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Raniganj (SC) Assembly Election Result Live: बिहार की इस सीट पर Avinash Manglam ने Achmit Rishidev को हराया, जानें किसे मिले कितने वोट
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Raniganj (SC) Vidhan Sabha Result Live: रानीगंज (एससी) विधानसभा सीट पर RJD विशाल जीत की ओर! जानिए JD(U) कितना पीछे?
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रानीगंज विधानसभा सीट अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित है और यह बिहार के अररिया जिले में स्थित है. यह पूरा रानीगंज सामुदायिक विकास खंड और भरगामा प्रखंड की सात ग्राम पंचायतों-बीरनगर पूर्वी, बीरनगर पश्चिमी, धनैश्वरी, हरिपुर कला, खूथा बैजनाथपुर, नया भरगामा और विशहरिया-को शामिल करती है. यह सीट वर्ष 1957 में अस्तित्व में आई थी और अब तक 16 विधानसभा चुनाव देख चुकी है.
शुरुआती दशकों में रानीगंज पर कांग्रेस का दबदबा रहा और उसने यहां पांच बार जीत दर्ज की, आखिरी बार 1985 में. भाजपा ने इस सीट पर अब तक तीन बार जीत हासिल की है, जिसमें 2005 के दोनों चुनाव शामिल हैं. जनता दल और जदयू ने इसे दो-दो बार जीता है, वहीं निर्दलीय उम्मीदवार भी दो बार विजयी रहे हैं. जनता पार्टी और राजद ने एक-एक बार जीत हासिल की है. भाजपा लगातार तीन कार्यकाल तक यहां काबिज रही, लेकिन 2015 में जदयू से 14,930 मतों के अंतर से हार गई. 2020 में जदयू के अचमीत ऋषिदेव ने राजद के अविनाश मंगला को 2,304 मतों के मामूली अंतर से हराकर सीट बरकरार रखी.
2025 विधानसभा चुनाव में भाजपा इस सीट पर दावा ठोक सकती है. लोकसभा चुनावों में पार्टी ने यहां अच्छा प्रदर्शन किया था.2019 में 42,651 और 2024 में 18,231 मतों की बढ़त दर्ज की. इस आधार पर राजद-नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन के लिए यह सीट जीतना आसान नहीं होगा.
रानीगंज पूरी तरह ग्रामीण इलाका है. 2020 विधानसभा चुनाव में यहां 3,36,020 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें से 67,305 (20.03%) अनुसूचित जाति, 13,135 (3.90%) अनुसूचित जनजाति और 1,05,510 (31.40%) मुस्लिम मतदाता थे. 2020 में मतदान प्रतिशत 55.35% रहा, जो 2015 के 56.98% से थोड़ा कम था. 2024 संसदीय चुनाव में मतदाताओं की संख्या बढ़कर 3,47,959 हो गई. चुनाव आयोग के अनुसार 2020 की मतदाता सूची के 5,714 मतदाता पलायन कर गए, जो युवाओं के बड़े पैमाने पर रोजगार और औद्योगिकीकरण की कमी के चलते बाहर जाने की हकीकत को दर्शाता है.
भौगोलिक दृष्टि से रानीगंज का इलाका समतल और नीचला है. यह उत्तर बिहार के तराई क्षेत्र में आता है और मानसून के दौरान अक्सर जलजमाव और बाढ़ की चपेट में रहता है. कोसी और महानंदा नदियां इस क्षेत्र के पास बहती हैं. ये नदियां कृषि के लिए वरदान हैं, लेकिन बाढ़ की समस्या भी बढ़ाती हैं.
यहां की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है. धान, मक्का और जूट प्रमुख फसलें हैं. क्षेत्र में कोई बड़ा औद्योगिक प्रतिष्ठान नहीं है और कृषि-आधारित उद्योगों के अभाव में आर्थिक ठहराव बना हुआ है. बड़ी संख्या में लोग मौसमी मजदूरी या पलायन पर निर्भर हैं.
भौगोलिक स्थिति की बात करें तो रानीगंज, अररिया जिला मुख्यालय से लगभग 27 किमी पश्चिम में स्थित है. यह बनमनखी बाजार से 25 किमी, फारबिसगंज से 26 किमी और मुरलीगंज से 35 किमी दूर है. निकटतम बड़ा शहर पूर्णिया है, जो लगभग 46 किमी दक्षिण-पश्चिम में है, जबकि राज्य की राजधानी पटना लगभग 247 किमी दूर है. रानीगंज सड़क मार्ग से अररिया और अन्य कस्बों से जुड़ा हुआ है. निकटतम रेलवे स्टेशन अररिया कोर्ट और अररिया जंक्शन हैं, जो यहां से लगभग 30 किमी दूर स्थित हैं.
(अजय झा)
Avinash Manglam
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Parmanand Rishideo
LJP
Sunil Paswan
JAP(L)
Shankar Brahamchari
IND
Roshan Devi
AIMIM
Kalo Paswan
IND
Fuddan Paswan
RJSBP
Renu Kumari
AJP
Virendra Rishideo
BLRP
Balkishan Raj Choudhary
AADP
Lakshmi Rishi
BMF
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर पार्टी के भीतर निराशा है. शशि थरूर ने 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' की मांग की, जबकि अन्य नेताओं ने हार का कारण संगठन की कमजोरी, गलत टिकट वितरण और जमीनी हकीकत से कटे कुछ नेताओं को बताया.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.