JD(U)
AIMIM
RJD
JSP
IND
Nota
NOTA
IND
IND
IND
BSP
IND
Thakurganj Election Results Live: ठाकुरगंज निर्वाचन क्षेत्र में JD(U) को मिली जीत, जानें पूरा रिजल्ट
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ठाकुरगंज विधानसभा क्षेत्र बिहार के किशनगंज जिले के उत्तर-पूर्वी हिस्से में स्थित है. यह सामान्य श्रेणी की सीट है. इसका गठन 1951 में हुआ और 1952 के पहले आम चुनाव में यहां मतदान हुआ. 1957 से 1967 के बीच यह सीट अस्तित्व में नहीं रही, लेकिन 1967 में इसे पुनः स्थापित किया गया. अब तक यहां 15 विधानसभा चुनाव संपन्न हो चुके हैं. ठाकुरगंज विधानसभा क्षेत्र में ठाकुरगंज प्रखंड और दिघलबैंक प्रखंड की 13 ग्राम पंचायतें शामिल हैं. यह किशनगंज लोकसभा सीट के अंतर्गत आता है.
यह क्षेत्र मुख्य रूप से ग्रामीण है. 2020 में यहां के केवल 3.97% मतदाता शहरी क्षेत्र से थे. ठाकुरगंज, किशनगंज जिला मुख्यालय से लगभग 46 किमी उत्तर में स्थित है. यह पश्चिम बंगाल की सीमा से सटा हुआ है और इस्लामपुर (22 किमी दक्षिण-पूर्व) तथा सिलीगुड़ी (55 किमी उत्तर-पूर्व) जैसे कस्बों के नजदीक है. बिहार के भीतर, यह पूर्णिया (85 किमी) और कटिहार (110 किमी) से जुड़ा हुआ है, जो इस क्षेत्र के आर्थिक और परिवहन केंद्र माने जाते हैं. पटना यहां से लगभग 315 किमी दक्षिण-पश्चिम में स्थित है.
यहां की जमीन उपजाऊ और समतल है. रतुआ और दाहुक जैसी नदियां इस क्षेत्र से होकर गुजरती हैं. कृषि यहां की प्रमुख आजीविका है, जिसमें धान, जूट, मक्का और सब्जियों की खेती प्रमुख है. इसके अलावा छोटे पैमाने का व्यापार और पश्चिम बंगाल व अन्य राज्यों की ओर मौसमी पलायन आम बात है.
2020 में ठाकुरगंज विधानसभा सीट पर कुल 2,91,257 मतदाता पंजीकृत थे. इनमें 1,68,929 (58%) मुस्लिम, 15,844 (5.44%) अनुसूचित जाति और 17,854 (6.13%) अनुसूचित जनजाति मतदाता थे. यह सीट मुस्लिम बहुल होने के कारण यहां मतदान प्रतिशत हमेशा ऊंचा रहता है, हालांकि 2020 में यह घटकर 66.15% रह गया.
अब तक कांग्रेस ने यहां सबसे ज्यादा आठ बार जीत दर्ज की है. इसके अलावा जनता पार्टी, जनता दल, बीजेपी, समाजवादी पार्टी, लोजपा, जेडीयू और राजद एक-एक बार जीते हैं. 15 चुनावों में केवल तीन बार गैर-मुस्लिम उम्मीदवार विजयी हुए हैं, जो धार्मिक पहचान के प्रभाव को दर्शाता है.
2020 में राजद उम्मीदवार साउद आलम ने 79,909 वोट पाकर निर्दलीय गोपाल कुमार अग्रवाल (56,022 वोट) को हराया. जेडीयू के पूर्व विधायक नौशाद आलम तीसरे स्थान पर रहे. इससे पहले 2015 में नौशाद आलम (जेडीयू) और 2010 में लोजपा के टिकट पर इसी सीट से जीत चुके थे. 2005 में गोपाल अग्रवाल समाजवादी पार्टी से जीते थे, जबकि कांग्रेस के मोहम्मद जावेद ने 2000 और फरवरी 2005 में जीत दर्ज की थी.
वर्तमान में सीट राजद के पास है, लेकिन 2025 का चुनाव मुस्लिम वोटों के एकजुट होने पर टिका होगा. एआईएमआईएम और स्वतंत्र उम्मीदवारों की मौजूदगी पहले भी वोट विभाजन का कारण बनी है. अगर विपक्षी गठबंधन मुस्लिम वोटों को एकजुट कर मजबूत प्रत्याशी उतारता है तो राजद के पास सीट बचाने का बेहतर मौका होगा.
दूसरी ओर, एनडीए के लिए भी उम्मीद की किरण है. 2019 और 2024 लोकसभा चुनावों में ठाकुरगंज विधानसभा क्षेत्र में जेडीयू को 2,026 वोटों की बढ़त मिली थी. भले ही यह अंतर छोटा है, लेकिन सही उम्मीदवार और मजबूत रणनीति के साथ एनडीए यहां चौंकाने वाला नतीजा ला सकता है.
(अजय झा)
Gopal Kumar Agarwal
IND
Naushad Alam
JD(U)
Mahbub Alam
AIMIM
Nota
NOTA
Shakir Alam
IND
Md. Kalimuddin
LJP
Devbret Kumar Ganesh
JAP(L)
Shahnavaj
RSMJP
Navin Kumar Mallah
SHS
Md. Safir Alam
IND
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर पार्टी के भीतर निराशा है. शशि थरूर ने 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' की मांग की, जबकि अन्य नेताओं ने हार का कारण संगठन की कमजोरी, गलत टिकट वितरण और जमीनी हकीकत से कटे कुछ नेताओं को बताया.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.