ते जनाधार को देखते हुए अन्य दलों को रणनीति में बदलाव करना पड़ सकता है.
(अजय झा)