बड़हरा, बिहार के भोजपुर जिले का एक प्रमुख गांव और सामुदायिक विकास खंड है. यह गांव गंगा नदी के तट पर स्थित है और इसकी जमीन समतल होने के कारण कृषि के लिए उपयुक्त मानी जाती है. हालांकि, मानसून के दौरान यहां का बड़ा हिस्सा बाढ़ से प्रभावित हो जाता है, जो स्थानीय कृषि-आधारित अर्थव्यवस्था के लिए एक ओर जहां अभिशाप है, वहीं दूसरी ओर वरदान भी साबित होता
है.
बड़हरा, जिला मुख्यालय आरा से लगभग 12 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है. इसके निकटतम प्रमुख शहरों में पटना (60 किमी पूर्व) और छपरा (50 किमी उत्तर) शामिल हैं.
राजनीतिक दृष्टि से बड़हरा बिहार विधानसभा की 243 सीटों में से एक है, जिसकी स्थापना 1951 में हुई थी. यह आरा लोकसभा सीट के सात विधानसभा क्षेत्रों में से एक है. बड़हरा ब्लॉक के साथ-साथ इस विधानसभा क्षेत्र में आरा ब्लॉक की सात और कोईलवर ब्लॉक की आठ ग्राम पंचायतें भी आती हैं.
इतिहास के पन्नों में बड़हरा का नाम शाहाबाद जिले के साथ जुड़ा हुआ है, जिसे 1972 में विभाजित कर भोजपुर और रोहतास जिले बनाए गए थे. यह क्षेत्र परमार वंश और उज्जैनिया राजपूतों के शासनकाल का साक्षी रहा है. बड़हरा के नेताओं ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भी सक्रिय भागीदारी निभाई और देश की आज़ादी में महत्वपूर्ण योगदान दिया.
2011 की जनगणना के अनुसार, बड़हरा ब्लॉक की कुल जनसंख्या 2,40,636 थी, जिसमें लिंगानुपात मात्र 878 महिलाएं प्रति 1,000 पुरुष था, जो चिंता का विषय है. साक्षरता दर 69.11 प्रतिशत थी, लेकिन इसमें भी पुरुष (80.5%) और महिलाओं (56.04%) के बीच 24.1 प्रतिशत का भारी अंतर देखने को मिला.
2020 के विधानसभा चुनावों में बड़हरा में कुल 3,13,857 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें से 14.52 प्रतिशत अनुसूचित जाति और 3.8 प्रतिशत मुस्लिम समुदाय से थे. यह क्षेत्र पूरी तरह ग्रामीण है, यहाँ कोई भी शहरी मतदाता नहीं है.
2024 के लोकसभा चुनावों में मतदाताओं की संख्या घटकर 3,11,962 रह गई. यह गिरावट मुख्यतः 3,349 मतदाताओं के रोज़गार की तलाश में पलायन करने के कारण हुई.
बड़हरा के मतदाताओं ने लगभग सभी प्रमुख राजनीतिक दलों को मौका दिया है, सिवाय वामपंथी दलों के. लगातार विधायकों को बदलने की प्रवृत्ति इस ओर इशारा करती है कि लोग अपने प्रतिनिधियों के प्रदर्शन और क्षेत्र के विकास से संतुष्ट नहीं हैं. 2020 में भाजपा ने पहली बार यह सीट जीती और राजद के विधायक सरोज यादव को 4,973 मतों से हराया. हालांकि भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव में आरा सीट हार गई, लेकिन बड़हरा खंड में मात्र 1,782 मतों से पीछे रही, जिससे 2025 के विधानसभा चुनावों में उसकी उम्मीदें अभी भी जिंदा हैं.
इस क्षेत्र में सभी राजनीतिक दलों के लिए सबसे बड़ी चिंता 2020 में मात्र 52.75 प्रतिशत की कम मतदाता भागीदारी है. अधिक मतदान होने पर परिणाम किस दिशा में जाएगा, यह कहना मुश्किल है, जिससे 2025 का चुनाव पूरी तरह से अनिश्चित बना हुआ है.
(अजय झा)