परबत्ता बिहार के खगड़िया जिले का एक प्रखंड है, जो ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है. गंगा नदी, जो यहां से मात्र पांच किलोमीटर दूर बहती है, प्राचीन काल में व्यापार मार्ग के रूप में कार्य करती थी. इस नदी के समीप होने के कारण परबत्ता की भूमि बेहद उपजाऊ है, जिससे यह क्षेत्र खेती के लिए आदर्श बन गया है. कृषि ही इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था
की रीढ़ रही है.
परबत्ता के निकटवर्ती शहरों में खगड़िया (जिला मुख्यालय, 37 किलोमीटर पश्चिम), मुंगेर (40 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम), भागलपुर (50 किलोमीटर पूर्व) और बेगूसराय (60 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम) शामिल हैं. राज्य की राजधानी पटना यहां से लगभग 170 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है. परबत्ता का कोई प्रामाणिक ऐतिहासिक दस्तावेज उपलब्ध नहीं है और न ही इसके नाम की उत्पत्ति को लेकर कोई स्पष्टता है.
परबत्ता विधानसभा क्षेत्र, खगड़िया लोकसभा क्षेत्र के छह खंडों में से एक है. इसकी स्थापना 1951 में हुई थी और यह एक सामान्य (सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित नहीं) सीट है. 2008 में हुए परिसीमन के बाद, परबत्ता विधानसभा क्षेत्र में परबत्ता प्रखंड के साथ-साथ रतन, गोगरी, जमालपुर उत्तर, जमालपुर दक्षिण, रामपुर, मुस्कीपुर, पसाहा, बसुदेओपुर, इतहरी, शेरचकला, पैकांत, देवथा, गौछारी, मदारपुर पंचायतें और गोगरी प्रखंड का गोगरी-जमालपुर नगर क्षेत्र शामिल हैं.
2020 के विधानसभा चुनावों में परबत्ता विधानसभा क्षेत्र में 3,08,043 पंजीकृत मतदाता थे, जो 2024 के लोकसभा चुनावों में बढ़कर 3,22,082 हो गए. इनमें अनुसूचित जाति के मतदाता 6.96% और मुस्लिम मतदाता 11.8% हैं. यह क्षेत्र मुख्यतः ग्रामीण है, 2020 में शहरी मतदाताओं की संख्या मात्र 8.47% थी. 2020 में यहां 60.29% मतदान हुआ था.
परबत्ता ने अब तक कुल 19 बार विधायक चुने हैं, जिनमें 2004 का उपचुनाव भी शामिल है. कांग्रेस ने यह सीट सबसे अधिक सात बार जीती है, लेकिन आखिरी बार 1985 में, जो राज्य में पार्टी के आखिरी स्वर्णिम वर्ष थे. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) ने इसे पांच बार जीता है, जबकि जनता दल और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने इसे दो-दो बार अपने नाम किया. समाजवादी पार्टी, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी और एक निर्दलीय उम्मीदवार ने भी एक-एक बार जीत दर्ज की है.
हाल के वर्षों में यह सीट दो क्षेत्रीय दिग्गजों- नीतीश कुमार और उनके पूर्व सहयोगी, अब विरोधी बन चुके लालू प्रसाद यादव के बीच सत्ता संघर्ष का केंद्र बन गई है. राजद ने इस सीट पर पहली बार 2000 में जीत दर्ज की, लेकिन इसके बाद जदयू ने लगातार तीन बार जीत हासिल की. 2010 में राजद ने सीट वापस ली, लेकिन जदयू ने 2015 और 2020 में फिर से कब्जा जमाया, हालांकि 2020 का चुनाव बेहद रोमांचक रहा. चिराग पासवान की पार्टी लोजपा ने नीतीश कुमार को हराने के उद्देश्य से अपना उम्मीदवार उतारा, जिससे मुकाबला बेहद कड़ा हो गया. अंततः जदयू उम्मीदवार मात्र 951 वोटों से जीत सका.
ऐसा रोमांचक मुकाबला इससे पहले 2010 में भी देखने को मिला था, जब राजद ने मात्र 808 वोटों से जदयू को हराया था.
2024 के लोकसभा चुनाव में जदयू और लोजपा (रामविलास) के बीच हुए समझौते का सीधा असर परबत्ता में दिखा, जहां लोजपा(RV) के उम्मीदवार ने इस विधानसभा क्षेत्र में 33,193 मतों की भारी बढ़त हासिल की.
यदि राजद कोई चमत्कार नहीं कर पाता, तो 2025 के विधानसभा चुनाव में जदयू के लिए परबत्ता सीट को बनाए रखना मुश्किल नहीं होगा.
(अजय झा)