JD(U)
INC
AIMIM
IND
Nota
NOTA
IND
JSP
BSP
VPI
IND
IND
IND
IND
MDP
IND
IND
PPI(D)
Kadwa Election Results Live: कदवा निर्वाचन क्षेत्र में JD(U) को मिली जीत, जानें पूरा रिजल्ट
Kadwa Assembly Election Result Live: कदवा में INC पीछे, JD(U) आगे! जानें वोटों का अंतर कितना
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Kadwa Assembly Election Results Live: Bihar की Kadwa सीट पर मुकाबला एकतरफा! JD(U) ने ली बड़ी बढ़त
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कदवा, बिहार के कटिहार जिले का एक सामान्य वर्ग का विधानसभा क्षेत्र है, जिसमें कदवा और डंडखोरा प्रखंड शामिल हैं. यह क्षेत्र कटिहार लोकसभा सीट का हिस्सा है और महानंदा व बरंडी नदियों की बाढ़ प्रभावित जलोढ़ मैदानों में स्थित है. यहां की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि पर आधारित है, जिसमें धान, मक्का, जूट और केले की खेती प्रमुख है. उपजाऊ मिट्टी और पर्याप्त मानसूनी सिंचाई के बावजूद, बार-बार आने वाली बाढ़ और कमजोर बुनियादी ढांचे के चलते क्षेत्र की प्रगति बाधित होती रही है. इससे खासकर भूमिहीन और सीमांत किसानों के बीच परेशानियों के चलते पलायन की प्रवृत्ति बनी रही है.
कटिहार मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में स्थित यह क्षेत्र, पूर्णिया से 65 किलोमीटर पश्चिम और किशनगंज से 80 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में स्थित है. राज्य की राजधानी पटना यहां से लगभग 300 किलोमीटर दूर है. नेपाल सीमा के निकट होने के बावजूद, कदवा ने हाल के वर्षों में बिहार की राजनीति में अहम स्थान हासिल किया है.
कदवा विधानसभा क्षेत्र की स्थापना 1951 में हुई थी, लेकिन 1962 के बाद परिसीमन आयोग की सिफारिशों के चलते यह क्षेत्र राजनीतिक नक्शे से हट गया. लगभग 15 वर्षों के बाद 1977 में यह सीट दोबारा अस्तित्व में आई. तब से लेकर अब तक यहां 14 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं.
इस क्षेत्र की राजनीतिक यात्रा में लगातार बदलाव देखने को मिले हैं. प्रारंभिक तीन चुनावों (1952-1962) में कांग्रेस पार्टी का दबदबा रहा, लेकिन पुनःस्थापना के बाद कांग्रेस की पकड़ कमजोर होती गई. हालांकि कांग्रेस ने 1985, 2015 और 2020 में सीट पर जीत दर्ज की, लेकिन इन वर्षों के बीच स्वतंत्र उम्मीदवारों और अन्य दलों का प्रभाव बढ़ा. खास बात यह है कि स्वतंत्र उम्मीदवारों ने कदवा से चार बार जीत हासिल की, जो किसी भी गैर-कांग्रेसी दल से अधिक है. भाजपा और राकांपा (एनसीपी) ने भी इस सीट से दो-दो बार जीत दर्ज की है.
हाल के वर्षों में कदवा सीमांचल क्षेत्र की एक प्रमुख सीट बनकर उभरी है. कांग्रेस नेता शकील अहमद खान ने 2015 और 2020 में इस सीट से महागठबंधन के उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की. 2015 में उन्होंने भाजपा को 5,799 वोटों से हराया, जबकि 2020 में उन्होंने लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) को 32,402 वोटों से हराया. उस चुनाव में एनडीए के घटकों- जदयू और लोजपा- ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था, और उनका सम्मिलित मत प्रतिशत कांग्रेस से थोड़ा ही पीछे रहा. यह विभाजन कांग्रेस के लिए निर्णायक लाभ साबित हुआ. भाजपा यदि स्वयं इस सीट से चुनाव लड़ती, तो लोजपा शायद मैदान में नहीं उतरती.
2020 के विधानसभा चुनावों में कदवा में कुल 2,81,355 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें से 60.31 प्रतिशत ने मतदान किया- जो कि हालिया चुनावी इतिहास में सबसे कम है. अनुसूचित जाति मतदाता 33,648 (11.96%), अनुसूचित जनजाति 4,443 (1.58%) और मुस्लिम मतदाता लगभग 1,19,800 (42.60%) थे. मुस्लिम बहुल होने के बावजूद, इस सीट पर धार्मिक आधार पर वोटिंग का सीधा असर नहीं रहा है- अब तक यहां छह हिंदू और आठ मुस्लिम विधायक चुने जा चुके हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव तक पंजीकृत मतदाताओं की संख्या बढ़कर 2,88,013 हो गई, हालांकि इनमें से 3,245 मतदाता पहले की मतदाता सूची से बाहर हो चुके थे.
2024 के लोकसभा चुनाव में एनडीए ने एकजुट होकर चुनाव लड़ा, जिसमें जदयू के दुलाल चंद गोस्वामी ने कदवा विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी तारिक अनवर पर 8,213 वोटों की बढ़त हासिल की. हालांकि, पूरी कटिहार लोकसभा सीट से कांग्रेस के तारिक अनवर ने 49,000 से अधिक वोटों से जीत दर्ज की. इस प्रदर्शन से एनडीए को बल मिला है और अब वह 2025 के विधानसभा चुनावों में पूरे रणनीतिक आत्मविश्वास के साथ उतरने की तैयारी में है, ताकि महागठबंधन से यह सीट वापस ली जा सके और सीमांचल की राजनीति में फिर से जगह बनाई जा सके.
(अजय झा)
Chandra Bhushan Thakur
LJP
Suraj Prakash Rai
JD(U)
Himraj Singh
IND
Minu Kumari
IND
Ranjit Prasad Das
IND
Umakant Anand
RLSP
Manoranjan Prasad Das
IND
Sajan Kumar
IND
Nizam
NCP
Md Anwar Alam
IND
Nota
NOTA
Md Razaul Haque
JAP(L)
Binod Kumar Singh
RJSWP
Manish Kumar Mandal
PP
Niranjan Kumar Jha
JDR
Nusarat Pravin
PPI(D)
Anmol Kumar
VPI
Pramod Das
AJPR
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
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