बिहार राज्य के औरंगाबाद जिले में स्थित ओबरा एक ब्लॉक है, जो मगध क्षेत्र का हिस्सा है. यह छोटा मगर महत्वपूर्ण नगर औरंगाबाद-पटना राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है. यह जिला मुख्यालय से मात्र 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. इसके निकटवर्ती शहरों में दाउदनगर, औरंगाबाद, डेहरी-ऑन-सोन और रफीगंज शामिल हैं.
जिनके अंतर्गत 145 गांव आते हैं. यह इलाका तीन नदियों से घिरा हुआ है. पश्चिम और उत्तर में पुनपुन नदी, पूर्व में अद्री नदी और फिर से पश्चिम में सोन नदी से. सोन नदी के उपजाऊ मैदान इस क्षेत्र की कृषि समृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. साथ ही, ओबरा मगध पर्वत श्रृंखला की रतन पहाड़ी और झारखंड के पास स्थित छोटानागपुर पठार के समीप भी स्थित है.
ओबरा की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि है, जिसमें धान और तिल प्रमुख फसलें हैं. कृषि के अतिरिक्त, यह कस्बा कालीन (कारपेट) और कंबल उद्योग के लिए भी प्रसिद्ध है. यहां कालीन बुनाई की परंपरा 15वीं शताब्दी से चली आ रही है, जबकि कंबल निर्माण की परंपरा भी सौ वर्षों से अधिक पुरानी है.
2011 की जनगणना के अनुसार, ओबरा की कुल जनसंख्या 2,26,007 थी. इसमें 85.02% हिंदू और 14.82% मुस्लिम आबादी शामिल है. यहां का लिंगानुपात प्रति 1,000 पुरुषों पर 922 महिलाओं का था और जनसंख्या घनत्व 838 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर था. ब्लॉक में कुल 35,453 घर हैं, जिनमें से 33,076 ग्रामीण क्षेत्रों में और 2,377 शहरी क्षेत्रों में स्थित हैं.
यहां की साक्षरता दर 59.43% है, जिसमें पुरुष साक्षरता 67.49% और महिला साक्षरता 50.69% दर्ज की गई है. इस क्षेत्र में मुख्य रूप से मगही, हिंदी और उर्दू भाषाएं बोली जाती हैं.
1951 में स्थापित ओबरा औरंगाबाद जिले में स्थित है, लेकिन यह करकट लोकसभा सीट का हिस्सा है. यह विधानसभा क्षेत्र कभी किसी एक पार्टी के प्रति स्थायी निष्ठा नहीं दिखाता रहा है. यहां से अब तक कांग्रेस, समाजवादी, वामपंथी, जनता पार्टी, बीजेपी, जनता दल, निर्दलीय और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) जैसे विभिन्न दलों के प्रत्याशी विजयी होते रहे हैं.
हाल के वर्षों में राजद ने यहां मजबूती से पकड़ बनाई है और पिछले पांच में से चार विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज की है, जिनमें 2015 और 2020 भी शामिल हैं. 2020 में एनडीए के घटक दलों, लोजपा और जेडीयू के बीच विभाजन के चलते वोटों का बिखराव हुआ, जिसका लाभ राजद को मिला. 2024 के लोकसभा चुनाव में करकट सीट से राजद की सहयोगी सीपीआई(एमएल)(एल) ने जीत दर्ज की और ओबरा समेत सभी छह विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त बनाई.
ओबरा के मतदाता वर्ग में अनुसूचित जाति के मतदाता 22.05% हैं, जबकि मुस्लिम मतदाता 8.4% हैं. यह क्षेत्र ग्रामीण मतदाताओं के प्रभाव में है, जिनकी हिस्सेदारी 84.49% है. 2020 के विधानसभा चुनावों में कुल 3,18,098 पंजीकृत मतदाताओं में से 55.31% ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. 2024 के लोकसभा चुनाव तक यह संख्या बढ़कर 3,28,407 हो गई.
(अजय झा)